महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (MVA) में दरार की अटकलों के बीच शिवसेना ने गुरुवार (जून 24, 2021) को अपने मुखपत्र सामना में कॉन्ग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उसके नेता राहुल गाँधी केवल ट्विटर पर सक्रिय हैं। इसमें कहा गया कि ये सच है कि राहुल गाँधी मोदी की कार्यशैली व उनकी गलतियों पर हमला करते हैं, लेकिन ‘ट्विटर’ के मैदान में।
गुरुवार को ‘6 जनपथ पर चाय-पान’ शीर्षक से लिखे गए संपादकीय में सामना में शरद पवार के दिल्ली के 6 ‘जनपथ’ स्थित निवास स्थान पर ‘राष्ट्रमंच’ नामक विपक्षी दलों के समूह की बैठक को लेकर लिखा। इसमें कहा गया, “कॉन्ग्रेस पार्टी ने ‘राष्ट्रमंच’ को महत्व नहीं दिया। असल में मंगलवार को शरद पवार ने विपक्ष को जो चाय-पान कराया, वैसा समारोह दिल्ली में राहुल गाँधी शुरू करें तो मरणासन्न विपक्ष के चेहरे पर ताजगी का भाव दिखने लगेगा।”
मुखपत्र में लिखा है, “प्रधानमंत्री मोदी व उनकी सरकार की लोकप्रियता पहले जैसी नहीं रही है, उसमें गिरावट आई है। परंतु उस गिरावट वाली जगह पर फिलहाल विपक्ष बढ़ रहा है, फल-फूल रहा है, ऐसा नजर नहीं आता। कुछ राज्यों के चुनाव में विपक्ष की जीत हुई, उस जीत की सरसराहट भी अब ठंडी पड़ गई। दिल्ली में डेरा डालकर बैठे और देश के समस्त विरोधी दलों से समन्वय स्थापित करे, ऐसी व्यवस्था इतने दिनों में स्थापित नहीं हो सकी है।”
इसमें आगे लिखा गया, “शरद पवार ये सब कर सकते हैं, परंतु फिर नेतृत्व का सवाल उठाया जा रहा है। कॉन्ग्रेस इस कार्य के लिए अगुवाई करे, ऐसी अपेक्षा की जाए तो कॉन्ग्रेस पार्टी खुद विगत कई महीनों से राष्ट्रीय अध्यक्ष के बिना ही डगमगा रही है। सच कहें तो कॉन्ग्रेस जैसी प्रमुख विरोधी पार्टी को इस पूरे घटनाक्रम में समानता के साथ उतरना चाहिए। विपक्ष को एकजुट करने के शरद पवार के प्रयास में राहुल गाँधी जैसे कॉन्ग्रेस के प्रमुख नेता को शामिल होना चाहिए। तभी विरोधी दल की एकत्रित शक्ति को वास्तविक बल प्राप्त हो सकेगा। ये सच है कि राहुल गाँधी मोदी की कार्यशैली पर, उनकी गलतियों पर हमला करते हैं लेकिन वह ‘ट्विटर’ के मैदान में।”
गौरतलब है कि पिछले दिनों शिवसेना नेता संजय राउत ने राहुल गाँधी की तारीफ करते हुए कहा था कि वे देश के प्रमुख नेता हैं और उनसे देश को बहुत उम्मीदें हैं। उन्होंने कहा कि राहुल गाँधी का नेतृत्व उनकी पार्टी के लिए प्रखर और प्रामाणिक है। उनके मन में देश के लिए सच्ची भावना है। उनका सपना है कि देश में कॉन्ग्रेस पार्टी एक बार फिर से मजबूत बने। आगे कहा गया कि जिस प्रकार से गाँधी परिवार को बदनाम करने की मुहिम सरकार द्वारा चलाई जा रही है। इससे यह स्पष्ट होता है कि दिल्ली के सत्ताधारी राहुल गाँधी से डरते हैं।