सुप्रीम कोर्ट ने लावण्या आत्महत्या मामले में मद्रास हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने से मना कर दिया है। तमिलनाडु सरकार ने मद्रास हाईकोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी जिसमें लावण्या आत्महत्या मामले की जाँच CBI से करवाने का आदेश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से इस मामले को ‘प्रतिष्ठा का विषय’ न बनाने के लिए भी कहा। अदालत ने कहा, “इस केस में बहुत कुछ हुआ है।” यह आदेश सोमवार (14 फरवरी, 2022) को दिया गया।
Thanjavur student death case: Supreme Court issues notice to respondents on the plea filed by Tamil Nadu, challenging the order of Madurai bench of Madras High Court transferring probe into the matter to CBI
— ANI (@ANI) February 14, 2022
SC says the investigation will continue as per Madras High Court order pic.twitter.com/f24QpXCp0G
तमिलनाडु सरकार की तरफ से एडवोकेट मुकुल रोहतगी और पी विल्सन पेश हुए थे। कोर्ट ने कहा, “सरकार को तो CBI जाँच के फैसले पर खुश होना चाहिए। हम CBI जाँच के आदेश में कोई हस्तक्षेप नहीं करने वाले। हम इससे संतुष्ट हैं।” लावण्या के पिता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने बहस की।
वहीं दूसरी तरह समयम की रिपोर्ट के मुताबिक त्रिची पूर्वी के DMK विधायक इनिगो इरुदयराज ने हॉस्टल की उस महिला वार्डन को सम्मानित किया है जो लावण्या केस की आरोपित है। वार्डन का नाम सजाया मैरी है। यह सम्मान त्रिची सेंट्रल जेल के बाहर तब किया गया जब आरोपित थंजावुर जिला अदालत द्वारा मिली जमानत पर रिहा हो रही थी। विधायक ने आरोपित को शॉल पहना कर सम्मानित किया है। 17 वर्षीया लावण्या ने आत्महत्या से पहले सजाया मैरी पर ही धर्म परिवर्तन न करने पर प्रताड़ित करने, टॉयलेट साफ करवाने और जबरदस्ती खाना बनवाने का आरोप लगाया था।
हिन्दूपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक आरोपित वार्डन को सम्मानित करने वाले DMK विधायक क्रिश्चियन गुडविल मूवमेंट के संयोजक और फाउंडर भी हैं। वो उस सम्मेलन के आयोजक भी हैं जिसमें हिन्दुओं के विरुद्ध आपत्तिजनक बातें कही गईं थीं। गौरतलब है कि क्लास 12 की छात्रा लावण्या ने खुद पर धर्म परिवर्तन का दबाव का आरोप लगा कर 19 जनवरी को आत्महत्या कर ली थी। लावण्या ने जहर पी लिया था। तमिलनाडु सरकार, स्थानीय पुलिस और कुछ मीडिया संस्थानों ने धर्मान्तरण के एंगल को छिपाने का प्रयास किया था। ऐसे में पीड़ित परिवार ने हाईकोर्ट में CBI जाँच की माँग की थी। 31 जनवरी 2022 को मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै पीठ ने इस माँग को स्वीकार कर लिया था। कोर्ट ने अपने आकलन में तमिलनाडु पुलिस द्वारा सही दिशा में जाँच न होना पाया था।