जैन धर्म के प्रमुख तीर्थस्थल श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित करने, गुजरात पालिताणा मंदिर में तोड़फोड़, वहाँ शराब आदि की बिक्री तथा उस पर्वत पर अवैध खनन से नाराज जैन समाज के लोग सड़कों पर हैं। पिछले कई दिनों से इसके लिए प्रदर्शन कर रहे जैन समाज के 11 लोगों ने राजस्थान के अहिंसा सर्किल पर सामूहिक मुंडन कराकर अपना विरोध जताया।
वहीं, दिल्ली, मुंबई और गुजरात सहित देश के विभिन्न शहरों में जैन समाज के लोगों ने भारी संख्या में सड़कों पर निकल कर मार्च निकाला। महाराष्ट्र सरकार के मंत्री एमपी लोढ़ा और AIMIM प्रमुख एवं हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इनकी माँगों का समर्थन किया है। इस मार्च में लाखों लोग शामिल हुए।
We are protesting against the vandalisation of the temple in Palitana & Jharkhand govt’s decision. The Gujarat govt has taken action but we want strict action against them (who vandalised the temple). Today more than 5 lakh people are on the streets: Maharashtra Min MP Lodha pic.twitter.com/ViH8kKLjJb
— ANI (@ANI) January 1, 2023
जैन समाज के लोग झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ियों पर स्थित जैन तीर्थस्थल श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल में बदलने का फैसला वापस लेने की माँग कर रहे हैं। दिल्ली में जैन समाज के लोग प्रगति मैदान में इकट्ठे होकर इंडिया गेट की ओर मार्च किया। उनका कहना है कि वे झारखंड सरकार के फैसले के खिलाफ राष्ट्रपति भवन में ज्ञापन देंगे।
जैन समाज का कहना है कि झारखंड द्वारा श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन क्षेत्र घोषित करने से वहाँ लोगों की आम बढ़ेगी और इससे सम्मेद शिखर को नुकसान होगा। इससे जैन समाज की धार्मिक भावनाएँ आहत होंगी। वहीं, पिछले दिनों गुजरात के पलीताणा में स्थित जैन मंदिर में हुई तोड़फोड़ का भी लोग विरोध कर रहे हैं।
वहीं, गुजरात के पालिताणा में शत्रुंजय पहाड़ी पर हिंदू और जैन दोनों धर्मों के तीर्थ हैं। जैन धर्म के सेठ आनंदजी कल्याणजी ट्रस्ट और हिंदुओं के नीलकंठ महादेव सेवा समिति के बीच पिछले दिनों मतभेद सामने आए थे। इसके बाद 16 दिसंबर को पहाड़ी पर स्थित जैन मंदिर के लोहे के खंभे और एक बोर्ड को क्षतिग्रस्त कर दिया गया। इसक घटना सीसीटीवी में भी कैद हो गया।
मुंबई में जैन समाज के विरोध प्रदर्शन में महाराष्ट्र सरकार के मंत्री एमपी लोढ़ा शामिल हुए। उन्होंने कहा, “हम गुजरात के पलीताणा में हुए जैन मंदिर में हुई तोड़फोड़ और झारखंड सरकार के श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल में बदलने का फैसले के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं।”
जैन समाज की माँगों का समर्थन करते हुए ओवैसी ने ट्वीट कर कहा, “हम जैन समुदाय के लोगों का समर्थन करते हैं। झारखंड सरकार को इस फैसले को रद्द करना चाहिए। गुजरात के सीएम से अपील कि वे आरोपितों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें।”
We support this Jain community protest and the Jharkhand government must rescind the decision & @CMOGuj must take strong action. https://t.co/Ngcdh88kFS
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) January 1, 2023
इसके पहले विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने भी जैन समाज की माँगों का समर्थन किया था। VHP ने कहा था कि तीर्थ क्षेत्रों का विकास श्रद्धा और आस्था के अनुसार होना चाहिए, ना कि पर्यटन केंद्र के रूप में। विश्व हिंदू परिषद ने कहा था कि पार्श्वनाथ सम्मेद शिखरजी की पवित्रता और मर्यादा बनी रहनी चाहिए। इसमें झारखंड सरकार को तत्काल निर्णय लेना चाहिए।
जैन समाज के लोगों का कहना है कि तीर्थस्थल को पर्यटन स्थल घोषित करने के बाद यहाँ पर्यटकों के लिए कई तरह की सुविधाएँ भी दी जाएँगी, जिनमें शराब और मांस की बिक्री भी शामिल है। झारखंड सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में वहाँ छोटे उद्योगों के विकास के साथ-साथ मुर्गा-मछली पालन की भी अनुमति दी गई है। जैन समाज का कहना है कि यह अहिंसक जैन समाज के लिए असहनीय होगा।
उधर, गुजरात के भावनगर जिले के एक पर्वत पर स्थित पालिताणा जैन तीर्थ को लेकर भी समाज में भारी असंतोष है। इसकी मंदिर में तोड़फोड़ पर जैन समाज नाराज है। समाज के लोगों का कहना है कि गुजरात में शराबबंदी है, लेकिन यहाँ शराब की अवैध बिक्री की जा रही है। इतना ही नहीं, इस पर्वत का अवैध रूप से खनन भी किया जा रहा है। इस मामले को लेकर जैन समाज कोर्ट में भी गया और कोर्ट ने धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुँचाने के लिए कहा था।
बता दें कि पार्श्वनाथ पहाड़ी वह जगह है, जैन धर्म के 24 ‘तीर्थंकरों’ में से 20 के साथ-साथ कई अन्य भिक्षुओं यहाँ मोक्ष प्राप्त किया था। यहाँ 20 तीर्थंकरों के चरण चिन्ह अंकित हैं, जिन्हें ‘टोंक’ कहा जाता है। इस पहाड़ी पर 2,000 साल से भी ज्यादा पुराने कई मंदिर हैं। इस पहाड़ी का नाम जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ के नाम पर है।
वहीं, गुजरात का पालिताणा शत्रुंजय तीर्थ जैन धर्म के पाँच प्रमुख तीर्थों में से एक है और इसे शाश्वत तीर्थ कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि मंदिर के ऊपर शिखर पर सूर्यास्त के बाद केवल देव साम्राज्य ही रहता है। कहा जाता है कि राजा संप्रति और राजा विक्रमादित्य आदि ने इसके जीर्णोद्धार कराए थे।