पश्चिम बंगाल में 8 लोगों को जिंदा जलाए जाने के घृणित अपराध मामले में बंगाल हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए बुधवार (23 मार्च 2022) को सुनवाई की। राज्य की ओर से पेश वकील ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि जाँच के लिए कदम उठा लिए गए हैं। फॉरेंसिंक टीम भी पड़ताल कर रही है। रिपोर्ट 1-2 दिन में आ जाएगी।
सीबीआई केस लेने को तैयार
राज्य वकील ने कोर्ट से अपील की कि इस केस को पहले ही दिन किसी और एजेंसी को न दिया जाए। उन्होंने अपनी तरह से कहा घटना का सारा सच सामने जल्द से जल्द आना चाहिए। चाहे जो करना पड़े। इस सुनवाई में सीबीआई ने भी कोर्ट को कहा कि वो ये केस लेने के लिए तैयार हैं। कोर्ट ने सुनवाई में चश्मदीद का नाम किसी कीमत पर न खोलने की बात की।
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— Bar & Bench (@barandbench) March 23, 2022
बार एंड बेंच के ट्वीट के अनुसार, सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि इस मामले में सबसे ज्यादा परेशान करने वाली चीज ही यही है कि इसमें पुलिस की भूमिका है। ऐसे में पुलिस को स्वतंत्र रूप से कार्य करने के लिए निर्देश जारी करने की आवश्यकता है। कोर्ट ने मामले में हर पक्ष को सुनकर कहा कि निष्पक्ष जाँच सुनिश्चित करने के लिए और याचिकाओं को पंजीकृत किया गया है। घटना के लिए जिम्मेदार लोगों का पता लगाया गया है और कानून के हिसाब से उन्हें सजा दी जाएगी।
बंगाल सरकार द्वारा गठित SIT सदस्यों पर संदेह
सुनवाई में बताया गया कि घटना के दो चश्मदीद थे। इनमें एक की मृत्यु हो गई और दूसरा नाबालिग है जिसे बचाने की सुरक्षित रखने की जरूरत है। याचिकाकर्ता की माँग है की सीएफएसएल दिल्ली की फॉरेंसिंक टीम को सबूत जुटाने के लिए बुलाया जाना चाहिए क्योंकि गठित की गई एसआईटी पर गंभीर संदेह है।
याचिका में उल्लेख है कि इस एसआईटी का एक सदस्य ज्ञानवंत सिंह भी है जिस पर साल 2007 में रिजवानुर रहमान नामक व्यक्ति के हत्या के आरोप हैं। वहीं अगला संजय सिंह है जिसे ईसीआई ने 2021 में चुनाव में हस्तक्षेप करने पर हटा दिया था। याचिका में दावा है कि जो भी एसआईटी गठित होती है उसमें इस ज्ञानवंत सिंह को जरूर शामिल किया जाता है।
दलीलों में कोर्ट के सामने ये भी कहा गया कि चश्मदीदों को पहले ही धमकी मिलने लगी है कि उन्होंने अपना गाँव तक छोड़ना शुरू कर दिया है। कोर्ट से स्थानीयों के लिए सुरक्षा की माँग की। कोर्ट ने इस पर आदेश दिए कि ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए इंतजाम हों, उनकी विश्वास बहाली के लिए कदम उठाए जाएँ। कोर्ट ने माना कि डीजीपी जैसे अधिकारी बिन जाँच के बयान दे रहे हैं कि मामले में कोई राजनैतिक कोण नहीं है, जो कि बिलकुल गलत है।
अगले आदेश तक इलाके की हो रिकॉर्डिंग
पूरे मामले में पक्षों की दलील सुन कोर्ट ने राज्य सरकार को जाँच का मौका दिया है। कोर्ट ने कल 2 बजे तक इस संबंध में रिपोर्ट देने को कहा है। कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि डिस्ट्रिक्ट जज की देखरेख में घटनास्थल पर पर्याप्त मेमोरी वाले कैमरे लगाए जाएँ और अगले आदेश तक इलाके की रिकॉर्डिंग की जाए। इसके अलावा दिल्ली से सीएफएसएल की टीम स्पॉट पर जाए और जरूरी सामग्रजी जुटा कर बिना देरी के जाँच करे।
बता दें कि अब इस मामले की सुनवाई कल यानी कि 24 मार्च को 2 बजे होगी। कोर्ट ने इन 24 घंटों (24 मार्च को 2 बजे तक के बीच) में राज्य को रिपोर्ट तैयार करने का समय दिया है और बाकी आदेशों का पालन करने को कहा है। कोर्ट ने ये भी सुनिश्चित करने को कहा है कि चश्मदीदों पर किसी तरह धमकाया न जाए और न ही कोई उन्हें प्रभावित करे। कोर्ट ने कहा कि सच जरूर सामने आना चाहिए।
घटना के बाद स्थानीयों ने छोड़े घर
उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल के बीरभूम के रामपुरहाट में टीएमसी नेता भादू शेख की बम हमले मौत के बाद हिंसा मचाई गई। उपद्रवियों ने टीएमसी नेता की मौत का बदला लेने के लिए इलाके के कई घरों को आग में झोंका जिसमें दावा है कि कुल 12 लोग जलकर मर गए। वहीं पुलिस मृतकों की संख्या 8 बताने में लगी है। सामने आए विजुअल्स बेहद परेशान करने वाले हैं जिसमें पुलिस घर के अंदर से मृतकों के कंकाल निकाल रही है। लोग इतना डरे हैं कि उन्होंने अपने घरों को छोड़कर दूसरी जगह जाना शुरू कर दिया है। स्थानीयों का कहना है कि वो भय से अपने घरों को छोड़ रहे हैं। पुलिस ने उन्हें किसी तरह की सुरक्षा नहीं दी। अगर दी होती तो ये सब नहीं होता।