सोनिया गाँधी अपने रूटीन स्वास्थ्य चेकअप के लिए विदेश गई हैं। उनके साथ-साथ राहुल गाँधी भी गए हैं। कॉन्ग्रेस पार्टी ने खुद इस सूचना को ट्वीट किया और जानकारी दी कि कोरोना संक्रमण आपदा के कारण सोनिया गाँधी का मेडिकल चेकअप नहीं हो पाया था, जिसके लिए अब वो विदेश गई हैं।
इधर सोमवार (सितम्बर 14, 2020) से संसद का सत्र भी चालू हो रहा है। सोनिया और राहुल, दोनों सांसद भी हैं। ये दोनों संसद के ओपनिंग सेशन में भाग नहीं लेंगे। अब सवाल उठ रहा है कि क्या सोनिया-राहुल को ‘नेहरू के अस्पतालों’ पर भरोसा नहीं है?
कॉन्ग्रेस की अध्यक्ष और पूर्व-अध्यक्ष (संभव है कि भावी भी) ऐसे समय में विदेश गए हैं, जब संसद में मोदी सरकार को घेरने के लिए कॉन्ग्रेस बड़ी तैयारी का दावा कर रही है। कृषि और अनाज के बाजार को लेकर मोदी सरकार द्वारा जारी किए गए अध्यादेशों को कॉन्ग्रेस ‘हरित क्रांति’ के विरुद्ध बता कर इसे किसानों को दबाने का जरिया बता रही है। साथ ही ‘क्रोनी कैपटलिस्ट्स’ के लिए ‘ईस्ट इंडिया कम्पनी’ के गठन का आरोप लगाया है।
दिक्कत इससे नहीं है कि सोनिया-राहुल इलाज कराने के लिए विदेश क्यों जाते हैं। समस्या इस बात से है कि जब भाजपा का कोई नेता किसी प्राइवेट अस्पताल में भर्ती हो जाए तो यही लोग तंज कसते हैं कि वो लोग सरकारी अस्पतालों में अपना इलाज क्यों नहीं करा रहे? वहीं जब सोनिया-राहुल केवल मेडिकल चेकअप के लिए विदेश जाते हैं तो ये गर्व से इसकी घोषणा करते हैं। आखिर ये दोहरा रवैया क्यों अपनाया जाता है?
कुछ ही दिनों पहले जब कोरोना संक्रमित होने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह गुरुग्राम स्थित मेदांता में भर्ती हुए थे, तब उन पर खूब तंज कसा गया था। विशाख चेरियन नामक व्यक्ति ने AIIMS की प्रशंसा करते हुए इसे आधुनिक भारत का मंदिर बताया था और कहा था कि इसकी रूपरेखा भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने तैयार की थी। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कॉन्ग्रेस सांसद शशि थरूर ने इस ट्वीट का रिप्लाई देते हुए अमित शाह को निशाना बनाया था।
शशि थरूर ने कहा था कि वे ये सोचते हैं कि जब भारत के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बीमार पड़ते हैं तो वो नई दिल्ली में स्थित AIIMS में भर्ती होने के बजाए पड़ोसी राज्य में स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में इलाज करवाने क्यों जाते हैं? उन्होंने कहा था कि अगर जनता के बीच इन संस्थानों को लेकर सकारात्मक छवि बनानी है तो इन्हें बढ़ावा देना होगा। अब इन्हीं शशि थरूर से सवाल पूछे जा रहे हैं कि वो क्यों चुप हैं?
I would like to get some gyaan, full of wisdom from mahaan gyaani @ShashiTharoor ji.. https://t.co/N2jEQeF01Y pic.twitter.com/2GDD0xppuY
— Arif Aajakia (@arifaajakia) September 13, 2020
भारत में कॉन्ग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं की बड़ी ब्रीड है और उनका समर्थन करने वाला लिबरल गिरोह भी है, जो बात-बात में ये गिनाने बैठ जाता है कि नेहरू ने इतने अस्पताल बनवाए, इतने स्कूल बनवाए, ये बनवाया, वो बनवाया- तो आज ये लोग अपनी ही अध्यक्ष सोनिया और पूर्व-अध्यक्ष राहुल से ये क्यों नहीं पूछते कि क्या उनलोगों को नेहरू के बनवाए अस्पतालों पर भरोसा नहीं है? या फिर उन्हें विदेश में चेकअप कराने का शौक है?
जब नेहरू के अपने ही वंशजों को उनके बनवाए अस्पतालों पर भरोसा नहीं है (अगर नेहरू ने सच में बनवाया है तो), तो फिर कॉन्ग्रेस ये कैसे उम्मीद करती है कि देश की जनता इस बात का रट्टा लगाए कि नेहरू ने कितने अस्पताल बनवाए। क्या उनमें मेडिकल चेकअप की सुविधा नहीं है या फिर उनका हाल भी दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिकों जैसा हो गया है? कम से कम शशि थरूर को तो सामने आकर इसका जवाब देना चाहिए।