Sunday, December 22, 2024
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2 से अधिक बच्चे हैं तो सुविधाओं में कटौती, सरकारी नौकरी भी नहीं: UP में जनसंख्या नियंत्रण कानून पर काम शुरू

असामाजिक तत्वों व संगठित समूहों द्वारा जमीन पर अवैध कब्जा रोकने, निर्विवाद उत्तराधिकार, उन्मादी हिंसा पर रोकथाम और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण को लेकर कानून बनाने के प्रस्तावों पर विचार चल रहा है।

उत्तर प्रदेश में जल्द ही नियंत्रण के लिए कुछ ठोस कदम उठाए जा सकते हैं। ‘हम दो, हमारे दो’ की राह पर चलने वालों को अच्छी खबर मिल सकती है। देश की सर्वाधिक जनसंख्या वाले राज्य में 2 से अधिक बच्चों वाले अभिभावकों को सरकारी सुविधाओं से वंचित किया जा सकता है। राज्य विधि आयोग ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाने का मसौदा तैयार करना शुरू कर दिया है। आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एएन मित्तल के मुताबित, राजस्थान व मध्य प्रदेश में लागू कुछ कानूनों का इसके लिए अध्ययन किया जा रहा है।

‘दैनिक जागरण’ की खबर समेत विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स में ये जानकारी दी गई है। इसके अनुसार, आयोग अपना अध्ययन कर के जल्द ही योगी आदित्यनाथ की सरकार को रिपोर्ट सौंप सकता है। लव जिहाद से लेकर गोरक्षा और उपद्रवियों से सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की वसूली तक, योगी सरकार में कई अहम कानून पारित हुए हैं। अब दो से अधिक बच्चों के पैरेंट्स को सरकारी सुविधाओं से वंचित किए जाने संबंधी प्रस्ताव पर अध्ययन हो रहा है।

राशन व अन्य सब्सिडी वाली सुविधाओं सहित बाकी सरकारी योजनाओं में ऐसे अभिभावकों को मिलने वाली सुविधाओं में कितनी कटौती की जा सकती है, इस पर विचार हो रहा है। सबसे बड़ा मुद्दा ये है कि किस समय सीमा के आधार पर ऐसे अभिभावकों को कानून के दायरे में लाया जाए और सरकारी नौकरी में उनके लिए क्या नियम तय किए जाएँ, इस पर विचार हो रहा है। योगी सरकार इसके लिए बेरोजगारी और भूखमरी जैसी समस्याओं को भी ध्यान में रख रही है।

ज्ञात हो कि राज्य विधि आयोग की सिफारिश पर ही उत्तर प्रदेश में गो-वध निवारण (संशोधन) अधिनियम-2020 बना था। राज्य में किन्नर समुदाय के सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक उत्थान, कृषि तथा संपत्ति में उत्तराधिकार को लेकर भी कानून बना। धर्म परिवर्तन विरोधी कानून का मसौदा भी आयोग ने ही तैयार किया था। महिलाओं से लूट की घटना रोकने के लिए आयोग ने विशेष प्रस्ताव दिया। संपत्ति नुकसान के बाद वसूली वाला कानून भी बना।

फिलहाल राज्य विधि आयोग के कई प्रस्तावों पर विचार चल रहा है। असामाजिक तत्वों व संगठित समूहों द्वारा जमीन पर अवैध कब्जा रोकने, निर्विवाद उत्तराधिकार, उन्मादी हिंसा पर रोकथाम और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण को लेकर कानून बनाने के प्रस्तावों पर विचार चल रहा है। सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक ढाँचा बना देने से लेकर सरकारी स्थल पर धार्मिक गतिविधियों को भी रोक लगाने का प्रस्ताव सरकार के पास है।

उधर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ उठाने के लिए 2 बच्चों की नीति (Two-Child Policy) को लागू करने का फैसला किया है। घोषणा के अनुसार कर्जमाफी या अन्य सरकारी योजनाओं के लाभ लेने के लिए यह अनिवार्य होगा। कुछ विशेष समुदायों को 2 बच्चों की नीति (Two-Child Policy) से फिलहाल छूट दी गई है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा के अनुसार, चाय बागानों में काम करने वाले मजदूर और अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों पर फिलहाल यह नीति लागू नहीं होगी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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