मेवात के नूहं जिले में हिन्दुओं की जलाभिषेक यात्रा के दौरान हुई हिंसा मामले में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) जाँच की माँग की गई है। यह माँग सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर के की गई है। याचिकाकर्ता प्रदीप भंडारी और रतन शारदा ने उच्चतम न्यायालय से इसे हिन्दू विरोधी हिंसा बताया है। याचिका में हिंसा से जुड़े केसों को नूहं के बाहर चलाने, भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने और मृतकों के परिजनों को 1 करोड़ रुपए की सहायता राशि दिलाने की माँग की गई है।
याचिकाकर्ताओं ने केंद्र और हरियाणा सरकार को पार्टी बनाया है। याचिका का आधार संविधान में दिए गए अभिव्यक्ति की आज़ादी, समानता और जीवन का अधिकार बनाया गया है। याचिका के मुताबिक नूहं जिले के साथ उसके आसपास सोहना और गुरुग्राम में हिन्दुओं को टारगेट किया गया जिसमें कुछ की जान भी चली गई। किए गए हमलों को शर्मनाक बताते हुए याचिकाकर्ताओं ने इसे जीवन के अधिकार का उल्लंघन बताया है। इस याचिका को अधिवक्ता मंजू जेटली शर्मा ने दायर किया है।
कुल 6 माँगों वाली इस याचिका की पहली माँग नूहं हिंसा की राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) द्वारा जाँच कराना है। दूसरी माँग के तौर हिंसा से जुड़े आपराधिक मामलों के ट्रायल को नूहं से बाहर चलाना है। तीसरी माँग में हरियाणा सरकार से उन घरों का लेखा-जोखा पेश करने का आवेदन है जिन्हे हिंसा के दौरान नुकसान पहुँचाया गया है। चौथी माँग में नूहं हिंसा के दौरान अपनी जान गँवाने वाले लोगों के परिजनों को हरियाणा सरकार द्वारा 1 करोड़ और घायलों को 20 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दिलाना है।
इसी याचिका की वहीं पाँचवीं माँग के तौर पर सुप्रीम कोर्ट से अपील की गई है कि वो धार्मिक त्योहारों के लिए किसी गाइडलाइन को बनाने का निर्देश दे। याचिका के मुताबिक, यह आदेश पूरे देश पर लागू हो जिस से भविष्य में नल्हड जैसी किसी और घटना की पुनरावृत्ति न होने पाए। साथ ही अंतिम माँग के तौर पर न्यायालय द्वारा स्वयं ही जनहित में कोई आदेश जारी करने की अपील है। इन माँगों का खाका अधिवक्ता शशांक शेखर झा द्वारा खींचा गया है। ऑपइंडिया के पास याचिका की कॉपी मौजूद है।