सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कर्नाटक सरकार (Karnataka Government) को प्रदेश अल्पसंख्यक विकास निगम (SMDC) में सिर्फ मुस्लिम समुदाय के ही व्यक्ति को शामिल करने पर नोटिस जारी किया है। यह नोटिस जस्टिस विनीत शरण और अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने यह नोटिस ईसाई समुदाय के अनिल एंटोनी द्वारा दाखिल याचिका पर जारी किया है। उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक सरकार को जवाब देने के लिए 6 हफ्ते का समय दिया है। नोटिस 17 मार्च (गुरुवार) को जारी हुई है।
ANI के मुताबिक, नोटिस कर्नाटक सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण हज और वक्फ विभाग, कर्नाटक प्रदेश अल्पसंख्यक कॉरपोरेशन के चेयरमैन और अल्पसंख्यक डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर को जारी की गई है। 18 जनवरी 2021 को कर्नाटक हाईकोर्ट ने अनिल एंटोनी की इसी मामले में दायर की गई याचिका ख़ारिज कर दी थी। एंटोनी ने हाईकोर्ट के उसी आदेश को चुनौती दी थी।
अनिल एंटोनी की तरफ से अधिवक्ता जीएस मणि ने बहस की। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को बताया, “याचिकाकर्ता अल्पसंख्यक समुदाय के हर वर्ग को कर्नाटक प्रदेश अल्पसंख्यक कॉरपोरेशन के चेयरमैन पद पर नियुक्त करने की माँग करता है। साल 1986 से अब तक इस पद पर सिर्फ मुस्लिम समुदाय के IAS अधिकारी की ही नियुक्ति होती रही है। इसमें ईसाई, सिख, पारसी, बौद्ध और जैन समुदाय के लिए बराबरी की हिस्सेदारी होनी चाहिए।”
याचिका में आगे कहा गया, “उच्च न्यायालय सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी आदि समुदायों के साथ कर्नाटक अल्पसंख्यक डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा किए जा रहे भेदभाव पर विचार नहीं कर पाया।” इससे एंटोनी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करके कर्नाटक अल्पसंख्यक डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड के चेयरपर्सन पद के लिए ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी आदि समुदायों से भी नियुक्ति की माँग की थी। सभी वर्गों की भागीदारी के लिए एंटोनी ने नियुक्त चेयरपर्सन को निश्चित समय अंतराल में बदलते रहने की भी माँग की थी। हाईकोर्ट ने इस याचिका को ख़ारिज कर दिया था।