अपने विवादित फतवों के कारण आए दिन चर्चा में रहने वाला दारुल उलूम देवबंद हाल में ‘गोद लिए बच्चे के वारिस बनने या न बनने’ पर अपने फतवा के कारण चर्चा में है। ये पहली बार नहीं है कि देश के मुसलमानों को इस्लामी शिक्षा देने के लिहाज से स्थापित हुआ ये संस्थान विवाद में आया हो, कई बार अपने अजीबोगरीब फतवों की वजह से ये मीडिया सुर्खियों में रहा है और दिलचस्प बात ये है कि संस्थान एक दारुलइफ्ता नाम से साइट चलाता है जहाँ मुसलमानों के सवालों के जवाब दिए जाते हैं और आए दिन नए-नए फतवे जारी होते हैं।
darulifta-deoband.com साइट पर मुस्लिम आते हैं। अपने अजीबोगरीब सवाल रखते हैं। फिर दारुल उलूम देवबंद की ओर से उन्हें ज्ञान दिया जाता है और फतवा जारी कर बताया जाता है कि जो वो कर रहे हैं वो इस्लाम के लिहाज से हलाल है या हराम। हमने इस साइट से चंद सवाल छाँटे हैं जिनपर जारी फतवे यदि आप पढ़ेंगे तो हो सकता है कि कुछ आपको बेहद हास्यास्पद लगें और कुछ ऐसे लगें जो बताते हैं कि आखिर कैसे पिछड़ी सोच के पीछे मजहबी ठेकेदारों को हाथ होता है।
सवाल-जवाब और फतवे
पहला सवाल देखिए- एक व्यक्ति ने पूछा कि वो Paytm में काम करता है और उसका सवाल है कि उसे जो सैलरी मिलती है अगर वो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से कंपनी को मिले इंटरेस्ट पर मिलती है। तो क्या उसकी सैलरी हराम है या हलाल?
आप सोचेंगे कि ये कैसा सवाल है। लेकिन, दारुल उलूम ने इस पर गंभीर विचार करके जवाब दिया हुआ है। फतवा संख्या 866/864/B=9/1438 के अनुसार कहा गया अगर कंपनी अपने कर्मचारी को आरबीआई से मिले ब्याज में से सैलरी दे रही है तो ये हलाल बिलकुल नहीं है। दारुल उलूम ने सवाल पूछने वाले को कोई अच्छी नौकरी ढूँढकर इस नौकरी को छोड़ने की सलाह दी हुई है।
दूसरा सवाल है कि क्या कोई व्यक्ति कैमरे वाला मोबाइल इस्तेमाल करते हुए उसमें तस्वीरें ले सकता है? उसमें वीडियो बना सकता है? देवबंद की ओर से फतवा नंबर 1157/B=1335/B के तहत इस सवाल के जवाब में कहा गया कि मोबाइल फोन का काम संपर्क करने के लिए है। इसलिए सिर्फ इतना ही इस्तेमाल उसका किया जा सकता है। लेकिन किसी जीवित की तस्वीर लेना, फोटोग्राफी करना इस्लाम में नहीं है, इसलिए इससे तस्वीरें लेना और वीडियो फिल्म बनाना दारुल उलूम के हिसाब से बिलकुल ठीक नहीं है।
तीसरा सवाल: क्या अनचाही प्रेगनेंसी से बचने के लिए इस्लाम में कंडोम के इस्तेमाल को अनुमति दी गई है? देवबंद द्वारा जारी जवाब में फतवा 517/440/B=1431 जारी कर बताया गया कि बिन किसी कारण के कंडोम का इस्तेमाल जायज नहीं है। ये इस्लामी कानून के विरुद्ध है। हाँ! अगर बीवी कमजोर है और गर्भ नहीं धारण कर सकती है या बीमार रहती है तो फिर कंडोम का इस्तेमाल हो सकता है।
चौथा सवाल: क्या नकल करके पास होना जायज है या नाजायज और किसी भी काम से पैसा कमाना हराम है या हलाल? इस सवाल के जवाब में देवबंद की ओर से जारी फतवा नंबर 490/490=M/1429 के मुताबिक बताया गया कि अगर कोई पास हो जाए नकल करके तो वो नाजायज है मगर इससे उसे जॉब मिले, डिग्री मिले और वो अपनी जिम्मेदारी पूरी कर पाए तो ये जायज हो जाएगा। बस उसे नकल के लिए गुनाह लगेगा। इसलिए ऐसा करने से बचना चाहिए।
पाँचवा सवाल एक लड़के ने किया कि क्या वो एक ऐसी शेरवानी पहन सकता है जिसपर ब्रोकेड के फेब्रिक का काम हो। इस सवाल पर देवबंद ने फतवा 244/226/SD=3/1439 जारी करते हुए कहा कि अगर शेरवानी सिल्क की है और उसपे कोई चांदी या सोने के धागे का इस्तेमाल नहीं है तो उसे पहना जा सकता है। उसे निकाह समारोह में पहना जा सकता है। लेकिन इस पर फिजूल खर्जी और इसे घमंड के साथ पहनना जायज नहीं है। शरीया के अनुसार इतने कीमती कपड़े पहनना ठीक नहीं है। अगर शेरवानी में सोने-चांदी के धागे से कारीगरी है तो सवाल दोबारा पूछा जाए।
छठा सवाल फर्जी अटेंडेंस साइन को लेकर है। किसी ने पूछा कि वो रोज कॉलेज में मौजूद नहीं हो पाता है तो क्या अपने दोस्तों से प्रॉक्सी लगवाना सही है या नहीं। इस पर देवबंद ने फतवा नं 793/671/N=7/1439 के जरिए बताया कि इस तरह फर्जी अटेंडेंस लगाना या लगवाना गलत है। ये बहुत गलत है। जो भी ऐसा करता है वो गुनहगार है।
तो, ये वो चंद सवाल-जवाब हैं जो हमें दारुलइफ्ता-देवबंद की साइट पर पढ़ने को मिलते हैं। इनके अलावा इस साइट पर तमाम ऐसे सवाल किए जाते हैं जो किसी सामान्य जन को बेहद बचकाना लगें। लेकिन, यहाँ पूछने वाले के लिए ये गंभीर विषय होता है और दारुल उलूम भी इसका जवाब बेहद संजीदा ढंग से फतवा जारी करके देता है।