Friday, October 18, 2024
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चीनी विदेश मंत्री को एस जयशंकर का संदेश- सीमा पर मौजूदा स्थिति चीनी सेना की हरकतों का नतीजा

संयुक्त बातचीत में चीनी विदेश मंत्री वांग यी और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में मौजूदा स्थिति दोनों के हित में नहीं है।

भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जारी विवाद के बीच दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक 1 घंटे, 40 मिनट तक चली। इसमें भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी को स्पष्ट तौर पर कहा कि सीमा पर तनाव की वजह चीनी सेना की हरकतें हैं और LAC पर यथास्थिति बदलने की एकतरफा कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएँगी।

दोनों नेताओं की मुलाकात पर विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया कि दोनों देशों के बीच ‘5 सूत्रीय सहमति’ बनी है। विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी (Wang Yi) ने माना कि दोनों देशों के रिश्तों में किसी मतभेद के चलते विवाद नहीं आना चाहिए।

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी (Wang Yi) मॉस्को में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन में शामिल होने के लिए पहुँचे थे। बैठक के दौरान भारत के विदेश मंत्री ने साफ़ तौर पर कहा कि सीमा पर यथास्थिति में किसी भी तरह का बदलाव नहीं होना चाहिए।

एस जयशंकर ने कहा कि मौजूदा स्थित सिर्फ चीनी आक्रामकता का परिणाम है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि सीमा संबंधी समझौतों का पूरी तरह से पालन होना चाहिए। 

मंत्रियों ने इस बात पर सहमति जताई कि जैसे ही स्थिति सामान्य होती है, दोनों पक्षों को सीमा क्षेत्रों में शांति बनाए रखने और इसे बढ़ाने के लिए नए ‘कॉन्फिडेंस बिल्डिंग’ उपायों के काम में तेजी लानी चाहिए।

बृहस्पतिवार (सितम्बर 10, 2020) को हुई द्विपक्षीय मुलाक़ात के पहले भी एस जयशंकर और वांग यी, दो अलग मौकों पर एक दूसरे के आमने – सामने आए; पहली बार, शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान और दूसरी बार रूस, भारत, चीन (आरआईसी) की विदेश मंत्रियों की सालाना बैठक में। इन बैठकों में एस जयशंकर और वांग यी ने वैश्विक शांति, वैश्वीकरण, विज्ञान, तकनीक और शांति जैसे अहम मुद्दों पर एक दूसरे का समर्थन किया।

एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष की इस बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपनी बात रखते हुए कहा कि एलएसी पर शांति स्थापित किए बिना द्विपक्षीय संबंध मज़बूत नहीं हो सकते हैं। इसके बाद बैठक में हुई बातों की विस्तार से जानकारी देते हुए विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया।

बयान के अनुसार, दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की इस बात पर सहमती बनी कि सीमा पर जारी वर्तमान हालात किसी भी देश के पक्ष में नहीं हैं। साथ ही, सीमा पर दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच वार्ता जारी रखने, तत्काल प्रभाव से पीछे हटने और तनाव कम करने को लेकर भी सहमती बनी।   

विदेश मंत्रालय के बयान के मुताबिक, भारत और चीन के विदेश मंत्री इस मुद्दे पर भी सहमत हुए कि दोनों पक्षों को सभी समझौतों और प्रोटोकॉल्स का पालन करना चाहिए। वे इस बात पर सहमत हुए कि दोनों पक्षों के सीमा सैनिकों को अपना संवाद जारी रखना चाहिए, उचित दूरी बनाए रखनी चाहिए और तनाव कम करना चाहिए।

बैठक में ‘स्पेशल रिप्रेजेन्टेटिव मैकेनिज्म’ के ज़रिए अपना पक्ष रखने पर सहमती बनी। इसके अलावा, भारत-चीन सीमा विवाद पर ‘वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड कोआर्डिनेशन’ संबंधी बैठकें जारी रहेंगी। 

ख़बरों की मानें तो बैठक में भारत की तरफ से यह कहा गया कि भारतीय सेना ने विवाद के दौरान हर दिशा निर्देश का पालन किया है। भारत ने सीमा पर चीनी सेना के सैनिकों की भारी संख्या में तैनाती और उपकरणों की मौजूदगी पर भी सवाल उठाए। अंत में भारतीय पक्ष ने कहा कि ऐसे कदम साल 1993 और 1996 के दौरान किए गए समझौतों की अनदेखी हैं।  

गौरतलब है कि 29 और 30 अगस्त की रात को चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा क्षेत्र में फिर से घुसपैठ की कोशिश की थी। हालाँकि, उन्हें मुँह की खानी पड़ी। भारतीय सैनिकों ने पैंगोंग त्सो (Pangong Tso) के दक्षिण तट पर घुसपैठ कर रहे चीनी सैनिकों को खदेड़ दिया था।

भारतीय सेना के पीआरओ, कर्नल अमन आनंद ने सोमवार (31 अगस्त) को कहा कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA, चायनीज सैनिक) के सैनिकों ने 29 और 30 अगस्त (शनिवार और रविवार) की रात को पैंगोंग त्सो के दक्षिणी तट पर दोनों देशों के बीच बनी आम सहमति का उल्लंघन किया।

कर्नल अमन आनंद ने बताया, “29-30 अगस्त की रात को, पीएलए सैनिकों ने दोनों देशों के बीच चल रही राजनयिक व्यस्तताओं के दौरान पिछली सर्वसम्मति का उल्लंघन किया और सीमा-स्थिति को बदलने के लिए उत्तेजक सैन्य एक्शन को अंजाम दिया।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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