Sunday, December 22, 2024
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अनुपम कुमार सिंह

भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

मम्मी-पापा अफजल गुरु के लिए मरते हैं, जीजा वाले चैनल ने AAP के लिए पहुँचाए ₹17 करोड़: शराब घोटाले का खुलासा होते ही हो...

सिर्फ अरविंद कुमार सिंह ही नहीं, 'इंडिया अहेड न्यूज़' चैनल के सेल्स-मार्केटिंग हेड रहे अर्जुन पांडेय का नाम भी शराब घोटाले की FIR में शामिल है।

राहुल गाँधी, राही मासूम रजा की स्क्रिप्ट नहीं है ‘महाभारत’, शोषित नहीं था वह एकलव्य जिसका अँगूठा दिखा आप भारत को कर रहे बदनाम:...

अधर्म का साथ देकर लड़े तो द्रोणाचार्य तक मारे गए, फिर कुकर्मी जरासंध का साथ देकर एकलव्य कैसे महान बन जाता? 'अँगूठा दान' को उस समय के बृहद कूटनीतिक परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए।

महाराष्ट्र से भी पहले बिहार के कोसी अंचल में मनाया जाता था भव्य गणेश उत्सव: एक तरफ तिलक ने जगाई सांस्कृतिक चेतना, दूसरी तरफ...

गंगानाथ झा को दरभंगा राजपरिवार की नौकरी से निकाल दिया गया था, क्योंकि उन्होंने महाराजा की बात न मान शंकरपुर में गणेश पूजा करने का वादा निभाया।

जब ‘सद्भावना’ दिखाने के लिए कॉन्ग्रेस सरकार ने 25 आतंकियों को छोड़ दिया… जिस शाहिद लतीफ़ को बॉर्डर पार कराया, फिर उसी ने पठानकोट...

उसे सियालकोट क्षेत्र का प्रभार जैश द्वारा दिया गया था और भारत में आतंकी संगठन का कैडर तैयार करने का काम वही सँभालता था। वो मसूद अज़हर का करीबी था।

न टास्क फोर्स, न पॉक्सो अदालतों का गठन, पत्र भेजती रही मोदी सरकार… जब महिलाओं को देनी थी ‘सुरक्षा’ तब सोई रही बंगाल सरकार,...

चुनावी हिंसा, संदेशखली और चोपरा में पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए ममता बनर्जी ने क्या कार्रवाई की? केंद्र सरकार बार-बार टास्क फ़ोर्स और पॉक्सो अदालतों के गठन के लिए पत्र भेजती रही, TMC सरकार सोई रही।

किसी ने नहीं लिया नाम फिर भी मोहनलाल को टारगेट कर रही पत्रकार धन्या राजेंद्रन, ड्रग्स पार्टियों पर चुप्पी: क्या मलयालम इंडस्ट्री के ‘गुनहगारों’...

खबर में मोहनलाल का नाम तक नहीं, लेकिन यौन शोषण से जुड़े मामले में तस्वीर उनकी ही। धन्या राजेंद्रन और उनका 'The News Minute' वरिष्ठ अभिनेता को बदनाम करने में क्यों लगा?

वो मुख्यमंत्री जिसने खालिस्तान के हाथों मरना चुना, झुकना नहीं: बेअंत सिंह हैं सिखों के रोल मॉडल, नए बने खालिस्तानी सांसद बस दिवा-स्वप्न

पंजाब में उग्रवाद तब भी अपने चरम पर रहा। वहाँ जून 1987 में राष्ट्रपति शासन की घोषणा करनी पड़ी जो फरवरी 1992 तक रहा। 1990 के दशक में सिख आतंकवादियों ने पुलिसकर्मियों और नेताओं को निशाना बनाना शुरू कर दिया।

जनजातीय महिलाओं का यौन शोषण, शरिया अदालत, बलात्कार-हत्या, डॉक्टरों की पिटाई, BJP नेता पर गोलीबारी… अराजकता की किस हद के बाद लगता है राष्ट्रपति...

ममता बनर्जी ने अन्य राज्यों को जलाने की धमकी दी, राष्ट्रपति को भला-बुरा कह रहीं। राज्य में बलात्कार-हत्या के मामले में न्याय माँगना गुनाह है। महुआ मोइत्रा 'तानाशाही' के लक्षण गिनाती फिरती हैं, यहाँ जुबान चुप है।