कृषि कानून के ख़िलाफ़ दिल्ली में चल रहे ‘किसान’ आंदोलन में अब खुलेआम मंदिरों का मखौल उड़ाया जा रहा है। हाल में एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आई है। इस वीडियो में कथित तौर पर किसान नेता राकेश टिकैत अन्य प्रदर्शनकारियों को माइक लेकर संबोधित कर रहे हैं और मंदिर व पंडितों की मंशा पर सिर्फ़ इसलिए सवाल खड़े कर रहे हैं क्योंकि प्रदर्शन स्थल पर उनके लिए भंडारा नहीं करवाया गया।
इस वीडिया में किसान नेता को कहते सुना जा सकता है कि मंदिर वालों को रोज पूजा जा रहा है, लेकिन वो लोग एक भी दिन भंडारा लगाते नहीं नजर आए। ये लोग कहाँ हैं? इनसे भी हिसाब-किताब ले लो। इनका अता-पता ले लो। हमारी माँ-बहनें इन्हें जा-जा कर दूध दे रही हैं। ये लोग बदले में एक कप चाय भी नहीं पिला रहे हैं। इन सब लोगों को भी पता चलेगा।
वीडियो में व्यक्ति कहता है कि गाय का बच्चा हो या भैंस का, सबसे पहला दूध पंडित के यहाँ जाता है। लेकिन इनमें से एक भी (प्रदर्शन स्थल) पर कुछ नहीं भिजवा रहे। इनसे बढ़िया तो गुरुद्वारा ही है।
मंदिर वाले सब कहाँ चले गए? एक भी भंडारा नहीं? ज़रा सिख समुदाय से ही सीख लो। … जो बोले सो निहाल … pic.twitter.com/XAVxmTWn35
— Om Thanvi (@omthanvi) December 25, 2020
आगे पंडितों पर हमला बोलते हुए कहा जाता है, “देखो सुधर जाओ। पंडित भी सुधर जाओ, जो मंदिर में बैठे हैं। इन पर बहुत चढ़ावा है… इनसे हिसाब-किताब तो ले लो भाई। यहाँ एकाध भंडारा लगवा दो। हम कोई कृष्ण जी के ख़िलाफ़ थोड़ी हैं, लेकिन तुम भंडारा तो लगवाओ। सब हरिद्वार जा रहे हैं, मथुरा जा रहे हैं, एक भी पंडित यहाँ नहीं आ रहा। इलाज इनका सबका होगा। इनकी सबकी लिस्ट बनेगी।”
बता दें कि सोशल मीडिया पर इस वीडियो को लिबरल गिरोह के लोगों द्वारा शेयर किया जा रहा है। वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी इस पर लिखते हैं, “मंदिर वाले सब कहाँ चले गए? एक भी भंडारा नहीं? ज़रा सिख समुदाय से ही सीख लो। … जो बोले सो निहाल …”
वहीं मनीष सिंह लिखते हैं, “सौ आने सच बोल रहे हैं टिकैत जी, सच में हम हिंदुओं को सिख भाइयों के प्यार से बिना भेदभाव के चलने वाले भंडारे से सीखने की जरूरत है। साथ ही किसानों को भी उनकी बात पर हँस कर उसको हँसी में नहीं उड़ाना चाहिए, वो व्यंगात्मक लहजे में बोल रहे हैं लेकिन उसको गम्भीरता से सुनने की जरूरत है।”
सौ आने सच बोल रहे हैं टिकैत जी, सच मे हम हिंदुओं को सिख भाइयों के प्यार से बिना भेदभाव के चलने वाले भण्डारे से सीखने की जरूरत है साथ ही किसानों को भी उनकी बात पर हंस कर उसको हंसी में नहीं उड़ाना चाहिए,वो व्यंगात्मक लहजे में बोल रहे हैं लेकिन उसको गम्भीरता से सुनने की जरूरत है।
— Manish Singh (@Man21Singh) December 25, 2020
इसके अलावा यह भी गौरतलब हो कि आज के दिन सोशल मीडिया पर मनुस्मृति दहन दिवस को सोशल मीडिया पर ट्रेंड करवाया जा रहा है। इस ट्रेंड को जोड़ करके लोग सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं, “देश का किसान अपनी सही जगह पर है, इन्हें अडानी-अंबानी के चमचे, दलाल दोगले बीजेपी के नेता और मंत्री, मंदिरों में बैठे हुए फ्री का खाने वाले पंडे-पुरोहित, आरएसएस के फर्जी देशभक्त और खुद प्रधानमंत्री फेकू नाथ जी गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।”
देश का किसान अपनी सही जगह पर है इन्हें अदानी अंबानी के चमचे,दलाल दोगले बीजेपी के नेता और मंत्री,मंदिरों में बैठे हुए फ्री का खाने वाले पंडे पुरोहित,आर एस एस के फर्जी देशभक्त ,और खुद प्रधानमंत्री फेकू नाथ जी गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।।#मनुस्मृति_दहन_दिवस https://t.co/Owy6xuEhUg
— SC/ST/OBC/MINORITY EKTA MISSION (@ShashiRangare) December 25, 2020