Saturday, May 4, 2024
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लाल सलाम वाले केरल में आदिवासी बच्चे 10वीं के बाद शिक्षा को तरसे, राहुल गाँधी के वायनाड का सबसे बुरा हाल

वायनाड में आगे शिक्षा जारी रखने के लिए 2019-2020 में कुल 2321 बच्चों ने आवेदन दिया था, लेकिन केवल 1659 छात्रों को एडमिशन मिला। इस कारण 662 छात्र आगे की शिक्षा से अछूते रहे।

केरल में आदिवासी छात्र अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए संघर्षरत हैं। वह चाहते हैं कि दसवीं के बाद वह आगे पढ़ें, लेकिन राज्य की वामपंथी सरकार ने बड़ी कक्षाओं में पढ़ने के उनके रास्ते सीमित किए कर दिए हैं। राज्य में उच्च माध्यमिक शिक्षा में आदिवासी बच्चों के लिए सिर्फ 8% सीट आरक्षित है। इन 8% के हिसाब से केवल 2000 आदिवादी छात्र हर साल आगे शिक्षा जारी रख पाते हैं जबकि 10वीं पास करने वाले हर साल 6000-7000 होते हैं और इन भी में एक तिहाई राहुल गाँधी के वायनाड से आते हैं।

द न्यूज मिनट की रिपोर्ट के अनुसार, 2000 आदिवासी बच्चों ने पिछले साल वायनाड में 10वीं की परीक्षा पास की। लेकिन सरकार ने सिर्फ 529 बच्चों को 2020-21 सत्र में एडमिशन दिया। जिसका साफ मतलब है कि वायनाड से ही सिर्फ कई सौ बच्चे हर साल अपनी पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर होते हैं और एक्टिविस्टों की मानें तो पढ़ाई छूटने के बाद इन्हें जीवनयापन के लिए दिहाड़ी मजदूरी का काम करना पड़ता है।

इस रिपोर्ट में वायनाड के पिछले कुछ सालों के आँकड़े दिए गए हैं। इनके मुताबिक आगे शिक्षा जारी रखने के लिए 2019-2020 में कुल 2321 बच्चों ने आवेदन दिया था लेकिन केवल 1659 छात्रों को एडमिशन मिला। इस कारण 662 छात्र आगे की शिक्षा से अछूते रहे। 2020-2021 वाले सत्र में 2431 बच्चों ने एप्लाई किया और 1659 छात्र दाखिला पाए।

तस्वीर साभार: द न्यूज मिनट

डेटा दिखाता है कि वायनाड में हर साल 500 के करीब छात्र कम सीट के कारण एडमिशन नहीं ले पाते। 11वीं में एडमिशन की प्रक्रिया अभी जारी है। लेकिन इस बार कितनी सीटें बच्चों को मिली और कितने नाउम्मीद हुए ये डेटा प्रक्रिया खत्म होने के बाद ही सामने आएगा

बता दें कि राज्य में सीटों का बँटवारा सिर्फ वर्ग के आधार पर नहीं है बल्कि स्ट्रीम के आधार पर ही है। यहाँ मुश्किल से आदिवासी बच्चे साइंस स्ट्रीम में एडमिशन ले पाते हैं क्योंकि इसके लिए भी सीटें डिवाइड की गई हैं। इसके अलावा जो ओपन से दसवीं करते हैं उन्हें भी एडमिशन देने से मना कर दिया जाता है। ऐसे में लड़कियाँ घरों में रहने को मजबूर होती है और लड़के मजदूरी करने बाहर निकल जाते हैं।

उल्लेखनीय है कि राज्य में छात्रों के लिए सीटों में कमी के कारण विपक्ष सत्ताधारी वामपंथी पार्टी का लगातार विरोध कर रही है। आँकड़े कहते हैं कि आदिवासी छात्रों के साथ ये परेशानी दशकों से बनी हुई है। इस संबंध में आदिवासी गोथरा महासभा (AGMS) के तहत आदिवासी और दलित युवाओं के एक समूह आदि शक्ति समर स्कूल ने सुल्तान बथेरी की सड़कों पर विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया था। इसके अलावा अक्टूबर में राज्य मंत्री के राधाकृष्णन को एक ज्ञापन दिया गया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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