मानवाधिकारों के नाम पर अपनी काली करतूतों को अंजाम देने वाली एमनेस्टी इंडिया नाम की एनजीओ का नया कारनामा उजागर हुआ है। इस बार कानून व मानवाधिकारों की दुहाई इस एनजीओ ने जम्मू-कश्मीर पुलिस को नीचा दिखाने के लिहाज से दी। लेकिन, अफसोस इनका पूरा खेल उलटा पड़ गया और सोशल मीडिया पर लोग इनकी नीयत पर ही सवाल उठाने लगे।
दरअसल, सोपोर में हुए आतंकी हमले के बाद एक तीन साल के मासूम की तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई। लोगों ने बच्चे के साथ अपनी सहानुभूति रखी। मगर, तभी एमनेस्टी इंडिया ने एक ट्वीट किया और दर्शाया कि बच्चे की पहचान का खुलासा करके कश्मीर जोन की पुलिस ने अनुच्छेद 74 जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन) एक्ट, 2015 का उल्लंघन किया है।
Amnesty International is a habitual offender. That Amnesty is biased, blind and discriminatory is obvious. Now they even violate their own so called set standards while preaching the same to Police. Look at this blatant violation as they reveal identity of a minor in Kashmir. pic.twitter.com/1eUCueZw07
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) July 2, 2020
लेकिन, हकीकत तो ये है कि यही एमनेस्टी इंडिया समय दर समय अपना प्रोपगेंडा चलाने के लिए इन्हीं कानूनों को उल्लंघन कर चुका है। जिसके स्क्रीनशॉट एमनेस्टी का असली चेहरा उजागर करने के लिए सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे हैं।
इन स्क्रीनशॉट्स में हम देख सकते हैं कि एक ओर तो ये एनजीओ पुलिस को कानून की बातें पढ़ा रही है। वहीं दूसरी ओर एक 19 महीने की बच्ची की पहचान उसके नाम समेत उजागर कर रही है। इस दूसरे स्क्रीनशॉट में हम देख सकते हैं कि कैसे केवल एक ट्वीट में एमनेस्टी इंडिया बच्ची का नाम, उसका चेहरा, उसकी उम्र, उसका पता सब बताती है।
Amnesty India embodies hypocrisy & doublespeak in the most horrible manner.
— Rishi Bagree 🇮🇳 (@rishibagree) July 2, 2020
How they contradicts themselves with such a straight face simply baffles me pic.twitter.com/oCdxavfhQ0
इन्हीं दोनों ट्वीट के स्क्रीनशॉट्स को शेयर करके एमनेस्टी इंडिया के पाखंड पर लोग सोशल मीडिया पर सवाल उठा रहे हैं। लोगों का कहना है कि एमनेस्टी बहुत भयानक तरह से झूठ फैलाता है। इसी मामले में देखिए कैसे खुद को पाक साफ दिखाकर दूसरे की गलती बता रहे हैं।
Amnesty India embodies hypocrisy & doublespeak in the most horrible manner.
— Rishi Bagree 🇮🇳 (@rishibagree) July 2, 2020
How they contradicts themselves with such a straight face simply baffles me pic.twitter.com/oCdxavfhQ0
कुछ लोगों का इन दोनों ट्वीट को देखकर ये भी कहना है कि एमनेस्टी इंडिया को जल्द से जल्द बंद कर देना चाहिए। अपने ही संगठन के बारे में इनके पास घटिया जानकारी है। आज उस बच्ची की तस्वीर ट्विटर पर तैर रही है। जिसका इन्होंने अपने लिए इस्तेमाल किया था।
This tweet is a reason enough why India head of @AIIndia should be sacked immediately. Poor knowledge of own organisation. Twitter is flooded with images of @amnesty using images of child victims. https://t.co/mFbGOAobZR
— Counter Propaganda Division (@CounterDivision) July 2, 2020
गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब इस एनजीओ ने कश्मीर के संबंध में अपना प्रोपगेंडा फैलाने की कोशिश की। पिछले साल भी ये एनजीओ कश्मीर के मुद्दे को वैश्विक पटल पर ले जाने की कोशिश कर रहा था।
सोचिए जिस मुद्दे को देश का आंतरिक मामला कह कहकर पाकिस्तान को हड़काया जा रहा था और अमेरिका को मध्यस्तथा करने से रोका जा रहा था। उसी मुद्दे को आधार बनाकर एमनेस्टी एनजीओ ने ग्लोबल कैंपेन शुरू करने की बात की थी।