पिनाराई विजयन के नेतृत्व वाली केरल सरकार की सेमी हाई-स्पीड रेल परियोजना को लेकर खासा विवादों में है। इस परियोजना के खिलाफ राज्य में कई राजनीतिक दलों का प्रदर्शन जारी है। केरल सरकार की विवादास्पद रेल परियोजना को आगे बढ़ाने के विरोध में राज्य के कई लोग भी सड़कों पर उतर आए हैं। बुधवार (23 मार्च 2022) को एर्नाकुलम (Ernakulam) जिले के छोटानिकारा (Chottanikkara) में इस परियोजना का विरोध करने के लिए कॉन्ग्रेस पार्टी के कई कार्यकर्ता और स्थानीय लोग एकजुट हुए।
प्रदर्शनकारियों ने परियोजना के लिए रखे गए सर्वेक्षण पत्थरों (Survey Stones) को उखाड़कर पास के एक तालाब में फेंक दिया। इस दौरान वहाँ पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात था, लेकिन वे भी प्रदर्शनकारियों को नहीं रोक पाए।
#WATCH | Kerala: Congress workers and locals protest and throw away the survey stones for SilverLine semi-high-speed rail project, in Chottanikkara in Ernakulam district. pic.twitter.com/TJSl9ptQB9
— ANI (@ANI) March 23, 2022
इससे पहले कोझिकोड और कोट्टायम में भी इसी तरह के विरोध प्रदर्शन हुए थे। बीते कुछ दिनों से विपक्ष ने सेमी हाई-स्पीड परियोजना को लेकर केरल सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं। इसी एवज में विपक्षी दलों ने केरल विधानसभा के बजट सत्र को बाधित किया और सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया था।
क्या है के-रेल या सिल्वर लाइन परियोजना
केरल सरकार की महत्वाकांक्षी हाई-स्पीड रेल परियोजना ने राज्य में सबसे बड़ी राजनीतिक उथल-पुथल को जन्म दे दिया है। शुरू से ही विवादों में रही इस परियोजना को लेकर मुख्यमंत्री विजयन भले ही बड़े-बड़े दावे करें जैसे कि यह प्रोजेक्ट केरल के दो छोरों को जोड़ेगा, यात्रा में कम समय लगेगा। इसके बावजूद विपक्ष को उनकी यह परियोजना फूटी आँख नहीं सुहा रही है।
केरल सरकार के अनुसार, के-रेल या सिल्वर लाइन परियोजना के शुरू होने से तिरुवनंतपुरम से कासरगोड तक यात्रा में लगने वाले समय में चार घंटे तक कमी आने की उम्मीद है। तिरुवनंतपुरम से कासरगोड तक इस परियोजना की कुल लंबाई 529.45 किमी तक विकसित की जाएगी। पिनाराई विजयन सरकार का यह भी दावा है कि इस परियोजना से कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। हालाँकि, हाई-स्पीड रेलवे परियोजना को राज्य में कड़े विरोध का सामना करना पड़ा है, क्योंकि इस परियोजना से लगभग 30000 लोगों के विस्थापित होने और पर्यावरण को गंभीर क्षति होने की उम्मीद है। वहीं, सरकार ने यह कहते हुए परियोजना का बचाव किया है कि इससे अगली पीढ़ी को लाभ होगा और राज्य का आर्थिक विकास होगा।
बता दें कि सिल्वर लाइन ट्रेन तिरुवनंतपुरम और कासरगोड के बीच अपनी 530 किलोमीटर की यात्रा पर कोल्लम, चेंगन्नूर, कोट्टायम, एर्नाकुलम, त्रिशूर, तिरूर, कोझीकोड और कन्नूर में रुकेगी। इस बीच, विपक्ष ने आरोप लगाया है कि इस परियोजना से केरल पर आर्थिक बोझ पड़ेगा।