Sunday, November 17, 2024
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‘सज-धज कर कॉलेज जाती थी, मर्दों से मिलती थी’: तालिबान ने बताया क्यों महिलाओं की शिक्षा पर लगाया बैन, छात्राओं के आंदोलन का हिंसक तरीके से दमन

लड़कियों के विश्वविद्यालयों में लगे प्रतिबंध के लिए कई और कारण बताए गए हैं। बताया गया है कि छात्राएँ तालिबानी ड्रेस कोड का पालन नहीं कर रहीं थीं।

अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के विश्वलिद्यालयों में महिलाओं के प्रवेश पर रोक के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन कर रही छात्राओं पर वाटर कैनन का इस्तेमाल किया गया है। छात्राओं पर पानी के बौछार का वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है। पढ़ाई पर रोक लगाने के बाद से ही अफगानिस्तान की महिलाएँ अपने हक के लिए आवाज उठा रही हैं।

छात्राओं पर पानी की बौछार

रिपोर्ट्स के मुताबिक, अफगानिस्तान के हेरात शहर में विश्वविद्यालयों में महिलाओं के प्रतिबंध के खिलाफ प्रदर्शन कर रही छात्राओं पर वाटर केनन का इस्तेमाल किया गया। इससे जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में छात्राएँ पानी की बौछार से बचने के लिए एक गली में छिपते हुए देखी जा सकती हैं। तालिबान के फैसले का विरोध कर रहीं दर्जनभर छात्राएँ ‘शिक्षा हमारा अधिकार है’ के नारे लगा रही थीं।

काबुल में प्रदर्शनकारी महिलाएँ गिरफ्तार

इसके पहले तालिबान के फैसले के खिलाफ काबुल में महिलाओं के एक छोटे समूह ने भी प्रदर्शन किया था। लगभग दो दर्जन लड़कियों ने हिजाब और मास्क पहन कर सड़कों पर मार्च निकाला और तालिबानी हुकूमत के फैसले का नारे लगाते हुए विरोध किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रदर्शन कर रही महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया गया। जिनमें से 2 को रिहा कर दिया गया लेकिन कई प्रदर्शनकारी महिलाएँ अब भी तालिबान की कैद में बताई जा रही हैं।

इसलिए लड़कियों की शिक्षा पर लगाया गया लगाम

उधर अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने विश्वविद्यालयों में महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगाने के फैसले का बचाव किया है। अफगानिस्तान के उच्च शिक्षा मंत्री निदा मोहम्मद नदीम ने मामले पर सार्वजनिक तौर पर चर्चा करते हुए कहा कि विश्वविद्यालयों में लड़के-लड़कियों के मेल जोल को रोकने के लिए यह प्रतिबंध जरूरी था। अफगानिस्तान के एक टीवी चैनल पर साक्षातकार के दौरान उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में कुछ ऐसे विषय पढ़ाए जा रहे थे जो इस्लाम के खिलाफ हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, लड़कियों के विश्वविद्यालयों में लगे प्रतिबंध के लिए कई और कारण बताए गए हैं। बताया गया है कि छात्राएँ तालिबानी ड्रेस कोड का पालन नहीं कर रहीं थीं। छात्राएँ इस तरह सज-धज कर पढ़ने जाती थीं मानो शादी समारोह में जा रही हैं। संगठन का कहना है कि यूनिवर्सिटी में औरतें और मर्द स्वतंत्र रूप से मिल रहे थे। तालिबान सरकार के फैसले पर दुनिया भर में हो रही आलोचना को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह अफगानिस्तान का निजी मामला है और इसमें दूसरे देशों को दखल नहीं देना चाहिए।

NGO के लिए भी काम नहीं कर सकेंगी महिलाएँ

इस बीच अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार ने महिलाओं के खिलाफ एक और फरमान जारी कर दिया है। अब अफगानिस्तान में महिलाएँ एनजीओ (NGO) के लिए काम नहीं कर सकेंगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक आर्थिक मामलों के मंत्रालय से जारी किए गए आदेश में स्थानीय और विदेशी NGO को आदेश जारी किया गया है। इस आदेश में महिला कर्मचारियों को काम पर आने से रोकने के लिए कहा गया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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