केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने शनिवार (16 जुलाई 2022) को अदालतों में केवल अंग्रेजी भाषा का ही इस्तेमाल किए जाने पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि निचली अदालतों और हाई कोर्ट में हिन्दू और क्षेत्रीय भाषाओं को प्रमुखता दी जानी चाहिए। अदालत की भाषा अगर आम होगी तो हम कई तरह की समस्याओं का निराकरण कर सकते हैं। इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री कहा कि संसद के अगले सत्र में 71 अलग-अलग कानूनों को खत्म किया जाएगा।
किरेन रिजिजू ने यह बात राजस्थान के जयपुर में रही 18वीं अखिल भारतीय कानूनी सेवा प्राधिकरण की बैठक को संबोधित करते हुए कही। इसके साथ ही कानून मंत्री ने देश के टॉप वकीलों द्वारा एक केस के 10-15 लाख रुपए की फीस लिए जाने पर चिंता जाहिर की और कहा कि इससे गरीबों और हाशिए के लोगों के लिए न्याय पहुँच से बाहर हो गया।
उन्होंने आगे कहा, “संसाधनवान लोग बड़े वकीलों का खर्च उठा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट में ऐसे वकील हैं जिनकी फीस आम आदमी नहीं उठा सकता। अगर वे प्रति सुनवाई के लिए 10-15 लाख रुपए लेते हैं, तो एक आम आदमी कैसे भुगतान कर सकता है?” मंत्री ने ये भी स्पष्ट किया कि 18 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में अप्रचलित 71 कानूनों को निरस्त कर दिया जाएगा।
BREAKING: Union Law Minister Kiren Rijiju while addressing at an event today said “resourceful people can afford big lawyers. There are lawyers in #SupremeCourt whose fees a common man cannot afford. If they charge Rs.10-15 lakhs per hearing, how can a common man pay up?”
— LawBeat (@LawBeatInd) July 16, 2022
केंद्रीय मंत्री ने सभी राज्यों की कानूनी एजेंसियों से इस साल 15 अगस्त,2022 तक अंडर ट्रायल कैदियों की रिहाई के लिए प्रयास करने की अपील की है। उन्होंने स्पष्ट किया कि देश में 3.5 लाख कैदी विचाराधीन हैं। हर जिले में जिला मजिस्ट्रेट के तहत एक रिव्यू कमिटी है। हम सभी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से प्रोएक्टिव काम करने का अनुरोध करते हैं। वे कर रहे हैं। उनसे और प्रो एक्टिव काम की अपील करते हैं ताकि जिला जज उनसे प्रभावित हों।