Sunday, December 22, 2024
115 कुल लेख

Anand Kumar

Tread cautiously, here sentiments may get hurt!

सरकारी बूटों तले रौंदी गई हिन्दुओं की परम्परा, गोलियाँ चलीं, कहारों के कंधों के बजाय ट्रैक्टर, जेसीबी से हुआ विसर्जन

इस बार परम्पराओं और मान्यताओं को सरकारी बूटों तले रौंदने के बाद बिना आरती इत्यादि के ही दूसरी देवियों के बाद बड़ी दुर्गा को विसर्जित किया गया।

बिहार में ई बा: कुछ लोगों के निजी स्वार्थ और धंधे पर चोट है मैथिली ठाकुर का गाना

दहेज़ के बारे में सोचा है? एक तो इसमें ‘ज’ के नीचे जो बिंदी होती है, वो देवनागरी लिपी में होती ही नहीं। यानी, ये देशज नहीं, विदेशज शब्द है। दहेज़ जैसा कोई सिद्धांत भारत में नहीं होता था।

मैथिली ठाकुर के गाने से समस्या तो होनी ही थी.. बिहार का नाम हो, ये हमसे कैसे बर्दाश्त होगा?

मैथिली ठाकुर के गाने पर विवाद तो होना ही था। लेकिन यही विवाद तब नहीं छिड़ा जब जनकवियों के लिखे गीतों को यूट्यूब पर रिलीज करने पर लोग उसके खिलाफ बोल पड़े थे।

वामपंथी दौर में हिंदुओं की आवाज बुलंद करने वाले सीता राम गोयल, जिनकी किताबें आज भी हैं प्रामाणिक

सेकुलरिज्म और नरसंहारों को नकारने की तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग की आदत को वो अपने दौर में आड़े हाथों लेते रहे। उनका जन्म 16 अक्टूबर 1921 को हुआ था और आज उनकी जन्मतिथि भी है।

मुताह निकाह: ‘कुछ दिन के मजे’ वाली मजहबी संस्कृति के नाम पर ‘अमीना-शबानाओं’ का उत्पीड़न

कभी वो बच्ची अमीना थी, कभी शबाना, आलिया, रुखसाना या कोई और हो जाएगी। सवाल ये है कि निकाह के नाम पर लड़कियों के भविष्य से ये खिलवाड़ बंद क्यों नहीं होता?

Tanishq नहीं… इस धनतेरस #VocalForLocal, स्थानीय सुनार को मिले दीपावली मनाने का मौका

स्थानीय सुनार को भी मौका दीजिए! इस धनतेरस में उसे भी तो दीपावली मनाने का मौका मिलना चाहिए ना? हॉलमार्क जैसे मानकों से लैस कई सुनार...

Tanishq Vs गदर: सिनेमा हॉल पर 500 की भीड़ का पेट्रोल बम से हमला, पलट गई थीं शबाना आज़मी

कोई तथाकथिक लेखक कहते हैं कि “जिनकी स्वर्ण खरीदने की औकात ही नहीं, वो तनिष्क का बहिष्कार ना करें” तो भारत की उनकी समझ पर हँसी आती है।

व्यंग्य: नक्सली भाभीजी घर पर नहीं हैं तो गई कहाँ? पप्पू-पिंकी के लिए चमत्कार करने आई थी या…

“जब पप्पू-पिंकी जैसे नामी ठगों के इलाके की तरफ बढ़ने की इनपुट दिल्ली से आ गई थी, तो तुमने ढिलाई क्यों बरती?”