उत्तराखंड के हल्द्वानी में दूसरा शाहीन बाग़ शुरू करने की साजिश चल रही है, जिसे कॉन्ग्रेस का पूरा समर्थन है। अब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई हो रही है और इसमें अतिक्रमणकारियों का साथ कॉन्ग्रेस नेता दे रहे हैं। हल्द्वानी के विधायक सुमित हृदयेश भी दिल्ली पहुँच चुके हैं, ताकि वो इस मामले में अधिवक्ता व वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की मदद कर सकें। शायर और कॉन्ग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी भी लगातार लगे हुए हैं।
सोशल मीडिया पर अभिषेक सेमवाल नामक यूजर ने अपने एक थ्रेड में काफी अच्छे से इस पक्ष को उभारा है और कॉन्ग्रेस नेताओं पर सवाल उठाए हैं। जिस जगह से अतिक्रमण हटाया जाना है, वहाँ पर करीब 20 इबादतगाह बना दिए गए हैं – ऐसा मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है। यहाँ रेलवे के क्षेत्र में कई वर्षों के क्रम में हजारों लोग बस गए। ये एक पूरी साजिश के तहत हुआ, क्योंकि अचानक से तो कहीं हजारों लोग नहीं बस जाएँगे।
करीब 47 वर्षों तक इसका क्रम चला, जो कॉन्ग्रेस के समर्थन के बिना संभव नहीं था। क्योंकि, ज्यादातर वर्षों तक इसी पार्टी का केंद्र और राज्य में राज रहा। अभिषेक मेघवाल ने बताया है कि कैसे इंदिरा हृदयेश ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई। उनका कहना था कि वो हर वो कोशिश करती हैं, जिससे ये बस्ती न उजड़े। यहाँ तक कि जब गफूर बस्ती के सीमांकन का काम होता था, तब भी यहाँ के लोग इसका विरोध करते थे और इंदिरा हृदयेश भी इसमें साथ रहती थीं।
पार्षद लईक कुरैशी जैसे लोग भी इसमें उनके साथ रहे, जो मुस्लिमों के बीच से चुन-चुन कर आते रहे और कहते रहे कि बस्ती कोई नहीं उजाड़ पाएगा। इस तरह, अतिक्रमणकारियों का समर्थन कर-कर के हृदयेश परिवार ने उनके बीच खुद के लिए सहानुभूति बनाई और उनके वोटों से जीतते रहे। क्योंकि, बस्ती की जनसंख्या बढ़ने का अर्थ था उनका समर्थन करने वाले नेता के वोट्स बढ़ना। जनप्रतिनिधि बदले में उन्हें सारी सुविधाएँ देते थे, उनके आइकार्ड्स बनाए गए होंगे।
आसपास के इलाकों में भी मुस्लिम जनसंख्या बढ़ने से कॉन्ग्रेस को इसका फायदा हुआ और कॉन्ग्रेस ने बदले में इनको फायदा पहुँचाया। हालाँकि, अंत में काम निकल जाने के बाद और मुस्लिमों की माँगें बढ़ने के बाद इंदिरा हृदयेश ने भी इन्हें भाव देना बंद कर दिया। मुस्लिम भी समझने लगे थे कि उनका इस्तेमाल वोट बैंक के रूप में किया जा रहा है। अब गफूर बस्ती अपने खुद को नियमित किए जाने की माँग करने लगे, और ज्यादा माँगने लगे, जिस कारण कॉन्ग्रेस का वोट बैंक उनके ही गले की फाँस बन गया।
हृदयेश परिवार ने अतिक्रमणकारियों को खुद की सियासी सीढ़ी बनाया, उन्होंने इनको न सिर्फ सरकारी भूमि पर जमे रहने का हक दिया, बल्कि इस दरियादिली के बदले वोट का अधिकार भी दिलाया।(4/n)
— ABHISHEK SEMWAL (@Abhiisshhek) January 4, 2023
अंत में इंदिरा हृदयेश खुद दिसंबर 2016 में कह चुकी थीं कि हल लाठी-डंडों से नहीं, बल्कि न्यायालय से निकलेगा। अब जब उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अतिक्रमण खाली करने के आदेश दे दिए हैं, फिर अब इतना ड्रामा क्यों? उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और करण माहरा जैसे कॉन्ग्रेस नेता कैंडल मार्च निकाल कर अवैध अतिक्रमणकारियों के समर्थन में लगे हैं। खुद MLA सुमित हृदयेश यहाँ फ्लाईओवर बनने जैसे विकास कार्यों का विरोध कर चुके हैं। यानी, अवैध अतिक्रमण के कारण कॉन्ग्रेस इलाके के विकास की भी विरोधी है।