टिकरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन के बीच एक 26 साल की युवती का यौन उत्पीड़न हुआ और किसान नेता योगेंद्र यादव इस पर चुप रहे। 8 मई को जब युवती के पिता ने इस बाबत थाने में शिकायत दी तब पता चला कि यादव को लड़की के साथ हुए दुष्कर्म का पहले से अंदाजा था।
इसके बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यादव ने अपने ऊपर लग रहे आरोपों पर सफाई दी। उन्होंने स्वीकारा कि उन्हें पता था लड़की के साथ कुछ गलत हुआ है। यादव ने कहा कि चुनाव के मद्देनजर किसान सोशल आर्मी की ओर से 1 अप्रैल को कुछ सदस्य बंगाल पहुँचे। वहाँ उन्हें लड़की मिली जिसने प्रदर्शन में शामिल होने की इच्छा जाहिर की।
यादव के मुताबिक, शीर्ष नेताओं को इसकी जानकारी तक नहीं थी। 18-19 अप्रैल को जब वह बीमार हुई, उसे दवाइयाँ दी गई।उसमें कोविड के लक्षण थे। उसे अस्पताल ले जाया गया। 22-23 अप्रैल तक उसकी हालत बिगड़ती रही। यादव के अनुसार, 24 तारीख को जाकर उनको बंगाल से आई युवती का पता चला, वो भी तब जब उसके पिता ने उन्हें मदद के लिए संपर्क किया।
यादव स्वीकार करते हैं कि उन्होंने अपनी बांग्ला भाषी पत्नी को लड़की से बात करने को कहा, जहाँ लड़की ने उन्हें अपने शोषण की हल्की-फुल्की हिंट दी। 25 अप्रैल को यादव ने खुद उसको संपर्क किया लेकिन लड़की के पिता ने कहा कि उसे कहीं और ले जाया गया है। ये जानने के बाद यादव ने लड़की को फोन किया और उससे बात की।
यादव कहते हैं, “चूँकि मैं बांग्ला थोड़ी बोलता हूँ, मैंने उससे पूछा कि क्या उसे ले जाने वाले लोग अच्छे लोग हैं, उसने कहा कि नहीं। मुझे संदेह हुआ। मैंने उसे उन लोगों से बात करवाने को कहा। जब मैंने उनके साथ बात की, तो अनिल और अनूप कार में थे। मैंने उनसे पूछा कि वे उसे कहाँ ले जा रहे हैं। उन्होंने मुझे सूचित किया कि वे उसे अपने पिता के पास बंगाल ले जा रहे हैं।”
यादव कहते हैं कि उन्हें उन दोनों ने कहा कि वह आगरा क्रॉस कर गए हैं। हालाँकि जब लोकेशन भेजने की बात आई तो लोकेशन हरियाणा की निकली। उन्होंने दोबारा युवती को फोन किया और दोनों से कहा कि अगर बात को गंभीरता से नहीं लिया तो एक्शन लिया जाएगा। इसलिए कार को तुरंत दिल्ली लेकर आओ।
25 अप्रैल को लड़की के दिल्ली लौटते ही योगेंद्र यादव ने उसे अस्पताल में भर्ती करवाने के इंतजाम किए। 29 अप्रैल को उसके पिता यहाँ आए, लेकिन 30 तारीख को लड़की ने दम तोड़ दिया। 1 मई को युवती के पिता योगिता नाम की महिला के साथ यादव के पास गए और कहा कि ये सब सिर्फ कोविड के कारण नहीं हुआ, बल्कि उससे ज्यादा के कारण हुआ।
अब यहाँ यादव स्वीकारते हैं कि 1 मई को उन्हें पता चल चुका था कि लड़की का यौन उत्पीड़न हुआ। 3 मई को प्रदर्शनस्थल पर कमेटी बैठी और सबने पीड़िता को अपना समर्थन दिया। उन्होंने किसान सोशल आर्मी का टेंट वहाँ से हटवा दिया, उनका बॉयकॉट किया। लेकिन सबकुछ जानने के बावजूद मामले की शिकायत पुलिस में नहीं की।
#Live | Kisan leader @_YogendraYadav reacts to charges of a girl being raped at the Tikri border protest site. ‘SKM has a clear stand on this. There is no question of putting things under the rug. We want the case to reach its logical conclusion’.
— TIMES NOW (@TimesNow) May 10, 2021
Listen in. | #KisanProtestTaint pic.twitter.com/WIW6lusr6l
हाल में दैनिक भास्कर की खबर के बाद जब योगेंद्र यादव की भूमिका का खुलासा हुआ तो उनपर खुलकर मामले को दबाने के आरोप लगने लगे। ऐसे में उन्होंने जवाब दिया कि उन्होंने सोचा था कि मामले में शिकायत का पहला अधिकार घरवालों का है। टाइम्स नॉउ से बातचीत में योगेंद्र यादव ने कहा कि वे मामले को लेकर स्पष्ट थे। परिवार का अधिकार था कि वह कानून के पास जाए। अगर परिवार इस संबंध में शिकायत नहीं करता तो वे लोग करवाते।
उल्लेखनीय है कि 30 अप्रैल को लड़की की मृत्यु के एक हफ्ते बाद तक उसे शहीद कहकर किसान आंदोलन को तूल दिया जा रहा था। लेकिन 8 मई को बहादुरगढ़ में जब लड़की के पिता ने उसके यौन शोषण की शिकायत दी तो सारी हकीकत खुली। शिकायत में 6 लोगों के नाम हैं- अनिल मलिक, अनूप सिंह छनौत, अंकुर सांगवान, कविता आर्या, जगदीश ब्रार और योगिता सुहाग। इनमें से अनिल और अनूप पर लड़की के साथ दुष्कर्म करने की बात सामने आई है। पुलिस ने इनके विरुद्ध आईपीसी की धारा 120बी, 342, 354,365, 376D और 506 मुकदमा दर्ज किया है।