राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने हाल ही में एंटीलिया केस और मनसुख हिरेन की हत्या के मामले में चार्जशीट दाखिल की है। इसके बाद से मीडिया रिपोर्टों में लगातार हैरान करने वाली जानकारी सामने आ रही है। चार्जशीट से यह बात सामने आई है कि मुंबई पुलिस के बर्खास्त सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे ने सैलरी पर एक कॉलगर्ल रख रखा था। दो मौकों पर उसे लाखों रुपए के नोट गिनने को दिए थे।
इस कॉल गर्ल के साथ सचिन वाजे को साउथ मुंबई के पाँच सितारा होटल को छोड़ते हुए सीसीटीवी में देखा गया था। उस समय तक यह पूरा विवाद शुरू नहीं हुआ था। अब इसी महिला को लेकर खुलासा हुआ है कि वह एक 36 साल की सिंगल मदर है, जिसकी मुलाकात वाजे से 2011 में हुई थी। उस समय वह कॉल गर्ल का काम करती थी। NIA की पूछताछ में उसने कहा कि उसे याद नहीं है कि वाजे ने खुद को पुणे में पहली मुलाकात के समय ‘संजय’ कहा या ‘सुनील’। मगर, कुछ समय लगातार मिलने के बाद उसने अपनी असल पहचान बताई।
18 फरवरी को वाजे के साथ ओबरॉय होटल की सीसीटीवी फुटेज में दिखने पर महिला ने बताया कि वो फरवरी में दो बार वाजे के साथ होटल में रुकी क्योंकि वाजे ने उसे एक बार 40 लाख रुपए और दूसरी बार 36 लाख रुपए गिनने को दिए थे। उसके मुताबिक, 40 लाख उसे तब मिले जब 15 या 16 फरवरी को पुलिस कमीशनर दफ्तर में चौथे माले पर बुलाया गया था। यहाँ से पैसे लेकर वह लोकल ट्रेन से मीरा रोड स्थित घर गई। वाजे ने उसे कहा था कि वो सारे पैसे गिने, फिर पुराने नोट हटाए और 786 सीरियल नंबर वाले नोट अलग करे।
इसके बाद 19 फरवरी को जब वह होटल छोड़ रही थी, तो वाजे ने उसे दोबारा 36 लाख रुपए दिए, जिसे 20 फरवरी को महिला ने वाजे को उसी होटल में लौटा दिया। महिला के मुताबिक, वाजे ने उसे साल 2020 में कहा था कि वह कॉल गर्ल का काम छोड़ दे और बढ़िया तरीके से कमाई करे। अगस्त 2020 से वो उसे उसके खर्चे के लिए 50 हजार रुपए दे रहा था। दोनों एक दूसरे से साउथ मुंबई के होटल में मिलते थे।
महिला का दावा है कि एक बेरोजगार और गाली-गलौच करने वाले पति के कारण उसे कॉल गर्ल बनना पड़ा था। जब उसका बच्चा 2 माह का था तभी उसे पति से अलग होना पड़ा। इसके बाद उसकी मुलाकात सचिन वाजे से हुई। वाजे ने उसे कहा कि वो उसको दूसरों से अलग लगती हैं क्योंकि वह न तो स्मोक करती थी, न ड्रिंक और न ही ड्रग लेती थी। उससे एक बार मिलने के बाद वाजे उसे बार-बार कॉल करता रहा और मिलने को बुलाया, जिसके कारण 2-3 दिन बाद फिर मुलाकात हुई। इस बार उसने कहा कि वो एक बिजनेसमैन है।
ये महिला एक बैंक लॉक भी ऑपरेट करती थी जिसे दोनों लोग इस्तेमाल करते थे। इस अकॉउंट से उसने 5 लाख रुपए 18 मार्च को निकाले थे। यानी कि वाजे की गिरफ्तारी के कुछ दिन बाद। महिला कहती है कि उसने ये पैसा अपने भाई को देने के लिए निकाला था और कहा था कि एक अच्छा वकील कर लें ताकि उसके फँसने पर उसे बेल दिलवा सके। पैसे देने का बाद महिला अपने बच्चे के साथ 31 मार्च को होमटाउन चली गई और जब अगले दिन आई तो भाई ने बताया कि NIA उसे खोज रही है।
NIA की पूछताछ में महिला ने यह भी बताया कि सचिन वाजे ने ही उसे एक कंपनी में डायरेक्टर बनवाया था, लेकिन इस कंपनी के अकाउंट में 1.25 करोड़ रुपए कहाँ से आए, इस बारे में उसे जानकारी नहीं है। वो बस ब्लैंक चेक पर साइन करती थी।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले यह बात सामने आई थी कि उद्योगपति मुकेश अंबानी के मुंबई स्थित घर एंटीलिया के बाहर विस्फोटक लदी कार रखने से पहले सचिन वाजे महाराष्ट्र के तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख से मिला था। साथ ही यह भी पता चला था कि मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिह ने इस मामले में रिपोर्ट बदलने के लिए 5 लाख रुपए दिए थे।
NIA द्वारा दायर 10,000 पन्नों की चार्जशीट से पता चलता है कि पूर्व पुलिस प्रमुख परमबीर सिंह ने इस मामले में आतंकी समूह जैश-उल-हिंद की संलिप्तता का हवाला देकर जाँच को गुमराह किया था। एक साइबर एक्सपर्ट के बयान के मुताबिक सिंह ने रिपोर्ट में आतंकी संगठन की भूमिका का जिक्र करने के लिए 5 लाख रुपए दिए थे।
चार्जशीट के मुताबिक 16 साल बाद वाजे की मुंबई पुलिस में दोबारा बहाली हुई तो उसने ‘सुपर कॉप’ के तौर पर अपनी पुरानी प्रतिष्ठा हासिल करने के लिए पूरी साजिश रची। इसके लिए उसने उगाही से इकट्ठा रकम का इस्तेमाल किया। जब उसे एहसास हुआ कि हिरेन की वजह से उसकी पूरी साजिश सामने आ सकती है तो उसकी हत्या करवा दी। एनआईए ने चार्जशीट में 20 संरक्षित गवाहों सहित 178 गवाहों के बयानों का हवाला दिया है।
चार्जशीट के अनुसार वाजे को जब लगा कि हिरेन से पूछताछ में उसका सच सामने आ सकता है तो उसने प्रदीप कर उसे पैसे दिए। शर्मा ने यह पैसा संतोष आत्माराम शेलार को दिया। शेलार को हिरेन की हत्या की जिम्मेदारी दी गई थी। चार्जशीट में जो लोग आरोपी बनाए गए हैं उनमें वाजे के अलावा एनकाउंटर स्पेशलिस्ट रहे प्रदीप शर्मा का भी नाम है। शर्मा मुंबई पुलिस का चर्चित अफसर रहा है। वाजे उसे अपना ‘गुरु’ मानता है। अपने 36 साल के करियर में शर्मा ने करीब 312 एनकाउंटर किए। उसने शिवसेना के टिकट पर पिछला विधानसभा चुनाव पालघर की नालासोपारा सीट से लड़ा था। अन्य आरोपितों में नरेश रमणीकलाल गोर, विनायक बालासाहेब शिंदे, रियाज़ुद्दीन हिसामुद्दीन काज़ी, सुनील धर्म माने, आनंद पांडुरंग जाधव, सतीश तिरुपति मोथकुरी और मनीष वसंतभाई सोनी शामिल है।
रिपोर्ट के अनुसार हिरेन की हत्या महज 11 मिनट के भीतर अंजाम दी गई थी। सुनील माने ने 4 मार्च को क्राइम ब्रॉन्च इंस्पेक्टर तावड़े बनकर हिरेन को कॉल किया और ठाणे के घोड़बंदर रोड स्थित सूरज वॉटर पार्क के पास मिलने के लिए बुलाया। यहाँ से माने उसे सफेद रंग की कार में लेकर सुरेखा होटल पहुँचा। फिर उसे लाल रंग की टवेरा में बिठाकर उसका मोबाइल फोन ले लिया गया। टवेरा कार में हिरेन को ड्राइवर के पीछे वाली सीट पर योजना के तहत बीच में बैठाया गया। हिरेन के बैठते ही उसके एक तरफ संतोष शेलार और दूसरी ओर आनंद जाधव बैठ गया। इस सीट के पीछे पहले से ही सतीश बैठा हुआ था।
सतीश ने पीछे से हिरेन का सिर पूरी ताकत से जकड़ लिया और रूमाल से उसका मुँह और नाक दबा दिया। जब हिरेन ने बचाव में विरोध शुरू किया तो शेलार और जाधव ने उसके हाथ पकड़ लिए। हत्या के बाद उसका शव खाड़ी में फेंक दिया।
यह बात भी सामने आई है कि वाजे ने 2 मार्च को हिरेन को पुलिस हेडक्वार्टर में बुलाया था। तब प्रदीप शर्मा और संदीप माने भी मौजूद थे। ऐसा इसलिए किया गया ताकि शर्मा और माने भी हिरेन को पहचान लें। जिस दिन हिरेन की हत्या की गई उस दिन वाजे ने एक बार पर छापा मारा ताकि किसी को उस पर शक न हो। एंटीलिया के बाहर गाड़ी पार्क करने के बाद उसने अपने कपड़े जला दिए थे। अपना मोबाइल फोन भी नष्ट कर दिया था।
गौरतलब है कि इस मामले ने पूरी मुंबई पुलिस को ही कठघरे में खड़ा कर दिया। पुलिस कमिश्नर पद से हटाए जाने के बाद परमबीर सिंह ने दावा किया था कि अनिल देशमुख ने गृह मंत्री रहते वाजे को वसूली का टारगेट दे रखा था। इसके बाद देशमुख को भी पद से इस्तीफा देना पड़ा था।