आजकल आपने आरे जंगल का नाम सुना होगा। ट्विटर पर भी कई सेलेब्रिटीज द्वारा इस सम्बन्ध में ट्वीट किया जा रहा है। उन्होंने ‘Save Aarey’ नामक ट्रेंड भी चलाया, जिसमें लोगों को इस मुद्दे पर सरकार का विरोध करने को कहा गया। यहाँ यह भी जानने लायक बात है कि आरे क्षेत्र को आधिकारिक रूप से जंगल का दर्जा नहीं प्राप्त है। महाराष्ट्र सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि आरे क्षेत्र को सिर्फ़ इसीलिए जंगल का आधिकारिक दर्जा नहीं दिया जा सकता क्योंकि वहाँ बहुत ज्यादा हरियाली है।
अगर आपने आरे जंगलों से जुड़े विरोध प्रदर्शन पर ध्यान दिया होगा तो आपको ऐसा लगेगा कि सरकार मेट्रो प्रोजेक्ट्स के लिए पूरे जंगल को ही काट रही है। माहौल ऐसा बनाया जा रहा है जैसे पूरे जंगल को औद्योगिक कारणों ने साफ़ किया जा रहा है। महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना की सरकार है। ऐसे में, विरोध प्रदर्शनों में कई ऐसे तत्व शामिल हैं, जो महाराष्ट्र सरकार के ख़िलाफ़ दुष्प्रचार अभियान में लगे हैं। कहीं-कहीं तो ऐसा भी लग रहा कि इस विरोध प्रदर्शन का आधार ही किसी बड़ी साज़िश का हिस्सा है।
CM @Dev_Fadnavis exposes Environmental Activist on #AareyAiKaNa @MumbaiMetro3 pic.twitter.com/57PdNA8NiD
— Dhaval Patel (@dhaval241086) September 21, 2019
विरोध प्रदर्शन जायज है। ख़ुद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति एक भी पेड़ काटे जाने के ख़िलाफ़ सड़क पर उतरता है तो वह उस व्यक्ति का सम्मान करते हैं। उन्होंने बताया कि इस मसले को लेकर सरकार के पास 13,000 शिकायतें आई हैं, जिनमें से 10,000 शिकायतें बंगलौर की एक वेबसाइट से आई हैं। ऐसे में इस प्रश्न का उठना लाजिमी है कि क्या इस पूरे विरोध प्रदर्शन को कहीं से संचालित किया जा रहा है? पहले मामले को समझते हैं।
Aarey जंगल: क्या है मामला और क्यों हो रहा है विरोध
मुंबई मेट्रो को विश्व के सबसे उन्नत मेट्रो में से एक जाना जाता है। मुंबई के विकास में यातायात सुविधाओं को सुगम बनाना सरकार की प्राथमिकता है और होनी भी चाहिए। मुंबई जैसे महानगर में यातायात सुविधाएँ क्षेत्र की लाइफलाइन है। मेट्रो के शेड 3 लाइन के लिए आरे जंगल के 2700 पेड़ों को काटे जाने का निर्णय लिया गया है। आरे जंगल नार्थ मुंबई में 1000 एकड़ से भी अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है। ध्यान दीजिए, पूरे जंगल को नहीं साफ़ किया जा रहा है। आज क्लाइमेट चेंज के ज़माने में एक पेड़ का भी कटना दुःखद है लेकिन जैसा कि कहा जा रहा है कि पूरे जंगल को कटा जा रहा है, ऐसी बात नहीं है।
आरे जंगल में पेड़ों को काटे जाने के विरोध में अधिकतर बॉलीवुड सेलेब्स शामिल हैं। कटरीना कैफ, अजुन कपूर, जॉन अब्राहम और मनोज वाजपेयी सहित तमाम बड़े चेहरों ने इसका विरोध किया। लेकिन, लोगों को शक तब हुआ जब मनोज वाजपेयी और दिया मिर्जा के ट्वीट्स में एकदम से समानता देखने को मिली। गुरुवार (सितम्बर 19, 2019) को सबसे पहले दिया मिर्जा का ट्वीट आया, जिसमें कहा गया कि मुंबई में आरे जंगलों के साथ-साथ गुरुग्राम में आरावली की पहाड़ियों को नुकसान पहुँचाया जा रहा है। इसके अलावा बुलेट ट्रेन्स को लेकर भी नेगेटिव बात लिखी गई।
ट्वीट में दिया मिर्जा ने लिखा कि विकास कार्यों के लिए पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने के भयंकर परिणाम होंगे। इसके साथ ही कुछेक हैशटैग के साथ स्ट्राइक करने की बात कही गई। इसके ठीक 7 मिनट बाद मनोज वाजपेयी का ट्वीट आया, जिसमें इससे कुछ भी अलग नहीं है। दोनों ट्वीट्स की शब्दशः समानता देख कर लोगों को इस पर शक होना लाजिमी था कि क्या इस विरोध प्रदर्शन के पीछे कोई संस्था है जो ट्वीट्स का फॉर्मेट तैयार कर के सेलेब्स को भेज रही है? या फिर क्या ये पेड ट्वीट्स हैं? देखिए दोनों ट्वीट्स:
500 500 500 500@BajpayeeManoj @deespeak pic.twitter.com/BPUZHd5Sf8
— Tajinder Pal Singh Bagga (@TajinderBagga) September 19, 2019
सच्चाई जो आपको जाननी ज़रूरी है
आपको यह जानना ज़रूरी है कि आरे एक बहुत बड़ा क्षेत्र है और इसका पूरा क्षेत्रफल 3000 एकड़ से भी ज्यादा हो जाता है। आरे मिल्क कॉलोनी के रूप में पहचाने जाने वाले इस क्षेत्र का 950 एकड़ से भी ज्यादा हिस्सा राज्य व केंद्र सरकारों की संस्थाओं के स्वामित्व में है। इसमें से 1000 एकड़ कृषि कार्यों के लिए नहीं हैं। सोशल फॉरेस्ट्री लैंड एक्ट के तहत 183 एकड़ ज़मीनें आती हैं। अगर पूरे 3000 एकड़ की बात करें तो औसतन प्रति एकड़ एक पेड़ से भी कम काटा जा रहा है। लेकिन, इसे पूरे आरे जंगल को सरकार द्वारा बर्बाद करने वाले नैरेटिव के रूप में पेश किया जा रहा है।
पूरे आरे मिल्क कॉलोनी में 4.8 लाख पेड़ हैं, जिनमें से मात्र 2185पेड़ों को मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए काटा जाएगा। इसके अलावा 461 पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया जाएगा। अर्थात, इन्हें काटा नहीं जाएगा बल्कि उठा कर यहाँ से कही और लगा दिया जाएगा। महाराष्ट्र सरकार कुल काटे गए पेड़ों का 6 गुना पेड़ लगाएगी। अर्थात, अगर 2500 पेड़ काटे जाते हैं तो उसके बदले 15,000 पेड़ लगाए जाएँगे? तो फिर बवाल क्यों? क्या विकास परियोजनाओं को यूँ ही रोक दिया जाए, वो भी तब जब महानगर को इसकी सख्त ज़रूरत है? आखिर वो कौन लोग हैं जो चाहते हैं कि मुम्बई में मेट्रो का विकास न हो?
समर्थन में हैं अमिताभ और अक्षय
वहीं अमिताभ बच्चन और अक्षय कुमार जैसे सेलेब्स ने मुंबई मेट्रो का समर्थन किया है। अमिताभ बच्चन ने इसके लिए अपने एक दोस्त की कहानी सुनाई। उनके एक दोस्त ने मेडिकल इमरजेंसी के समय अपनी कार का उपयोग न करते हुए मेट्रो का उपयोग करना बेहतर समझा। समय पर हॉस्पिटल पहुँचने के बाद वो मेट्रो सेवा से काफ़ी प्रभावित हुए। अमिताभ के दोस्त ने पाया कि मेट्रो काफ़ी प्रभावी, तेज़ और सुगम है। अमिताभ बच्चन ने अपने दोस्त के हवाले से लिखा कि मेट्रो पर्यावरण के लिए भी अच्छा है और प्रदूषण का निदान है क्योंकि लोग प्राइवेट गाड़ियों का उपयोग न कर के मेट्रो में चढ़ते हैं।
Thank you @SrBachchan, for shedding light on the usefulness of #Metro for #Mumbaikars.
— MMRDA (@MMRDAOfficial) September 17, 2019
We at MMRDA are extremely glad that such a distinguished personality like you, took out the time to tweet about this!#MumbaiMetro network will always strive to be part of such heartening tales
साथ ही बच्चन ने यह सलाह भी दी कि लोग अपने बगीचे में ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएँ, जैसा कि उन्होंने किया है। मुंबई मेट्रो ने भी बॉलीवुड के महानायक के इस ट्वीट के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। लेकिन कुछ लोगों को अमिताभ का यह ट्वीट रास नहीं आया और उनके घर के बाहर भी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। ‘जलसा’ के बाहर जुटे प्रदर्शनकारियों ने अमिताभ को बगीचे और जंगल के बीच का अंतर समझाते हुए प्लाकार्ड्स दिखाए।
We are really ecstatic that you could rely on #MumbaiMetro to beat the traffic & travel #LikeABoss. Thank you. #HaveAGreatEvening
— Mumbai Metro (@MumMetro) September 18, 2019
इसी तरह अक्षय कुमार ने भी मेट्रो में सफर करते हुए एक वीडियो बनाया और बताया कि यह महानगर के लिए कितना अच्छा है। उन्होंने ट्रैफिक के लिए मेट्रो को सलूशन बताया। और सबसे बड़ी बात यह कि मुंबई के गोरेगाँव फिल्म सिटी के निर्माण के लिए भी काफ़ी पेड़ काटे गए थे। क्या उस बारे में इन सेलेब्स ने कुछ भी कहा? क्या वे इस फिल्म सिटी का उपयोग करना बंद कर देंगे? नहीं। क्योंकि, मामला यहाँ उनके वित्तीय हित से जुड़ा है। इसी तरह मेट्रो प्रोजेक्ट भी करोड़ों मुंबई वासियों के हित से जुड़ा है।