Sunday, November 17, 2024
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‘आज़ादी में सिखों के योगदान का गवाह है जलियाँवाला’: PM मोदी ने बताया ‘पेशकब्ज की तलवार’ के बारे में, जिसे अमेरिका ने लौटाया

"अमेरिका द्वारा लौटाई गई 150 वस्तुओं में एक पेशकब्ज या छोटी तलवार भी है, जिस पर फारसी में गुरु हरगोबिंद जी का नाम लिखा है, यही ये वापस लाने का सौभाग्य भी हमारी ही सरकार को मिला।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (25 दिसंबर, 2021) को गुजरात के कच्छ में स्थित लखपति साहिब में आयोजित गुरु नानक के देव जी के प्रकाश परब से सम्बंधित कार्यक्रम को सम्बोधित किया। ये गुजरात के सिखों का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, जहाँ 23 दिसंबर से लेकर 25 दिसंबर तक हर साल राज्य के सिख इस कार्यक्रम को मनाते हैं। लखपत साहिब गुरुद्वारा में गुरु नाक से जुड़ी खड़ाऊँ के अलावा पालकी और गुरुमुखी लिपि में कुछ पांडुलिपियाँ सहेज कर रखी गई हैं। पीएम मोदी ने इस कार्यक्रम में दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भी याद किया और कच्छ में उनके द्वारा किए गए कार्यों की चर्चा की।

कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि गुरुद्वारा लखपत साहिब समय की हर गति का साक्षी रहा है। उन्होंने कहा कि आज जब वो इस पवित्र स्थान से जुड़ रहे हैं, तो उन्हें याद आ रहा है कि अतीत में लखपत साहिब ने कैसे कैसे झंझावातों को देखा है। उन्होंने याद किया कि एक समय ये स्थान दूसरे देशों में जाने के लिए, व्यापार के लिए एक प्रमुख केंद्र होता था। पीएम मोदी ने कहा कि 2001 के भूकम्प के बाद मुझे गुरु कृपा से इस पवित्र स्थान की सेवा करने का सौभाग्य मिला था और उन्हें याद है, तब देश के अलग-अलग हिस्सों से आए शिल्पियों ने इस स्थान के मौलिक गौरव को संरक्षित किया।

उन्होंने याद दिलाया कि कैसे प्राचीन लेखन शैली से यहाँ की दीवारों पर गुरुवाणी अंकित की गई और इस प्रोजेक्ट को तब यूनेस्को ने सम्मानित भी किया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि गुरु नानकदेव जी का संदेश पूरी दुनिया तक नई ऊर्जा के साथ पहुँचे, इसके लिए हर स्तर पर प्रयास किए गए। उन्होंने कहा कि दशकों से जिस करतारपुर साहिब कॉरिडोर की प्रतीक्षा थी, 2019 में हमारी सरकार ने ही उसके निर्माण का काम पूरा किया। पीएम मोदी ने बताया कि कुछ महीने पहले जब वो अमेरिका गए थे, तो वहाँ अमेरिका ने भारत को 150 से ज्यादा ऐतिहासिक वस्तुएँ लौटाईं।

उन्होंने जानकारी दी कि इनमें से एक पेशकब्ज या छोटी तलवार भी है, जिस पर फारसी में गुरु हरगोबिंद जी का नाम लिखा है, यही ये वापस लाने का सौभाग्य भी हमारी ही सरकार को मिला। उन्होंने ध्यान दिलाया कि अभी हाल ही में हम अफगानिस्तान से ससम्मान गुरु ग्रंथ साहिब के स्वरूपों को भारत लाने में सफल रहे हैं, गुरु कृपा का इससे बड़ा अनुभव किसी के लिए और क्या हो सकता है? पीएम मोदी ने कहा कि ये गुजरात के लिए हमेशा गौरव की बात रहा है कि खालसा पंथ की स्थापना में अहम भूमिका निभाने वाले पंज प्यारों में से चौथे गुरसिख, भाई मोकहम सिंह जी गुजरात के ही थे।

बता दें कि देवभूमि द्वारका में उनकी स्मृति में गुरुद्वारा बेट द्वारका भाई मोहकम सिंघ का निर्माण हुआ है। पीएम मोदी ने कहा कि गुरु नानक देव जी और उनके बाद हमारे अलग-अलग गुरुओं ने भारत की चेतना को तो प्रज्वलित रखा ही, भारत को भी सुरक्षित रखने का मार्ग बनाया। उन्होंने कहा कि हमारे गुरुओं का योगदान केवल समाज और आध्यात्म तक ही सीमित नहीं है। बल्कि हमारा राष्ट्र, राष्ट्र का चिंतन, राष्ट्र की आस्था और अखंडता अगर आज सुरक्षित है, तो उसके भी मूल में सिख गुरुओं की महान तपस्या है।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “जिस तरह गुरु तेगबहादुर जी मानवता के प्रति अपने विचारों के लिए सदैव अडिग रहे, वो हमें भारत की आत्मा के दर्शन कराता है। जिस तरह देश ने उन्हें ‘हिन्द की चादर’ की पदवी दी, वो हमें सिख परंपरा के प्रति हर एक भारतवासी के जुड़ाव को दिखाता है। औरंगज़ेब के खिलाफ गुरु तेग बहादुर का पराक्रम और उनका बलिदान हमें सिखाता है कि आतंक और मजहबी कट्टरता से देश कैसे लड़ता है। इसी तरह, दशम गुरु, गुरुगोबिन्द सिंह साहिब का जीवन भी पग-पग पर तप और बलिदान का एक जीता जागता उदाहरण है।”

पीएम मोदी ने इतिहास का जिक्र करते हुए याद किया कि अंग्रेजों के शासन में भी हमारे सिख भाइयों-बहनों ने जिस वीरता के साथ देश की आज़ादी के लिए संघर्ष किया, हमारा आज़ादी का संग्राम, जलियाँवाला बाग की वो धरती, आज भी उन बलिदानों की साक्षी है। उन्होंने कहा कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक, कच्छ से कोहिमा तक, पूरा देश एक साथ सपने देख रहा है, एक साथ उनकी सिद्धि के लिए प्रयास कर रहा है। बकौल पीएम मोदी, आज देश का मंत्र है- एक भारत, श्रेष्ठ भारत। आज देश का लक्ष्य है- एक नए समर्थ भारत का पुनरोदय। आज देश की नीति है- हर गरीब की सेवा, हर वंचित को प्राथमिकता।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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