Monday, November 18, 2024
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीयपंजशीर की जमीन, जासूसों का नेटवर्क, नॉर्दर्न अलायंस के फाइटर: क्या तालिबान की कब्र...

पंजशीर की जमीन, जासूसों का नेटवर्क, नॉर्दर्न अलायंस के फाइटर: क्या तालिबान की कब्र खोद पाएँगे अमरुल्लाह सालेह

पंजशीर, अफगानिस्तान का एकमात्र ऐसा प्रांत है जो तालिबान के कब्जे से बाहर है और यहाँ एक बार फिर नॉर्दर्न अलायंस का झंडा बुलंद कर दिया गया है।

अफगानिस्तान से सटा हुआ देश है ताजिकिस्तान। यहाँ अफगानी दूतावास से देश छोड़ भागे राष्ट्रपति अशरफ गनी की फोटो हटा दी गई है। लेकिन वहाँ तस्वीर किसी तालिबानी शासक की नहीं, बल्कि अमरुल्लाह सालेह की लगाई गई है।

तालिबानी कब्जे से पहले सालेह अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति हुआ करते थे। ऐसे वक्त में जब राष्ट्रपति देश छोड़ भाग चुके हैं, फौज घुटने टेक चुकी है, अफगान नागरिक किसी भी तरह मुल्क से बाहर निकलना चाहते हैं, सालेह ने तालिबान के आगे झुकने से इनकार करते हुए खुद को अफगानिस्तान का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित किया है।

ध्यान देने वाली बात यह भी है कि ताजिकिस्तान के अफगान दूतावास में सालेह के साथ कमांडर अहमद शाह मसूद की तस्वीर भी लगाई गई है, जिन्हें ‘पंजशीर का शेर’ कहा जाता है। पंजशीर अफगानिस्तान का एकमात्र ऐसा प्रांत है जो तालिबान के कब्जे से बाहर है। माना जा रहा है कि सालेह भी यहीं हैं।

कौन हैं अमरुल्लाह सालेह?

अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति और खुफिया एजेंसी का पदभार सँभालने वाले सालेह तालिबान और पाकिस्तानी आतंकी संगठनों के विरोधी रहे हैं। उन्होंने हमेशा तालिबान का विरोध किया और आज की परिस्थिति में भी सालेह अफगानी नागरिकों से तालिबान के विरोध में खड़े होने की अपील कर रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक सालेह के नेतृत्व में प्रतिरोधी सेनाओं ने न केवल तालिबान के खिलाफ कार्रवाई की, बल्कि काबुल के उत्तरी हिस्से में स्थित परवान प्रांत के चरिकार इलाके से तालिबान को हटा दिया है।

खुफिया नेटवर्क की बात की जाए तो सालेह संभवतः अफगानिस्तान के सबसे बड़े नेतृत्वकर्ता हैं। सालेह ने अपने कार्यकाल के दौरान जासूसों का एक ऐसा नेटवर्क तैयार किया जो तालिबान, पाकिस्तानी आतंकी संगठन और ISIS पर पैनी नजर रखते हैं। सालेह के संबंध भारत के साथ भी हमेशा से ही बेहतर रहे हैं, खास तौर पर भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ (RAW) के साथ। अफगानिस्तान में तालिबान के शुरूआती दौर में जब इस्लामी संगठन के खिलाफ मसूद ने जंग का ऐलान किया था, तब सालेह उनके साथ थे। सालेह ने ही मसूद की मुलाकात भारतीय अधिकारियों से कराई थी जिससे मसूद को काफी सहायता मिली थी।

पंजशीर और नॉर्दर्न अलायंस

पंजशीर, अफगानिस्तान का एकमात्र ऐसा प्रांत है जो तालिबान के कब्जे से बाहर है और यहाँ एक बार फिर नॉर्दर्न अलायंस का झंडा बुलंद कर दिया गया है। 2001 के बाद एक बार फिर पूरे पंजशीर में नॉर्दर्न अलायंस के झंडे दिखाई दे रहे हैं जो इस बात की गवाही दे रहे हैं कि पंजशीर आज भी तालिबान के आगे नहीं झुका है। पंजशीर के बारे में खास बात यह है कि सालेह यहीं के रहने वाले हैं और तालिबान के प्रखर विरोधी रहे कमांडर अहमद शाह मसूद को भी ‘पंजशीर का शेर’ कहा जाता है। सालेह, मसूद को अपना नायक मानते हैं और कहते हैं कि वो कभी भी अपने नायक के साथ गद्दारी नहीं करेंगे।

सालेह की पंजशीर से कई फोटो भी सामने आईं जहाँ वो लोगों के साथ बैठकर चर्चा कर रहे हैं। अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद के नेतृत्व में तालिबान विरोधी सेनाएँ लगातार मजबूत हो रही हैं। नॉर्दर्न अलायंस एक तालिबान विरोधी आंदोलन था जो 1996 के दौरान मजबूत हुआ था। अहमद शाह मसूद के नेतृत्व में पहले इस आंदोलन में ताजिकिस्तान मूल के कुछ समूह जुड़े थे, लेकिन समय के साथ इसमें कई अफगानी समूह भी शामिल होते गए।

अब जबकि सालेह ने खुद को अफगानिस्तान का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित कर दिया है और उनके नेतृत्व में तालिबान विरोधी सेनाएँ भी सक्रिय दिखाई दे रही हैं तो संभावना है कि अफगानिस्तान में सालेह और नॉर्दर्न अलायंस के नेतृत्व में एक बार फिर तालिबान विरोधी आंदोलन उठ खड़ा हो और यह भी संभव है कि इस आंदोलन का केंद्र भी पंजशीर ही बने जहाँ तालिबान अपने इतिहास में कभी कदम भी नहीं रख पाया। एक सवाल यह भी है कि क्या अमरुल्लाह सालेह ‘अफगानिस्तान के शेर’ बन पाएँगे, क्योंकि इसी तालिबान ने उनकी बहन की हत्या की थी।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ओम द्विवेदी
ओम द्विवेदी
Writer. Part time poet and photographer.

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

झारखंड में ‘वर्ग विशेष’ से पत्रकार को भी लगता है डर, सवाल पूछने पर रवि भास्कर को मारने दौड़े JMM कैंडिडेट निजामुद्दीन अंसारी: समर्थकों...

झारखंड से JMM प्रत्याशी निजामुद्दीन अंसारी ने पत्रकार रवि भास्कर पर हाथ उठाने की कोशिश की और उनके समर्थकों ने पीछे पड़कर उनका माइक तोड़ डाला।

मणिपुर सरकार से बाहर हुई NPP, दिल्ली में मैतेई महिलाओं का प्रदर्शन: अमित शाह की हाई लेवल मीटिंग, 2 साल के बच्चे-बुजुर्ग महिला की...

NPP ने मणिपुर की NDA सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। NPP ने यह फैसला मणिपुर में हाल ही में हुई हिंसा के बाद किया है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -