Friday, October 18, 2024
Homeफ़ैक्ट चेकफैक्ट चेक: गोरखनाथ मंदिर के बारे में 'द वायर' की पत्रकार ने फैलाया फेक...

फैक्ट चेक: गोरखनाथ मंदिर के बारे में ‘द वायर’ की पत्रकार ने फैलाया फेक न्यूज़, ट्विटर पर छिड़ा घमासान

आरफ़ा खानम शेरवानी ने ट्वीट कर बताया कि वह गोरखपुर में हैं- इमामबाड़े में। साथ में उन्होंने यह बताया कि योगी आदित्यनाथ का मठ, जिसके वह मठाधीश हैं, एक मुस्लिम नवाब आसिफ़-उद्-दौला के ‘अहसान’ से बना है। यानि एक तरह से, अव्यक्त तौर पर, हिन्दुओं को उनके ‘शासित’ स्टेटस की याद दिला दी।

यह तो सर्वविदित है कि वामपंथियों, इस्लामियों और पत्रकारिता के समुदाय विशेष के लोगों को हिन्दू धर्म से सख्त नफ़रत है। अब ऐसे में अगर कोई इन तीनों विशेषताओं से लैस हो, जैसे ‘द वायर’ की आरफ़ा खानम शेरवानी, तो ज़ाहिर है हिन्दुओं को नीचा दिखाने के लिए किसी भी हद तक खुद नीचे जाया जा सकता है- फ़ेक न्यूज़ भी फैलाई जा सकती है। शेरवानी जी ने भी यही किया- यह बात और है कि सोशल मीडिया पर पकड़ीं गईं।

हिन्दू मंदिर को बताया मुगल शासक के ‘अहसानों’ की ज़मीं पर बना

आरफ़ा खानम शेरवानी ने ट्वीट कर बताया कि वह गोरखपुर में हैं- इमामबाड़े में। साथ में उन्होंने यह बताया कि योगी आदित्यनाथ का मठ, जिसके वह मठाधीश हैं, एक मुस्लिम नवाब आसिफ़-उद्-दौला के ‘अहसान’ से उनके द्वारा दान की गई जमीन पर बना है। यानि एक तरह से, अव्यक्त तौर पर, हिन्दुओं को उनके ‘शासित’ स्टेटस की याद दिला दी।

ट्रू इंडोलॉजी ने दिखाया आईना

भारत के इतिहास के बारे में वामपंथी इतिहासकारों द्वारा फैलाए जा रहे भ्रम को दूर करने के लिए जाने जाने वाले ट्विटर हैंडल ट्रू इंडोलॉजी ने आरफ़ा खानम के ट्वीट पर एक के बाद एक ट्वीट कर फैक्ट-चेक करना शुरू किया। उन्होंने यह दिखाया कि कैसे यह मंदिर कम-से-कम 800 साल पुराना है, जबकि शेरवानी जी के प्रिय नवाब आसिफ़-उद्-दौला केवल सवा दो सौ साल पहले के।

उन्होंने अलग-अलग किताबी और आर्कियोलोजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया आदि का सन्दर्भ देकर आरफा खानम के झूठ के गुब्बारे को पंचर कर दिया। साथ ही यह भी बताया कि इस अफ़वाह की शुरुआत कहाँ से हुई।

हिन्दूफोबिया से निकला है यह झूठ  

सवाल केवल एक ऐतिहासिक तथ्य का नहीं है- उसमें गलती किसी से भी हो सकती है। पर आरफ़ा खानम के ट्वीट एक नैरेटिव बुनने के लिए था- हिन्दुओं को मानसिक रूप से दबाने और इस्लामी संप्रभुता को अपने ऊपर स्वीकार कर लेने का नैरेटिव। यह एक अकेली या विशेष घटना नहीं, एक श्रृंखला का हिस्सा है, जिसका अंतिम ध्येय पिछले हज़ार वर्षों से अधिक समय से यही रहा है कि किसी तरह हिन्दू अपनी संस्कृति, सभ्यता, अपने धर्म को आक्रान्ताओं से निम्न कोटि का मान लें, जिससे उन्हें ‘इकलौते सच’ का मुरीद बनाया जा सके। और पत्रकारिता का समुदाय विशेष इस पाक जंग की पहली पंक्ति की टुकड़ी है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘टुकड़े-टुकड़े कर रामगोपाल मिश्रा के शव को कर देते गायब’: फायरिंग के बीच हिंदू युवक को बचाने जो अब्दुल हमीद की छत पर पहुँचा,...

किशन ने बताया कि जब वो रामगोपाल का शव लेने गए तो सरफराज ने उनपर भी गोली चलाई, अगर वो गोली निशाने पर लगती तो शायद उनका भी शव अब्दुल हमीद के घर में मिलता।

बांग्लादेश को दिए गौरव के कई क्षण, पर अब अपने ही मुल्क नहीं लौट पा रहे शाकिब अल हसन: अंतिम टेस्ट पर भी संशय,...

शाकिब के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर का अंत अब बिना आखिरी टेस्ट खेले ही हो सकता है। उनके देश वापसी को लेकर फिलहाल कोई स्पष्टता नहीं है, और वे दुबई से अमेरिका लौट सकते हैं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -