कॉन्ग्रेस ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के एक बयान को लेकर बुधवार (अप्रैल 28, 2021) को उन पर निशाना साधा और उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त करने की माँग की। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने यह भी कहा कि भारत के सभी लोगों को मूर्ख समझ रही सरकार के खिलाफ जनता को विद्रोह कर देना चाहिए।
उन्होंने ट्वीट किया, ”मैं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के बयान से आक्रोशित हूँ। मैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उस बयान से भी आक्रोशित हूँ कि प्रदेश में टीके की कोई कमी नहीं है।” चिदंबरम ने कहा कि जनता को उस सरकार के खिलाफ विद्रोह करना चाहिए जो यह मानकर चल रही है कि भारत के सभी लोग मूर्ख हैं।
I am appalled by the statement of the Union Health Minister that there is no shortage of oxygen or vaccines or Remedesivir.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) April 28, 2021
I am also appalled by the statement of the U.P. Chief Minister that there is no shortage of vaccines in U.P.
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि क्या सभी टीवी चैनल झूठे व्यूजुअल्स चला रहे हैं? क्या सभी न्यूजपेपर्स की खबरें गलत हैं? क्या सभी डॉक्टर्स झूठ बोल रहे हैं? परिवार के सदस्य क्या गलत बयान दे रहे हैं? सभी तस्वीरें क्या झूठी हैं?
वहीं, कॉन्ग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने भी सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा, ”अस्पतालों में उपचार नहीं मिल रहा है। ऑक्सीजन की कमी बरकरार है। लोग त्राहिमाम कर रहे हैं। श्मशान और कब्रिस्तानों में जगह नहीं बची है। इस स्थिति के बावजूद स्वास्थ्य मंत्री कहते हैं कि इस साल स्थिति पिछले साल से बेहतर है।”
उन्होंने आरोप लगाया, ”ऐसा लगता है कि वो मानवता का मूल धर्म भूल चुके हैं। सत्ता के अहंकार में इतने चूर हैं कि वो लोगों की वेदना भूल गए हैं।” सुप्रिया ने कहा, ”हर्षवर्धन के अंदर नैतिकता नहीं है कि इस्तीफा देंगे। इनको तत्काल बर्खास्त किया जाना चाहिए।” गौरतलब है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन मंगलवार को एक वेबिनार में कहा था कि 2021 में देश पिछले साल की तुलना में महामारी को हराने के लिए अधिक अनुभव के साथ मानसिक और भौतिक रूप से बेहतर तैयार है।
बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर से पूरा देश जूझ रहा है। कहीं ऑक्सीजन की कमी है तो कहीं मरीजों के लिए अस्पतालों में बेड कम पड़ने लगे हैं। हर दिन कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या रिकॉर्ड तोड़ रही है और देश की स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी दबाव पड़ रहा है, जिससे अफरा-तफरी दिखाई दे रही है। ऐसे में हालात ने सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि करोना ने इतना खतरनाक रूप धारण कर लिया और पिछले साल से भी इस साल की स्थिति ज्यादा खराब हो गई।
जब पिछले कुछ महीनों पर नजर डालते हैं तो पता चलता है कि कोरोना संक्रमण के मामले कम आने से कई राज्यों ने मान लिया था कि अब कोरोना जा चुका है। कोरोना के मरीज न होने के कारण राज्य सरकारों ने जो कोविड सेंटर पिछली बार तैयार किए थे उसे बंद कर दिया। वहाँ लगे वेंटिलेटर और मशीनों को पैक कर दिया गया। जब जनवरी में वैक्सीनेशन की शुरुआत हुई तो इसको कोरोना पर अंतिम प्रहार माना गया। लेकिन इसके साथ ही शुरू हुई लापरवाही और सियासत।
कॉन्ग्रेस शासित राज्यों ने वैक्सीन को लेकर सियासत शुरू की। केंद्र सरकार पर हमले होने लगे। जहाँ महाराष्ट्र की उद्धव सरकार वसूली और अन्य मामलों पर ध्यान देने लगी, तो वहीं दिल्ली की केजरीवाल सरकार को पंजाब और उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव नजर आने लगा। इस सियासी बिसात पर किसान नेताओं को आगे किया गया और दिल्ली को बंधक बना लिया गया। कृषि कानूनों के विऱोध के नाम पर सियासत को प्राथमिकता दी गई और कोरोना को नजरअंदाज किया जाने लगा। इसका नतीजा हुआ कि कोरोना ने फिर वापसी की।
दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है, तो मुंबई देश की आर्थिक राजधानी है। यहाँ की गतिविधियों का असर पूरे देश पर पड़ता है। कोरोना की दूसरी लहर ने सबसे पहले इन दो शहरों को अपने आगोश में लिया। इसके बाद छत्तीसगढ़ में हालता बिड़ने लगे। राजस्थान और अन्य राज्यों में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने लगे। 1 अप्रैल, 2021 के बाद से इतनी तेजी से संक्रमण हुआ कि पूरे देश में हाहाकार मच गया। कॉन्ग्रेस शासित महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में हालात काफी बिगड़ गए। पूरे देश के कोरोना संक्रमण के कुल मामलों में आधे से अधिक कॉन्ग्रेस शासित पाँच राज्यों में है। मगर कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम अपनी पार्टी के राज्यों में सुधार करने की बजाय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन पर निशाना साध रहे हैं और जनता को विद्रोह के लिए उकसा रहे हैं।
मोदी सरकार ने महामारी के मामले में जरूरी चीजों से लैस करने के लिए पेशेवर तरीके से कदम उठाए हैं। महामारी की दूसरी लहर के नागरिकों की दिक्कतों और कष्टों को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। केंद्र ने कहा, रेमडेसिविर की माँग बढ़ने पर सेंट्रल औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने सात मैन्युफैक्चरर्स की 22 मैन्युफैक्चरिंग साइट को अनुमति दी। साथ ही 12 अप्रैल को तत्काल अतिरिक्त मैन्युफैक्चरिंग साइट को मंजूरी दी है। सरकार ने कहा कि हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं।
आइए जानते हैं मोदी सरकार ऑक्सीजन के लिए क्या कर रही है ?
- 7 अप्रैल, 2020 को मेडिकल ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए 24 घंटे में लाइसेंस देने का इंतजाम किया।
- अप्रैल-मई 2020 में 1,02,400 ऑक्सीजन सिलेंडर राज्यों को दिए गए।
- 20 सितंबर, 2020 को लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन के दाम निर्धारित किए गए।
- 5 जनवरी, 2021 को 162 PSA प्लांट लगाने के लिए 201 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।
- 16 अप्रैल, 2021 को 50, 000 एमटी ऑक्सीजन के लिए ग्लोबल टेंडर दिए गए।
- 18 अप्रैल, 2021 को ऑक्सीजन के औद्योगिक इस्तेमाल पर रोक लगाई गई और ग्रीन कॉरिडोर बनाकर ऑक्सीजन एक्सप्रेस की शुरुआत की गई।
- 22 अप्रैल, 2021 को ‘ऑपरेशन ऑक्सीजन’ की शुरुआत की गई।
- 25 अप्रैल, 2021 को हर जिले में ऑक्सीजन प्लांट लगाने का फैसला लिया गया।