Sunday, December 22, 2024
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26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर रैली होगी या नहीं – पुलिस तय करेगी: SC ने कहा – ‘कानून-सम्मत कार्रवाई के लिए स्वतंत्र’

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो कानून-व्यवस्था के मसलों पर फैसला लेने के लिए 'फर्स्ट अथॉरिटी' नहीं। पुलिस इन मामलों को निपटेगी। दिल्ली के भीतर रैली निकालने की अनुमति किसे है, किसे नहीं या कितने लोग आएँगे - ये सब कुछ पुलिस तय करेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने ‘किसान आंदोलन’ को लेकर सोमवार (जनवरी 22, 2021) को सुनवाई की। इस दौरान मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा कि गणतंत्र दिवस के दिन किसान संगठनों की ट्रैक्टर रैली को लेकर दिल्ली पुलिस निर्णय लेगी। उन्होंने अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से कहा कि किसे दिल्ली की सीमा के भीतर रैली निकालने की अनुमति देनी है, किसे नहीं या कितने लोग आएँगे – ये सब कुछ पुलिस तय करेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो इन कानून-व्यवस्था के मसलों पर फैसला लेने के लिए ‘फर्स्ट अथॉरिटी’ नहीं है, पुलिस इन मामलों को निपटेगी। दिल्ली पुलिस ने सर्वोच्च न्यायालय में इन्जंक्शन एप्लीकेशन देकर अपील की थी कि 26 जनवरी के दिन प्रस्तावित किसान संगठनों की ट्रैक्टर रैली पर रोक लगाई जाए। जनवरी 12 को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया था, जिस पर आज सुनवाई हुई। वहीं अब किसान नेताओं के भी तेवर बदले नजर आए।

जहाँ मीडिया के सामने किसान संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट की कमिटी के साथ बातचीत करने से इनकार कर दिया था, वहीं अब भारतीय किसान यूनियन (लोकशक्ति) ने एक याचिका देकर समिति के पुनर्गठन की माँग की है, जिसके एक सदस्य भूपिंदर सिंह मान ने इससे खुद को अलग कर लिया था। पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के लागू होने पर रोक लगा दी थी।

इस बार CJI बोबडे के साथ जस्टिस एलएन राव और जस्टिस विनीत शरण की पीठ ने इस मामले को सुना। इससे पहले जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यन ने सुनवाई की थी। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि गणततंत्र दिवस के दिन बिना अनुमति 5000 प्रदर्शनकारियों का इस तरह से राजधानी में घुस जाना अवैध है। इस पर CJI ने कहा कि आप अपने अधिकार-क्षेत्र में से हर प्रकार की कानून-सम्मत कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र हैं।

AG का जोर इस बात पर था कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में आदेश पारित करे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या अब केंद्र सरकार को वो ये कहेंगे कि आपके पास कानून के अंतर्गत शक्तियाँ हैं या नहीं? इस पर AG ने स्पष्ट किया कि फ़िलहाल यूनियन ऑफ इंडिया एक ऐसी समस्या और परिस्थिति से गुजर रहा है, जैसा पहले नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जब इस मामले को हाथ में लिया है तो उसे ये आदेश देना चाहिए।

इस पर CJI बोबडे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले को अपने हाथ में नहीं लिया है और सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप को इस मामले में लोगों ने ठीक से समझा नहीं है। चूँकि आज अलग पीठ सुनवाई कर रही थी, इसीलिए सुप्रीम कोर्ट अब बुधवार को इस मामले को सुनेगा। किसान संगठनों की तरफ से अधिवक्ता दुष्यंत दवे सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे। CJI ने कहा कि वो बुधवार को सभी पक्षों को सुनेंगे।

इससे पहले अदालत की चिंता को दरकिनार करते हुए किसान नेताओं ने बयान दिया था कि किसान आंदोलन वापस नहीं लिया जाएगा। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा था, “कानून अपना काम करता रहेगा, लेकिन हमारा आंदोलन चलता रहेगा। हम संतुष्ट नहीं हैं। जब तक बिल वापसी नहीं होगी। हमारी भी घर वापसी नहीं होगी। कानून तो इन्हें वापस करना होगा।” 26 जनवरी की ट्रैक्टर रैली को लेकर भी वो अड़े हुए हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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