उत्तराखंड से स्थानीय लोगों के पलायन और मैदानी इलाकों से खास समुदाय के लोगों के आकर बसने का मामला इन दिनों चर्चा में है। इसके कारण राज्य के कई इलाकों में अचानक से डेमोग्राफी में बदलाव आया है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट से पता चला था कि नेपाल से सटे उत्तराखंड के जिलों में मुस्लिमों की आबादी 10 साल के भीतर 2.5 गुना बढ़ी। अब चीन और नेपाल से सटे जिलों के ग्रामीण इलाकों में से पलायन रोकने के लिए महोत्सवों का आयोजन किया जाएगा।
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार इन जिलों से पलायन और डेमोग्राफी में बदलाव को लेकर सुरक्षा एजेंसियाँ चिंतित हैं। इनमें से कई इलाके संवेदनशील और कुछ अतिसंवेदनशील भी हैं। लिहाजा उत्तराखंड के सीमांत इलाकों में पुलिस को ‘महोत्सव’ का आयोजन करने की जिम्मेदारी दी गई है। दो से तीन दिन तक चलने वाले इन महोत्सवों के जरिए पुलिस सीमांत गाँवों के लोगों की समस्याएँ सुनेगी। इसके बाद उन समस्याओं का समाधान करने की कोशिश की जाएगी।
इस योजना के तहत उत्तराखंड पुलिस अक्टूबर के अंत में राज्य के सीमांत इलाकों में दो से तीन दिन के महोत्सव का आयोजन करने वाली है। हालाँकि आयोजन की तारीख को लेकर फिलहाल फैसला नहीं हुआ है। उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार के मुताबिक पिथौरागढ़, चमोली और उत्तरकाशी के गाँवों में सबसे अधिक पलायन होने की बात सामने आई है। क्षेत्र में कई ऐसे गाँव हैं जो आज भी विकास की मुख्य धारा से अलग-थलग पड़े हैं। पुलिस अब इन क्षेत्रों में महोत्सव का आयोजन करेगी और विकास कार्यों को प्रमोट करेगी।
बॉर्डर से लगे गाँव एक तरह से देश के लिए प्रहरी का भी काम करते हैं लेकिन पिछले कुछ साल से रोज़गार, शिक्षा, स्वास्थ्य के नाम पर सीमांत क्षेत्रों से बड़े पैमाने पर हो रहे पलायन ने सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। इस बारे में पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार का कहना है कि हर साल DGP की कॉन्फ्रेंस होती है, उसमें इस बार पीएम मोदी ने सभी राज्यों के पुलिस महानिदेशकों को निर्देश दिया था कि पुलिस राज्य के सीमांत इलाकों में विकास मेला महोत्सव का आयोजन करे, शुरुआत में तीन महोत्सवों का आयोजन उत्तराखंड में किया जा रहा है। इन महोत्सवों को आंतरिक सुरक्षा के लिहाज से बड़ा कदम बताया जा रहा है।
विकास महोत्सव में युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए उद्योग विभाग, कृषि संबंधी जानकारी देने के लिए कृषि विभाग, पशुओं की समस्या को लेकर पशुपालन विभाग और चिकित्सक, बागवानी विभाग, पर्यटन विभाग, सिंचाई विभाग, मत्स्य व दुग्ध विकास, शिक्षा की अलख जगाने के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारी मौजूद रहेंगे।
गौरतलब है कि डेमोग्राफी में बदलाव और पलायन से पूरा उत्तराखंड जूझ रहा है। पिछले दिनों खबर आई थी कि राजधानी देहरादून और उससे सटे इलाकों में तीन दर्जन से अधिक ऐसे इलाके हैं जहाँ करीब दो दशक के भीतर ही मुस्लिम आबादी ढाई गुणा तक बढ़ गई है। 2001-2011 के बीच इन इलाकों में समुदाय विशेष की आबादी में 45 फीसदी तक का इजाफा देखने को मिला। जनगणना के नए आँकड़ें सामने आने के बाद यह तस्वीर और साफ होगी, क्योंकि पिछले 10 सालों में इस ट्रेंड ने और जोर पकड़ा है।
वहीं नैनीताल की भी डेमोग्राफी में भी बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। हाल ही में खुफिया एजेंसियों के सूत्रों ने भी माना था कि शहर के विभिन्न क्षेत्रों में मुस्लिमों का दखल बढ़ता ही जा रहा है। उच्च न्यायालय के अधिवक्ता नितिन कार्की ने इस डेमोग्राफिक बदलाव के संबंध में आगाह करते हुए कुछ दिनों पहले ही जिला प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा था।