गुजरात दंगों से जुड़े मामले में सबूतों से छेड़छाड़ और धोखाधड़ी के आरोपों में गिरफ्तार तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर गुरुवार (1 सितंबर, 2022) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ को फिलहाल जमानत देने से मना किया। इस मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार 2 सितंबर को होगी।
गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित की अगुवाई वाली पीठ ने ऐसे संकेत दिए हैं कि वह तीस्ता सीतलवाड़ को अंतरिम राहत देते हुए जमानत देगी। लेकिन, फिर भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर सुनवाई को कल दोपहर 2 बजे के लिए स्थगित कर दिया गया है। तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत का विरोध करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, “चूँकि मामला हाईकोर्ट में है, इसलिए आप वहीं सुनवाई होने दें।” उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट पूरी तरह आँखें बंद करके ना रखे, लेकिन आँखें पूरी खोले भी नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सवाल करते हुए पूछा, “मान लीजिए हम तीस्ता को अंतरिम राहत दे देते हैं और मामले की सुनवाई होने देते हैं, तो?” इस पर मेहता ने कहा ” मैं इसका विरोध करूँगा। गुजरात दंगों के बाद तीस्ता साजिश में शामिल थी और ये IPC की धारा 302 से भी ज्यादा गंभीर है।” गौरतलब है कि तीस्ता सीतलवाड़ की गिरफ्तारी 25 जून 2022 को हुई थी। जिसके बाद सीतलवाड़ ने अहमदाबाद कोर्ट में जमानत की अपील की थी। लेकिन, उन्हें जमानत नहीं मिल पाई थी। इसके बाद तीस्ता ने गुजरात हाई कोर्ट का रुख किया था। गुजरात हाईकोर्ट ने तीस्ता की जमानत अर्जी पर नोटिस जारी करते हुए सुनवाई की तारीख 19 सितंबर तय कर दी थी।
चूँकि, तीस्ता सीतलवाड़ को जमानत मिलने में देरी हो रही थी। इसलिए, उसने सुप्रीम कोर्ट में जमानत के लिए अर्जी दाखिल की थी। यदि सर्वोच्च न्यायालय अगली सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा दिए गए तर्कों से संतुष्ट होती है और गुजरात हाई कोर्ट के फैसले का इंतजार करती है तो फिर तीस्ता को जमानत के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा।
बता दें, गुजरात दंगा मामले में निर्दोष लोगों को फँसाने के लिए फर्जी सबूत गढ़ने के आरोप में तीस्ता सीतलवाड़ समेत दो लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इस गिरफ्तारी के बाद गुजरात पुलिस के विशेष जाँच दल की ओर से कोर्ट में पेश किए गए एक हलफनामे में कहा गया था कि तीस्ता का उद्देश्य बड़े षड़यंत्र को अंजाम देते हुए गुजरात सरकार को गिराना या अस्थिर करना था।