Sunday, November 24, 2024
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क्रिसमस पर केरल के चर्चों में आपस में ही भिड़े पादरियों के अलग-अलग गुट: पुलिस को लेना पड़ा एक्शन, ‘Holy Mass’ को लेकर लड़ रहे ईसाई

चर्च के समान सिद्धांतों के तहत चर्च के पादरी और बिशप मास को अल्टर की तरफ मुँह करके पूरा करते हैं और यह पूरी प्रक्रिया इसी तरह पूरी की जाती है। हालाँकि, अलग-अलग चर्च और बिशप इसे अलग-अलग तरीके से अपनाते हैं, जिसको लेकर अक्सर झड़पें होती रहती हैं।

क्रिसमस के मौके पर होली मास (Holy Mass) दौरान कई चर्चों में हिंसक झड़प हो गई है। कोच्चि के सेंट मैरी कैथेड्रल बेसिलिका में शनिवार (24 दिसंबर 2022) को हुए इस हिंसक झड़प में अल्टर को भी नुकसान पहुँचाया गया है। वहीं, शुक्रवार (23 दिसंबर 2022) को एर्नाकुलम कैथड्रल बेसिलिका में इस तरह का मामला सामने आया था।

सेंट मैरी कैथेड्रल बेसिलिका में शनिवार को होली मास के समर्थक चर्च अंदर आ गए, जबकि दूसरा गुट लोगों मास (Mass) प्रदान कर रहा था। इस दौरान दोनों गुटों के बीच झड़प हो गई और वह मेेज को पूरी तरह तहस-नहस हो गया, जिस पर यीशु को चढ़ावा चढ़ाया जाता है।

जिन लोगों ने इस मास का समर्थन किया, उन्होंने शुक्रवार की रात को भी मास ऑफर किया था। वहीं, एक दूसरा गुट मास के उस तरीके का समर्थन कर रहा है जो साइनोड (पादरियों की सभा) द्वारा स्वीकृत है। यह गुट चर्च में प्रदर्शन कर रहा था। इस गुट ने चर्च में बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ की।

यूनिफाइड होली मास का समर्थन करने वाले गुट कहना है कि विरोधी गुट एडमिनिस्ट्रेटर को धमकी देकर पिछले तीन दिनों से ‘मास ऑफ एविल’ कर रहा है। वहीं, दूसरा गुट पुलिस पर भी आरोप लगा रहा है। बता दें कि दोनों गुटों में विरोध को देखते हुए पुलिस ने चर्च को खाली करा दिया।

उधर एर्नाकुलम कैथड्रल बेसिलिका के पादरी फादर एंटनी पुटावेलील का आरोप है कि असहमति रखने वाले पादरी ने एक के बाद एक मास करते रहे, ताकि उन्हें अल्टर के पास आने से रोका जा सके और साइनोड द्वारा स्वीकृत पद्धति के तहत मास को सेलिब्रेट करने से रोका जा सकते। वहीं, दूसरे गुट के पादरी ने कहा कि एंटनी पुटावेलील मास के दौरान अल्टर के पास आकर जानबूझकर समस्या खड़ी करने की कोशिश कर रहे हैं।

बता दें कि साइरो-मालाबार चर्च के अंतर्गत यह चर्च दशकों से मास के अलग तरीके को अपनाता आ रहा है। इसके तहत मास की क्रिया के दौरान कुछ पादरी लोगों की ओर मुँह करते हैं, जबकि कुछ पादरी अल्टर (मेज वाली बेदी) की ओर मुँह किए रहते हैं। कुछ चर्च इन दोनों की विधियों का मिक्स रूप अपनाते हैं।

चर्च के समान सिद्धांतों के तहत चर्च के पादरी और बिशप मास को अल्टर की तरफ मुँह करके पूरा करते हैं और यह पूरी प्रक्रिया इसी तरह पूरी की जाती है। हालाँकि, अलग-अलग चर्च और बिशप इसे अलग-अलग तरीके से अपनाते हैं, जिसको लेकर अक्सर झड़पें होती रहती हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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