Saturday, November 23, 2024
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खामेनेई की जलती तस्वीर, सीधे माथे पर निशाना: ईरान में हैकरों ने लाइव शो में रोकी सर्वोच्च नेता की स्पीच, सरकारी चैनल पर लिखा- ‘तुम्हारे हाथ युवाओं के खून से रंगे हैं’

साल 1979 में ईरान में इस्लामी क्रांति के बाद वहाँ शरिया आधारित कानून लागू कर दिया गया और महिलाओं के हिजाब पहनना अनिवार्य कर दिया गया। इसके बाद छिटपुट विरोध शुरू हो गया। हिजाब के विरोध इस प्रदर्शन ने उस समय गति पकड़ी जब साल 2014 में ईरान की राजनीतिक पत्रकार मसीह अलीनेजाद ने लंदन में बिना हिजाब के टहलते हुए अपनी एक तस्वीर फेसबुक पर शेयर की।

ईरान में बुर्का और हिजाब को लेकर महिलाओं का प्रदर्शन (Iran Hijab Protest) जारी है। इन महिलाओं को दुनिया भर से समर्थन मिल रहा है। वहीं, ईरान की सरकारी टीवी चैनल को हैकटिविस्ट समूह अदालत-ए-अली (Edalat-e-Ali) ने शनिवार को हैक कर लिया। टीवी पर लाइव न्यूज शो के दौरान वहाँ के सर्वोच्च नेता मुहम्मद अयातुल्लाह अली खामेनेई (Muhammad Ayatollah Ali Khamenei) की आलोचना वाली कविता को स्क्रीन पर हैकरों ने दिखाया।

9 बजे के लाइव न्यूज शो के दौरान स्क्रीन पर लिखा गया ‘हमारे युवाओं के खून से आपके हाथ रंगे हैं’। कविता के साथ स्क्रीन पर अली खामेनेई की जलती तस्वीर दिखाई दी। वहीं, खामेनाई के सिर पर निशाना साधने का भी सिंबल दिखाई दिखाई दिया। खामेनाई की तस्वीर के नीचे ईरानी पुलिस द्वारा मारी गई महसा अमिनी (Mahsa Amini) एवं अन्य तीन मृतकों की तस्वीरों को भी हैकरों ने प्रदर्शित किया। अगले मैसेज में लिखा था, उठिए और हमारा साथ दीजिए।

न्यूज प्रसारण के दौरान जिस वक्त यह छोटा क्लिप हैकरों द्वारा चलाया गया, उस वक्त खामेनेई को लेकर टीवी पर खबर दिखाई जा रही है। इसी दौरान यह घटना हुई। हैक करने के बाद खामेनेई की जलती तस्वीर और माथे पर निशाना साधने के साथ बैकग्राउंड में ‘आजादी… महिलाओं की आजादी…’ बज रहा था।

बता दें कि इसी तरह की एक घटना इस साल जनवरी में भी हुई थी। ईरान की सरकारी टीवी चैनल को हैकरों ने हैक करने के बाद वहाँ के सर्वोच्च नेता खामेनेई की मौत का आह्वान किया था। टीवी को हैक करने के लिए ईरान की सरकार ने ईरान के पीपुल्स मुजाहिदीन को जिम्मेदार ठहराया था।

गौरतलब है कि ईरान में हिजाब के विरोध में महिलाओं का प्रदर्शन उग्र रूप धारण कर चुका है। वहीं, ईरान की सरकार प्रदर्शनकारियों का दमन कर रही है। अब तक लगभग 100 की संख्या में लोग प्रदर्शनकारी मारे जा चुके हैं, जिनमें अधिकतर महिलाएँ हैं। महिलाएँ अपने बालों को खोलकर हिजाब के विरुद्ध प्रदर्शन कर रही हैं।

यह प्रदर्शन तब शुरू हुआ, जब 22 साल की महसा अमिनी को वहाँ की मोरल पुलिस को हिजाब ठीक से नहीं पहनने के कारण 13 सितंबर को गिरफ्तार कर लिया था और हवालात में इतना मारा कि वह कोमा में चली गई। बाद में 16 सितंबर को अमिनी की मौत हो गई। इसके बाद ईरान की महिलाएँ सड़कों पर उतर आईं। इन महिलाओं को पूरा ईरान सहित दुनिया भर से समर्थन मिल रहा है।

साल 1979 में ईरान में इस्लामी क्रांति के बाद वहाँ शरिया आधारित कानून लागू कर दिया गया और महिलाओं के हिजाब पहनना अनिवार्य कर दिया गया। इसके बाद छिटपुट विरोध शुरू हो गया। हिजाब के विरोध इस प्रदर्शन ने उस समय गति पकड़ी जब साल 2014 में ईरान की राजनीतिक पत्रकार मसीह अलीनेजाद ने लंदन में बिना हिजाब के टहलते हुए अपनी एक तस्वीर फेसबुक पर शेयर की।

अलीनेजाद उस समय ईरान में ही रहती थीं। उनके इस फोटो पर ईरान की महिलाओं ने समर्थन वाले खूब कमेंट किए और बिना हिजाब की अपनी तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर पोस्ट करने लगीं। इसके बाद हिजाब विरोधी मूवमेंट ने गति पकड़ ली। इसके बाद वहाँ की मोरल पुलिस महिलाओं पर कड़ी निगाह रखने लगी और ‘ठीक से’ हिजाब नहीं पहनने या गैर-इस्लामी कहे जाने वाले चुस्त या पतले कपड़े पहनने पर उन्हें पकड़कर प्रताड़ित करने लगी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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