महाराष्ट्र के पालघर में हुई दो साधुओं और एक उनके ड्राइवर को की हत्या की जाँच अब सीबीआई करेगी। सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद महाराष्ट्र सरकार ने इस मामले को सीबीआई को सौंपने का फैसला किया है। इससे पहले तत्कालीन उद्धव ठाकरे की सरकार ने मामले की सीबीआई जाँच कराने से इनकार कर दिया था।
Maharashtra government informs the Supreme Court that it has decided to hand over to CBI the probe into the Palghar lynching case wherein two Sadhus were lynched to death. pic.twitter.com/4CRXFBOwAa
— ANI (@ANI) April 28, 2023
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पालघर हत्या के मामले में शुक्रवार (28 अप्रैल 2023) को सुनवाई हुई। इस सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि राज्य सरकार चाहे तो मामले की जाँच सीबीआई से करा सकती है।
इस पर महाराष्ट्र सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया कि उसने पालघर हिंसा की जाँच सीबीआई से कराने का फैसला किया है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि राज्य सरकार ने फैसला ले लिया है तो इस पर कोर्ट की ओर से किसी भी प्रकार के निर्देश की आवश्यकता नहीं है।
बता दें कि इससे पहले 11 अक्टूबर 2022 को हुई सुनवाई में भी महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर कहा था कि वह पालघर हिंसा मामले की जाँच सीबीआई से कराने को तैयार है। इससे सरकार को कोई आपत्ति नहीं है।
उद्धव सरकार ने CBI जाँच का किया था विरोध…
इससे पहले उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली तत्कालीन महाविकास अघाड़ी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई जाँच का विरोध किया था। उद्धव ठाकरे सरकार की ओर से यह दलील दी गई थी कि महाराष्ट्र पुलिस ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल की है। साथ ही, जिन पुलिसकर्मियों ने इसकी जाँच में लापरवाही की थी, उनके खिलाफ एक्शन भी लिया जा चुका है।
क्या है मामला…
16 अप्रैल 2020 में कल्पवृक्ष गिरि और सुशील गिरि नाम के दो साधुओं और उनके ड्राइवर को पालघर में भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला था। जब यह घटना हुई थी, तब दोनों साधु मुंबई से सूरत की यात्रा कर रहे थे। इस दौरान 200 से अधिक लोगों की भीड़ ने उन्हें रोक लिया था और पथराव करने के बाद उनकी कार को उलट दिया था। भीड़ ने साधुओं की इतनी पिटाई की कि उन्होंने दम तोड़ दिया था।
इस घटना के बाद जून 2020 में पंच दशाबन जूना अखाड़े के साधुओं और दो मृतक साधुओं के रिश्तेदारों ने मामले की जाँच कर रहे राज्य के अधिकारियों पर पक्षपात करने का आरोप लगाया था। इसके बाद वे सुप्रीम कोर्ट से एनआईए/सीबीआई जाँच की माँग की थी।