उत्तराखंड की जेल में बंद उत्तर प्रदेश के डासना देवी मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद (Yati Narsinghanand) की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। मुस्लिम महिलाओं पर तथाकथित अभद्र टिप्पणी के मामले में हरिद्वार की सीजीएम कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज करते हुए उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया।
नरसिंहानंद के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 295A और 509 के तहत मामला दर्ज किया गया है। नरसिंहानंद पर आरोप है कि उनके दो वीडियो ट्विटर और यूट्यूब पर पोस्ट किए गए थे, उनमें मुस्लिम महिलाओं के प्रति आपत्तिजनक टिप्पणी की गई है।
अपनी जमानत याचिका में नरसिंहानंद ने तर्क दिया कि वह गंभीर रूप से बीमार हैं और उन्हें झूठे मामले में फँसाया गया है। इसलिए उन्हें जमानत दी जाए। उन्होंने खुद को निर्दोष बताते हुए यह भी कहा कि FIR में उनके खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाया गया है और ना ही यह बताया गया है कि उन्होंने किसी समुदाय के खिलाफ क्या बयान दिया था और किनकी भावनाओं को ठेस पहुँचा है।
उनके तर्कों पर गौर करते हुए सीजेेएम मुकेश आर्य ने कहा कि आरोपित के खिलाफ गंभीर प्रकृति के अपराध हैं। उन्होंने आगे कहा, सीआरपीसी की धारा 41A के तहत नोटिस जारी करने के बावजूद याचिकाकर्ता (नरसिंहानंद) ने सोशल मीडिया के माध्यम से धार्मिक भावनाओं को भड़काकर सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने का प्रयास करता रहा।”
कथित तौर पर नरसिंहानंद को ने कहा था कि मुसलमानों ने सब कुछ कब्जा कर लिया है। वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए हैं, आरएसएस पर कब्जा कर लिया है। उन्होंने कहा था कि इस्लाम की सेवा के लिए उनकी (मुस्लिमों की) महिलाएँ अपने पुरुष की मिस्ट्रेस के रूप में काम करती हैं और वही महिलाएँ) उनकी सबसे बड़ी ताकत हैं।
इस मामले एफआईआर दर्ज कराने के बाद नरसिंहानंद को 16 जनवरी 2022 को गिरफ्तार कर लिया गया था।