Sunday, September 8, 2024
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BJP को वोट देने से मुस्लिम समाज में बहिष्कार: परिवार ने कट्टरपंथियों पर लगाया नमाज पढ़ने से रोकने का आरोप, UP पुलिस ने नकारा

बाराबंकी पुलिस के अनुसार मोहम्मद आरिफ के घर में शादी है। इस शादी को लेकर वो यह चाहता था कि गाँव के लोग शामिल हों लेकिन मदरसे की जमीन पर कब्जा करने की बात याद करके लोगों ने इनकार कर दिया। इसी कारण से...

मुस्लिम कट्टरपंथियों में बीजेपी (BJP) के खिलाफ किस तरह से जहर भरा है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बाराबंकी (Barabanki) में बीजेपी को वोट देने पर एक मुस्लिम परिवार का हुक्का-पानी बंद कर दिया गया। पीड़ित परिवार का कहना है कि इस साल के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के अच्छे कार्यों के चलते जब से उन्होंने उसे वोट दिया है, तभी से उसी के समुदाय ने उससे दूरियाँ बनानी शुरू कर दी। अब तो उसे मस्जिद में नमाज पढ़ने से भी रोक दिया गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, ये घटना बारबंकी जिले के फतेहपुर कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले रेरिया गाँव की है। यहीं पर मोहम्मद आरिफ का परिवार भी रहता है। घर के मुखिया आरिफ ही हैं। उनका कहना है कि भाजपा के अच्छे कामों को देखते हुए उन्होंने उसे वोट दिया है। वो ये बड़ी ही शिद्दत से मानते हैं कि मोदी और योगी दोनों का ही काम बहुत अच्छा है। इसी कारण से उन्होंने अपने घर में पीएम मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ की तस्वीर भी लगा रखी है।

वहीं आरिफ ने यह भी कहा कि एक जमीन उन्होंने खरीदी थी, जिसको लेकर उनका मुस्लिम समुदाय दबाव बना रहा है कि वो उसे मस्जिद बनाने के लिए छोड़ दें।

नमाज पढ़ने से रोका

पीड़ित व्यक्ति आरिफ का आरोप है कि उनके गाँव का पूर्व प्रधान है मुबारक अली। उसका समर्थन कर रहे गाँव के 50 मुस्लिम परिवारों ने उन्हें गाँव की मस्जिद में नमाज अदा करने पर रोक लगा दी है। इतना ही नहीं 31 मई को आरिफ के बेटे मोहम्मद तालिब का निकाह है, जिसको भी कट्टरपंथियों ने गाँव के लोगों को चेतावनी दी है कि अगर कोई इस निकाह में शामिल हुआ तो, उस पर 20,000 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा।

इतना ही नहीं खाना बनाने और टेंट लगाने वालों को भी आरिफ के घर में काम करने से रोक दिया गया है। उन्हें भी जुर्माने की धमकी दी गई है। हालाँकि, आरिफ कहते हैं कि वो इन धमकियों से नहीं डरते। इस बीच एसओ अनिल कुमार पांडेय ने कहा है कि दोनों पक्षों को थाने बुलाया गया है, ताकि इसका हल निकाला जा सके।

अपडेट: ऊपर की खबर पुलिस की जाँच से पहले और मीडिया रिपोर्ट के आधार पर लिखी गई है। नीचे इस पूरे मामले पर पुलिस की जाँच को पढ़ सकते हैं।

उत्तर प्रदेश की बाराबंकी पुलिस ने इस मामले को लेकर जाँच की है। जाँच से संबंधित बातों को पुलिस ने ट्विटर पर रखा है। पुलिस के अनुसार आवेदक (मोहम्मद आरिफ) ने अपने गाँव के मदरसे की जमीन पर कब्जा करना चाहा था। इसके लिए उसने गाँव के ही विपक्षी लोगों पर बम से हमला भी किया था। इस मामले में आवेदक (मोहम्मद आरिफ) जेल भी जा चुका है। मदरसे की जमीन पर कब्जा करने को लेकर गाँव के लोगों ने साल 2006 से ही मोहम्मद आरिफ के साथ खान-पान बंद कर दिया था।

बाराबंकी पुलिस के अनुसार आवेदक (मोहम्मद आरिफ) के घर में शादी है। इस शादी को लेकर मोहम्मद आरिफ यह चाहता था कि गाँव के लोग इसके शादी-परिवार में शामिल हों लेकिन मदरसे की जमीन पर कब्जा करने की बात याद करके लोगों ने इसकी इच्छा से इनकार कर दिया। इसी कारण से इस प्रकरण को सनसनीखेज बनाने के लिए इसने खास राजनीतिक दल का समर्थक होने, वोट देने का बहाना बनाकर अपने बहिष्कार की बात मीडिया के सामने रखी। बाराबंकी पुलिस के अनुसार मोहम्मद आरिफ का यह आरोप पूरी तरह से गलत है। पुलिस ने यह भी बताया कि बहिष्कार जैसी कोई भी बात आवेदक (मोहम्मद आरिफ) ने पुलिस को सूचित भी नहीं किया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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