केरल कैथोलिक बिशप्स काउंसिल (KCBC) ने ईसाइयों की घटती जन्म दर पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि अगर इसी तरह ईसाइयों की संख्या घटती रही तो इस समुदाय का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।
केसीबीसी ने सर्कुलर जारी करते हुए कहा, ”पहले 1950 के दशक में केरल में ईसाइयों की आबादी का 24.6% थी, लेकिन अब यह घटकर 17.2% हो गई है। ईसाई 1.8% की न्यूनतम जन्म दर वाला समुदाय बन गया है। ऐसी स्थिति में पिछले महीने (जुलाई 2021) केरल कैथोलिक चर्च ने बड़े ईसाई परिवारों के लिए कल्याणकारी योजना की घोषणा की है।” केसीबीसी ने कहा कि अनुचित विकास नीतियों के कारण उत्पन्न होने वाले सामाजिक संकटों के लिए जनसंख्या में कमी को एकमात्र समाधान के रूप में मानना तर्कसंगत नहीं है।
इसमें कहा गया है, “चीन जैसे देश और कम जन्म दर वाले विभिन्न विकसित देश अब घटती जनसंख्या के दुष्प्रभावों के कारण अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर हैं।” इस महीने की शुरुआत में केसीबीसी के मानसून शिखर सम्मेलन के दौरान इस मामले पर चर्चा हुई थी।
जुलाई 2021 में पलाई सूबा के फादर जोसेफ कल्लारंगट द्वारा जारी एक सर्कुलर पर विवाद के बीच ईसाइयों के बीच घटती जन्म दर पर चिंता व्यक्त की गई है। इसमें जिन ईसाई परिवारों के 5 या उससे अधिक बच्चे हैं, उन्हें वित्तीय सहायता देने के बारे में बात की गई है।
कैथोलिक चर्च के तहत फैमिली एपोस्टोलेट के प्रमुख फादर जोसेफ ने समाचार एजेंसी पीटीआई को हाल ही में बताया था कि चर्च के पाला सूबा के तहत फैमिली एपोस्टोलेट द्वारा शुरू की गई पहल ने उन जोड़ों को 1,500 रुपए की मासिक वित्तीय सहायता देने का फैसला किया है, जिनकी शादी साल 2000 के बाद हुई थी और जिनके 5 या उससे अधिक बच्चे हैं।
बताया जाता है कि यह चर्च द्वारा ‘परिवार के वर्ष’ समारोह के हिस्से के रूप में घोषित किया गया था। यह पहल विशेष रूप से कोरोना काल में बड़े परिवारों को सहायता प्रदान करने के लिए है। फादर जोसेफ कुट्टियनकल ने कल्याणकारी घोषणा के संदर्भ में कहा था कि हम जल्द ही आवेदन प्राप्त करना शुरू कर देंगे और सबसे अधिक संभावना है, हम अगस्त से सहायता देने में सक्षम होंगे।