Sunday, December 22, 2024
Homeदेश-समाजजिस घर को मेहनत से बनाया, वो आज वीरान पड़ा है... जोशीमठ से पलायन...

जिस घर को मेहनत से बनाया, वो आज वीरान पड़ा है… जोशीमठ से पलायन करने वालों को भगवान का आसरा, कह रहे – बगीचे-खेत सब पीछे छूट गए, पता न कहाँ जाएँगे

जोशीमठ में रहने वाली बिंदु ने मीडिया से बात करते हुए कहा है, "यह मेरा मायका है। 19 साल की उम्र में मेरी शादी हुई थी। मेरी माँ 80 साल की हैं और मेरा एक बड़ा भाई है।"

उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धँसती जा रही है। प्रशासन असुरक्षित घरों को गिराने के साथ ही लोगों को सुरक्षित स्थानों में पहुँचा रहा है। हालाँकि, लोग अपने घरों को छोड़कर जाने के लिए तैयार नहीं हैं। जो लोग घर छोड़कर जा भी रहे हैं वह बेहद दुःखी हैं। वास्तव में, जोशीमठ की चिंता केवल उन लोगों को नहीं है, जो वहाँ रह रहे हैं। बल्कि पूरा देश पवित्र नगरी जोशीमठ के हालातों पर नजर जमाए हुए है। हालाँकि, जिनका घर उनसे छूट रहा है वह अपने घर की हालत देखकर भावुक हो रहे हैं।

ऐसे ही, जोशीमठ में रहने वाली बिंदु ने मीडिया से बात करते हुए कहा है, “यह मेरा मायका है। 19 साल की उम्र में मेरी शादी हुई थी। मेरी माँ 80 साल की हैं और मेरा एक बड़ा भाई है। हमने मेहनत करके और कमाई करके यह घर बनाया है। हम यहाँ 60 साल रहे लेकिन यह सब अब खत्म हो रहा है।”

दरअसल, कुछ दिनों पहले तक जिन घरों में रौनक नजर आती थी। उन घरों में अब सिर्फ दरारें नजर आ रहीं हैं। प्रशासन ने सैकड़ों असुरक्षित घरों पर मार्किंग कर दी है। यानी अब, ऐसे घर रहने लायक नहीं हैं। इसी तरह, मनोहर बाग वार्ड में रहने वाली उत्तरा देवी के मकान को भी प्रशासन ने असुरक्षित घोषित कर लाल निशान लगा दिया है। जोशीमठ के सिंहधार वार्ड में रहने वाली मंदोदरी देवी, गोदांबरी देवी, हेमलता देवी अब प्रशासन द्वारा बनाए गए शिविर में रह रहीं हैं। लेकिन, अपने घरों को याद कर उनकी आँखों में आँसू आ जाते हैं। लोगों का कहना है कि जिन घरों को उन्होंने अपनी मेहनत की कमाई से बनाया। वह घर अब वीरान पड़ा हुआ है।

‘आज तक’ से बात करते हुए एक महिला ने कहा है कि जून तक सब ठीक था। छोटी-मोटी दरारें आ रहीं थीं। लेकिन, पहाड़ में यह सब सामान्य है। अब अचानक से दरारें बढ़ गईं हैं। रात में वह प्रशासन द्वारा बनाए गए शिविर में रहती हैं और दिन में वापस अपने घर आ जातीं हैं।

महिला का कहना है कि वह अपने घर को छोड़ने की तैयारी कर रहीं हैं। इससे पहले उन्हें सामान भी शिफ्ट करना है। पत्रकार ने जब उनसे पूछा कि आप अब कहाँ जाएँगीं? तो उन्होंने कहा, भगवान है। उन्होंने यह भी कहा है कि सरकार उन्हें शिफ्ट कर देगी। लेकिन, यहाँ उनके खेत हैं, बगीचा है और यहीं उनके बच्चों का जन्म हुआ है।

इसी तरह एक अन्य महिला गीता देवी अपने घर को देखते हुए भावुक हो जाती हैं। वो कहतीं हैं उनका घर टूटने वाला है। आसपास के कई घरों में दरारें आ गईं हैं। प्रशासन ने मदद का आश्वासन दिया है। पहले यहाँ सब अच्छा था। इस घर में वह 2003 से 2021 तक खुशी से रह रहीं थीं। लेकिन, 2021 में हुई बारिश के बाद सब बदल गया। वह दुःखी होकर कहतीं हैं कि बारिश में कई रात सो नहीं पाए। किसी से कुछ बोल नहीं पाए। लेकिन, सोचते थे घर टूटेगा तो क्या होगा।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

किसी का पूरा शरीर खाक, किसी की हड्डियों से हुई पहचान: जयपुर LPG टैंकर ब्लास्ट देख चश्मदीदों की रूह काँपी, जली चमड़ी के साथ...

संजेश यादव के अंतिम संस्कार के लिए उनके भाई को पोटली में बँधी कुछ हड्डियाँ मिल पाईं। उनके शरीर की चमड़ी पूरी तरह जलकर खाक हो गई थी।

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।
- विज्ञापन -