मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर मंगलवार (15 नवंबर 2022) को अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत विस्तार अधिनियम (PESA Act) लागू कर दिया है। इस कानून के तहत जनजातीय क्षेत्र की ग्राम सभाओं को अधिक शक्ति दिया गया है, ताकि जनजातीय लोगों की जमीन पर कब्जा करने के उद्देश्य से जनजातीय महिलाओं से विवाह एवं धर्मांतरण पर रोक लगाई जा सके।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) की उपस्थिति में मुख्यमंत्री चौहान ने शहडोल जिले के लालपुर गाँव में आयोजित कार्यक्रम में इस कानून को लागू करने की घोषणा की। इस कानून के तहत राज्य के 89 जनजातीय ब्लॉकों के अंतर्गत आने वाले 5,212 पंचायतों के 2,350 गाँवों की ग्राम सभाओं को स्व-शासन की अनुमति दिया गया है।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा, “कई बार धोखे से, छल-कपट से, हमारी जनजातीय बहनों-बेटियों को लालच देकर विवाह कर लिया जाता है, उनके नाम पर जमीन दे दी जाती है और वह जनजातीय भूमि कहलाती है। कभी-कभी धर्मांतरण का भी उपयोग किया जाता है। अब हम मध्य प्रदेश में ऐसा नहीं दिया जाएगा।”
PESA Act ग्राम पंचायतों को इन अनुसूचित क्षेत्रों में बंधुआ मजदूरी पर अंकुश लगाने के लिए सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन और प्रवासी मजदूरों के रिकॉर्ड रखने का काम करेगी। इसके साथ लघु वनोपज, भूमि और छोटे जल निकायों से संबंधित मामलों को तय करेगी। अधिसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभा की अनुशंसा के बिना खनिज के सर्वे, पट्टा देने या नीलामी की कार्यवाही नहीं हो सकेगी।
निशाने पर जनजातीय महिलाएँ
मध्य प्रदेश PESA Act लागू करने वाला देश का सातवाँ राज्य बन चुका है। इसके पहले 6 राज्य- हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र पेसा कानून बना चुके हैं। हालाँकि, सबसे अधिक प्रभावित झारखंड में इसको लेकर किसी तरह की चर्चा नहीं है।
पेसा कानून की सबसे बड़ी जरूरत राज्य में इस्लामी और मिशनरियों द्वारा जनजातीय महिलाओं से विवाह के नाम पर उनकी जमीनों पर किए जाने वाले कब्जे को रोकना है। PESA कानून के तहत ग्राम सभाएँ अगर किसी जनजातीय महिला को बहला-फुसलाकर शादी कर जमीन पर गलत तरीके से कब्जा या खरीदने की कोशिश करें तो ग्राम सभा इसमें अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी। ग्राम सभा उस जमीन को कब्जा से मुक्त कराके उसे फिर से जनजातीय लोगों को दिलवाएगी।
जनजाति बहुल इलाकों में इस्लामी और मिशनरी संस्थाएँ अपने उद्देश्यों को अंजाम देने के लिए ना सिर्फ धर्मांतरण का खेल खेल रही हैं, बल्कि शादी के नाम पर उनकी जमीनों पर भी अवैध कब्जा कर रही हैं। वैसे तो ये सारा काम पूरे देश में अबाध गति से चल रहा है, लेकिन मध्य प्रदेश और झारखंड इनके लिए खुला मैदान बना हुआ था, जहाँ वे अपने कार्यों को मजबूती के साथ अंजाम देते आते रहे हैं।
PFI के डॉक्युमेंट में जनजातीय लोगों से नजदीकी का जिक्र
प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) ने भारत को साल 2047 तक इस्लामी राष्ट्र बनाने के अपने ‘विजन डॉक्युमेंट’ में इस साजिश का उल्लेख किया है। छापेमारी में जब्त किए गए दस्तावेज में कहा गया है, “पार्टी को ‘राष्ट्रीय ध्वज’, ‘संविधान’ और ‘अंबेडकर’ जैसी अवधारणाओं का उपयोग इस्लामी शासन स्थापित करने के वास्तविक इरादे को ढालने के रूप में और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/ओबीसी तक पहुँचने के लिए करना चाहिए।
PFI ने अपने विजन डॉक्यूमेंट आगे लिखा था, “इस चरण में पीएफआई का कहना है कि पार्टी (PFI) को एससी/एसटी/ओबीसी समुदाय के साथ घनिष्ठ गठबंधन बनाना चाहिए और चुनाव में कम-से-कम कुछ सीटें जीतनी चाहिए। PFI जो गठबंधन बनाना चाहता है, उसमें 50% मुस्लिमों की हिस्सेदारी और 10% एससी/एसटी/ओबीसी की हिस्सेदारी होगी। हमें यह दिखाकर आरएसएस और एससी/एसटी/ओबीसी के बीच एक विभाजन पैदा करने की जरूरत है कि आरएसएस केवल उच्च जाति के हिंदुओं के हित की बात करने वाला संगठन है।”
धर्मांतरण के जरिए जनसंख्या बढ़ाने के साथ-साथ जनजातीय इलाकों में जमीनों की क्यों जरूरत है, इसका खुलासा भी PFI के डॉक्युमेंट में किया गया है। इसमें लिखा है, “हमारे पास एडवांस PE पाठ्यक्रम संचालित करने के लिए अभी तक उचित एवं एकांत प्रशिक्षण केंद्र/स्थान नहीं हैं। चुनौती का सामना करने के लिए इकाइयों को मुस्लिम बहुल इलाकों या दूरदराज के स्थानों में भूखंडों का अधिग्रहण करना चाहिए, ताकि हथियारों और विस्फोटकों के भंडार के लिए उचित प्रशिक्षण सुविधाएँ और डिपो स्थापित किए जा सकें।”
जनजाति महिलाओं के नाम पर जमीनों की खरीद और चुनावों में उम्मीदवारी
झारखंड और मध्य प्रदेश के कई इलाके में मुस्लिम जनजातीय महिलाओं से शादी कर उन्हें दूसरी-तीसरी बीवी का दर्जा देकर अपना मतलब साध रहे हैं। कोई पंचायत चुनाव में क्षेत्र को अनुसूचित घोषित होने पर जनजातीय महिला से शादी कर उसे उम्मीदवार बनाकर अपना काम साध रहा है तो कोई जनजातीय महिला से शादी करके उसके नाम पर जनजातीय लोगों की जमीनों की खरीद कर रहा है। ऐसे तमाम उदाहरण हैं और मीडिया में खबरें भी आती रही हैं।
दैनिक भास्कर ने अपनी ग्राउंड रिपोर्ट में इस लैंड जिहाद का खुलासा किया है। ग्वालियर-चंबल संभाग के श्योपुर में कई ऐसे मुस्लिम हैं, जिन्होंने यही काम किया है। काली तराई गाँव का सलीम गुड्डी नाम की सहरिया जनजातीय महिला गुड्डी को अपने साथ रखता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सलीम उसके नाम पर जनजातीय लोगों की जमीनें खरीदता है। गुड्डी एक मोहरे के रूप में इस्तेमाल हो रही है। लोगों का कहना है कि सलीम ने गुड्डी से निकाह किया है या नहीं, यह पता नहीं है लेकिन वह उसे अपने साथ रखता है।
इसी तरह दांतरधा पंचायत में पप्पू पठान ने जनजातीय महिला फूला बाई को अपनी दूसरी पत्नी बनाकर रखा है। पप्पू ने फूला बाई को जिला पंचायत का चुनाव में उम्मीदवार बनाया था, लेकिन वह जीत नहीं पाई। हालाँकि, फूला बाई के भाई राजाराम पंचायत के सरपंच चुने गए हैं। राजाराम का कहना है कि पप्पू पठान ने ही उन्हें सरपंच बनाया है और उनका सारा काम पप्पू पठान ही देखता है। इसी तरह कनापुर गाँव का शहाबुद्दीन वहाँ की पूर्व सरपंच गुड्डी बाई को अपनी दूसरी बीवी बना लिया।
दरअसल, मुस्लिम जनजातीय की जमीन पर कब्जा करने के लिए उनकी बहन-बेटियों से से जान-पहचान बढ़ाते हैं और फिर अपनापन दिखाकर दूसरी या तीसरी शादी कर लेते हैं। इसके बाद निकाह के नाम पर धर्मांतरण करते हैं और इनकी जमीनों को औन-पौने दामों में खरीद लेते हैं। आज स्थिति ऐसी है कि जनजातीय इलाके में मुस्लिमों का प्रभाव और दबदबा तेजी से बढ़ रहा है। इतना ही नहीं, PFI जैसे चरमपंथी संगठनों का भी इन क्षेत्रों में तेजी से फैलाव भी होता है।
जनजातीय इलाकों में PFI जैसे चरमपंथी संगठनों की पैठ
PFI के खिलाफ की गई कार्रवाई में श्योपुर से भी कई संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तार किए गए PFI के संदिग्धों ने पूछताछ में खुलासा किया था कि श्योपुर में भी संगठन के कार्यकर्ता सक्रिय हैं। PFI के संदिग्धों का यहाँ आना-जाना लगा रहता है। इतना ही नहीं, श्योपुर के पास राजस्थान के कोटा में उनकी ट्रेनिंग कैंप का भी पता चला था। इन इलाकों में जमातों का आयोजन होते रहता है और विदेशी भी आते रहते हैं। कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान यहाँ से 12 बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया गया था।
कानून के मुताबिक, यदि जनजातीय महिला किसी मुस्लिम, ईसाई या गैर-जनजातीय से शादी करती है और उस महिला की मौत हो जाती है तो उसकी प्रॉपर्टी के अधिकार हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत तय होते हैं। इस तरह उसके नाम पर चल या अचल संपत्ति उसके पति या बच्चों के होते हैं। हालाँकि, इसके लिए जिलाधिकारी की अनुमति जरूरी होती है, लेकिन कई बार भ्रष्टाचार या जानकारी के अभाव में इसे हस्तांतरित कर दिया जाता है।
झारखंड में तो हालात तो और बदतर हैं। वहाँ जमीनों को मुस्लिमों द्वारा खरीदने और अवैध बसावट के कारण कई जिलों में जनसांख्यिकीय बदलाव हो गया है। इसका परिणाम भी जनजातीय लोगों पर देखने को मिल रहा है। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता रघुवर दास ने भी कहा था कि प्रदेश के भोले-भाले जनजातीय महिलाओं को लव जिहाद में फँसाया जा रहा है और उनकी जमीनों पर अवैध कब्जा किया जा रहा है।
कुछ महीने पहले जनजातीय बहुल राज्य के पलामू जिले के पांडू थाना के अंतर्गत आने वाले मारुमातू गाँव में मुस्लिमों ने महादलित मुसहर जाति के लोगों पर हमला कर उनके कच्चे घरों और झोपड़ियों को गिरा दिया था। मुस्लिमों ने उनकी जमीनों पर कब्जा कर लिया था और उन्हें ट्रकों में भर कर छतरपुर के लोटो गाँव के पास जंगल में फेंक दिया था। झारखंड के कई इलाकों से भी PFI के सदस्यों की गिरफ्तारी हुई है।