क्या तनिष्क के विज्ञापन का विरोध करने वाले वाकई मूर्ख हैं? नहीं, वो मूर्ख नहीं है, वो सहिष्णु हैं, जो देर से जगे हैं। अभी तक सिर्फ सहिष्णुता दिखाते रहे हैं, क्योंकि पिछले दौर में कुछ भी बोलने को सांप्रदायिक माना जाता था। लंबे समय से यह नौटंकी चलती रही कि एक खास मजहब अपनी उन्माद का उन्मुक्त प्रदर्शन करता रहे और अगर हमने कुछ बोल दिया तो हम सांप्रदायिक हो जाते थे।
अब वह दौर धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। हिंदू जाग रहे हैं। तनिष्क के विज्ञापन से ‘पाताललोक’ वेबसीरीज तक एक मजहब का महिमामंडन किया गया और दूसरे को व्याभिचारी बताया गया। किस मुस्लिम घर में आपने सुना कि हिंदू लड़की का निकाह बिना इस्लाम मजहब स्वीकारे हुआ है?
ऐसे परिवारों का प्रतिशत कितना है? वामपंथनों से पूछेंगे तो कह देंगे कि यह विज्ञापन उम्मीदों से भरा हुआ था। तुम्हारी उम्मीद की हर स्कीम में हिंदू की ही बेटी मुस्लिम लड़कों के साथ क्यों दिखती है, कभी मुस्लिम लड़की भी दिखाओ, जिस पर हिंदू लड़का गुलाल मल रहा हो।
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