उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में शुक्रवार (8 सितंबर, 2021) को सुनवाई हुई। एक दिन पहले सर्वोच्च न्यायालय ने यूपी पुलिस को निर्देश दिया था कि वो इस मामले में अब तक की कार्रवाई से अवगत कराए, जैसे आरोपितों के बारे में और गिरफ्तारियों को लेकर। अब इस मामले की सुनवाई 20 अक्टूबर को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो राज्य की पुलिस द्वारा उठाए गए क़दमों से संतुष्ट नहीं है।
वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने यूपी पुलिस की तरफ से पेश होकर सुप्रीम कोर्ट को अब तक की कार्रवाई के बारे में बताया, साथ ही ‘स्टेटस रिपोर्ट’ भी दायर की गई। उन्होंने बताया कि अगली सुनवाई से पहले इस मामले में और कदम उठाए जाएँगे, बल्कि किसी अन्य सरकारी एजेंसी से मामले की जाँच पर भी विचार किया जाएगा। साल्वे ने भरोसा दिलाया कि वो सबूतों की सुरक्षा के लिए लखनऊ में उच्चाधिकारियों से बात करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो ज्यादा डिटेल में फिलहाल नहीं जाना चाहता। अब छुट्टियों के बाद इस मामले की सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि CBI भी इस मामले का समाधान नहीं है, जिसका कारण आपको पता है। साथ ही कहा कि मामले की संवेदनशीलता के कारण हम कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते। साथ ही उत्तर प्रदेश के DGP को आदेश दिया कि सबूतों के साथ छेड़छाड़ न हो। सुप्रीम कोर्ट ने हरीश साल्वे से कहा कि हम आपका सम्मान करते हैं।
Harish Salve: the young man who is being targeted..
— Bar & Bench (@barandbench) October 8, 2021
CJI: The charges are very serious
Harish Salve: We have given him notice. He has to show up at 11 am tomorrow. If the person does not come, rigour of law will take recourse
CJI: Is it the same way we treat other accused too? pic.twitter.com/6IoboMVv8F
इस दौरान ‘टाइम्स नाऊ’ के एक ट्वीट का मुद्दा भी उठा, जिसमें दावा किया गया था कि मुख्य न्यायाधीश ने एक पीड़ित परिवार से मुलाकात की है। हालाँकि, उन्होंने सुनवाई के दौरान इस पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। साल्वे ने कहा कि ट्वीट्स में हम सब की आलोचना हो रही है। इस पर CJI ने कहा कि बात ट्वीट्स की नहीं है, ये सोचिए कि मैं दिल्ली में हूँ और लखनऊ में उनलोगों से कैसे मिल सकता हूँ?
यूपी पुलिस ने कोर्ट को बताया कि आशीष मिश्रा को एक और नोटिस दिया गया है और उन्हें कल पेश होने को कहा गया है। इस दौरान ये भी बताया गया कि किसी भी व्यक्ति की मौत गोली लगने से नहीं हुई है, जैसा कि आरोप लगाया गया था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में ऐसा कुछ सामने नहीं आया। CJI ने पूछा कि क्या इस तरह के आरोपों पर अन्य आरोपितों के साथ भी ऐसा ही व्यवहार होता है? उन्होंने पूछा कि गोली न लगने से मौत की पुष्टि हुई है, तो क्या आरोपित को हिरासत में न लिए जाने का यही आधार है?