फेक न्यूज फैलाने के आरोपित पत्रकार विनोद दुआ ने पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट में अपने ख़िलाफ़ हुई एफआईआर (FIR) को रद्द करने के लिए याचिका दायर की थी। इसी याचिका पर आज (जुलाई 7, 2020) जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई की।
इस सुनवाई में दुआ की ओर से केस संभाल रहे वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने पत्रकार अमीश देवगन और ऑपइंडिया की एडिटर नुपुर जे शर्मा के केस का हवाला देकर सभी एफआईआर पर स्टे लगाने की माँग की।
SEDITION CASES: Journalist Vinod Dua’s plea for quashing of FIRs alleging #Sedition
— Live Law (@LiveLawIndia) July 7, 2020
A bench led by Justice U U Lalit to shortly hear Vinod Dua’s plea seeking quashing of FIRs against him, most recent one filed at behest of BJP leader Ajay Sharma at Shimla.@BJP4India pic.twitter.com/Q4mBzKg7FL
विनोद दुआ की ओर से दलील में सबसे पहले अमीश देवगन के मामले का हवाला दिया गया। उन्होंने कहा कि अदालत ने उनकी एफआईआर पर रोक लगाकर उन्हें भी संवैधानिक संरक्षण प्रदान किया था। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने यहाँ उनकी दलील को खारिज कर दिया और कहा कि दोनों पर लगे आरोप अलग हैं।
SG heavily objects: Very different allegations levelled against Amish Devgan and Vinod Dua. @AMISHDEVGAN
— Live Law (@LiveLawIndia) July 7, 2020
Singh now cites Nupur J Sharma’s case, the editor of @OpIndia_com who was granted protection.@UnSubtleDesi.
“These were all 19(1)(A) cases” he says.@VinodDuvasi
इसके बाद विनोद दुआ के वकील की ओर से ऑपइंडिया एडिटर के केस का उल्लेख करते हुए कहा गया कि यह सब कुछ अनुच्छेद 19 (1) के तहत आता है। लेकिन पीठ ने यहाँ भी ये कह दिया कि दोनों मामले अलग-अलग तथ्यों पर निर्भर हैं।
Bench says both cases dependent on different facts.
— Live Law (@LiveLawIndia) July 7, 2020
Singh now reads transcripts of the video of @VinodDua7 which has come under the radar for #sedition. He states that there was no sedition made out in any part of the video.
Cites case of Kedarnath Singh.
इसके बाद दुआ की ओर से वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने पूरी वीडियो की ट्रांस्क्रिप्ट को पढ़ा। साथ ही सवाल पूछा कि इसमें राजद्रोह कहाँ से आया? राजद्रोह तब होता है जब हिंसा भड़काते हैं। या जन सामान्य में अव्यवस्था को उकसाते हैं।
इस सुनवाई में बता दें दुआ की ओर से पक्ष रखते हुए यह भी कहा गया कि उनके मामले में सभी एफआईआर भाजपा शासित प्रदेशों में पार्टी कार्यकर्ताओं के द्वारा की गई है। वह बस इनपर रोक चाहते हैं।
SG: I have a preliminary objection.
— Live Law (@LiveLawIndia) July 7, 2020
Singh, visibly miffed at the interjection urges the Court to hear him first.
He continues.
“I don’t have to answer the Investigation authorities why I criticised the Govt. 45 years into responsible Journalism. Constitutionally protected.”
इसके अलावा इस सुनवाई में दुआ की ओर से वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने लगातार सवाल पूछे जाने का मामला भी उठाया। साथ ही यह बताया कि जिस तरह और जिस प्रकार से उनसे सवाल पर सवाल पूछे जा रहे हैं- वो सब प्रताड़ना है।
दुआ की ओर से कहा गया, “मुझे जाँच अधिकारियों को जवाब नहीं देना है कि मैंने सरकार की आलोचना क्यों की। मुझे जिम्मेदार पत्रकारिता करते 45 साल हो गए हैं।”
जस्टिस ललित ने इस दौरान सॉलिस्टर जनरल को पूरी जाँच की डिटेल सील कवर में देने को कहा। उन्होंने यह भी कहा कि अगर याचिकाकर्ता का तर्क सही पाया गया तो वह सभी एफआईआर पर रोक लगा देंगे। बता दें अब इस मामले पर अगली सुनवाई 15 जुलाई को की जाएगी।
Newly impleaded Respondent seeks time to file reply.
— Live Law (@LiveLawIndia) July 7, 2020
Singh: This is harassment. They (Investigating Authorities) are sending me questions after questions to answer. Please see the kind of questions I am being asked.
Solicitor General Tushar Mehta interjects.@VinodDua7
विनोद दुआ के ख़िलाफ़ सबसे हालिया एफआईआर भाजपा नेता अजय शर्मा ने शिमला में दायर करवाई थी। अपने एफआईआर में उन्होंने पत्रकार पर आरोप लगाया था कि विनोद दुआ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘मौत का और आतंकी हमलों’ का इस्तेमाल करके वोटबैंक की राजनीति करने का जिम्मेदार ठहराया। और, झूठी खबरें फैलाकर हिंसा भड़काने की कोशिश की।
Justice Lalit tells the SG: You submit the details of your investigation in a sealed cover.
— Live Law (@LiveLawIndia) July 7, 2020
If satisfied the petitioner-journalists contentions are correct, we’ll quash the FIR straight away.
We’ll give them you to file this in a week.@VinodDua7 #sedition
गौरतलब हो कि विनोद दुआ ने यह याचिका 13 जून को दायर की थी। इस याचिका में उन्होंने अपने ख़िलाफ़ एफआईआर को रद्द कराने की माँग की थी। इसके बाद इस मामले पर छुट्टी वाले दिन यानी 14 जून को सुनवाई होना मुकर्रर हुआ।
और, शीर्ष अदालत ने विनोद दुआ को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान कर दी। साथ ही हिमाचल प्रदेश राज्य को एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया गया जिसमें पूरे मामले की स्थिति और जाँच की जानकारी हो।
विनोद दुआ पर मुख्यत: फेक न्यूज फैलाने का आरोप है। इसके अलावा उनके ऊपर यूट्यूब शो ‘द विनोद दुआ शो’ में शांति भंग करने और सांप्रदायिक तनाव को न्योता देने जैसे बयान देने का भी आरोप है। उन्होंने अपनी व्यक्तिगत लिबर्टी के लिए याचिका में गुहार लगाई है।
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ दायर की गई एक एफआईआर (FIR) पर रोक लगा दी थी और जाँच रोक दी थी। दुआ ने दावा किया था कि हिमाचल पुलिस ने उनके घर आकर कुमारसैन पुलिस स्टेशन में हाजिरी लगाने को कहा था।
पिछले दिनों अमेरिका में हो हुए दंगो के मद्देनजर विनोद दुआ ने अपने डेली शो में भारतीयों को उसी तरह से हिंसा और दंगा करने के लिए उकसाया था, विनोद दुआ ने दुकानों में तोड़फोड़ और लूटपाट करने वालों को ‘मानवाधिकार के धर्मयोद्धा’ की संज्ञा दी थी। उनका कहना था कि अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार के खिलाफ अपने आक्रोश को प्रदर्शित करने में विफल रहे।
इसके बाद भाजपा प्रवक्ता नवीन कुमार ने अपनी शिकायत में ‘द विनोद दुआ शो’ के माध्यम से फर्जी खबर फैलाने, अनर्गल बातों व फालतू के तर्कों को वीडियो के माध्यम से लाकर समाज में जहर फैलाने का आरोप लगाया था।