Sunday, September 8, 2024
Homeविविध विषयअन्यगौभक्त और आर्य समाजी धर्मपाल गुलाटी का निधन: विभाजन के बाद तांगा चलाने को...

गौभक्त और आर्य समाजी धर्मपाल गुलाटी का निधन: विभाजन के बाद तांगा चलाने को मजबूर, मेहनत से खड़ा किया MDH

धर्मपाल गुलाटी कोरोना संक्रमित हो गए थे लेकिन वो उससे उबर चुके थे। इसके बाद हार्ट अटैक से उनका निधन 3 दिसंबर 2020 को सुबह 5:38 पर हुआ।

मसालों की कंपनी महाशय दी हट्टी (MDH) के मालिक धर्मपाल गुलाटी का निधन हो गया है। धर्मपाल गुलाटी 98 वर्ष के थे।

धर्मपाल गुलाटी कोरोना संक्रमित हो गए थे लेकिन वो उससे उबर चुके थे। इसके बाद हार्ट अटैक से उनका निधन 3 दिसंबर 2020 को सुबह 5:38 पर हुआ।

महाशय दी हट्टी (MDH) के मालिक धर्मपाल गुलाटी को व्यापार और उद्योग खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में बेहतर योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।

धर्मपाल गुलाटी का जन्म 27 मार्च 1923 को पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था। सियालकोट में इनके पिताजी की मसालों की एक छोटी सी दुकान थी, जिसका नाम महाशय दी हट्टी था। इसी महाशय दी हट्टी से नाम आया M – महाशय D – डी H – हट्टी यानि MDH

मसालों के इतने बड़े व्यापार को स्थापित करने वाले धर्मपाल गुलाटी सिर्फ चौथी तक पढ़े थे। पाँचवीं में फेल होने के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी थी।

देश के विभाजन के बाद 27 सितम्बर 1947 को इनका परिवार भारत आकर दिल्ली में रहने लगा। दिल्‍ली आकर इन्‍होंने न्यू दिल्ली रेलवे स्टेशन से कुतुब रोड और करोल बाग से बड़ा हिन्दू राव तक तांगा चलाने का काम किया।

तांगा चलाने वाले धर्मपाल गुलाटी ने कुछ पैसे बचा कर मसालों का काम करोल बाग से शुरू किया। 1953 में इन्होंने एक दूसरी दुकान चांदनी चौक में ली। और 1959 में इन्‍होंने दिल्‍ली के कीर्ति नगर में मसालों की एक फैक्‍ट्री लगा दी। इसके बाद MDH ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

ग्रामीण और रिश्तेदार कहते थे – अनाथालय में छोड़ आओ; आज उसी लड़की ने माँ-बाप की बेची हुई जमीन वापस खरीद कर लौटाई, पेरिस...

दीप्ति की प्रतिभा का पता कोच एन. रमेश को तब चला जब वह 15 वर्ष की थीं और उसके बाद से उन्होंने लगातार खुद को बेहतर ही किया है।

शेख हसीना का घर अब बनेगा ‘जुलाई क्रांति’ का स्मारक: उपद्रव के संग्रहण में क्या ब्रा-ब्लाउज लहराने वाली तस्वीरें भी लगेंगी?

यूनुस की अगुवाई में 5 सितंबर 2024 को सलाहकार परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि इसे "जुलाई क्रांति स्मारक संग्रहालय" के रूप में परिवर्तित किया जाएगा।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -