Thursday, December 5, 2024
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अनुपम कुमार सिंह

भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

कॉन्ग्रेसी CM और नेहरू के मंत्री हुमायूँ कबीर ने लगाया अड़ंगा, लेकिन एक संघी ने कर दिखाया… वो शख्स, जो न होता तो विवेकानंद...

मिशनरियों ने वहाँ क्रॉस लगा दिया, मूर्ति फेंक दी, जेवियर का स्मारक बनाने की चेष्टा की। कॉन्ग्रेसी मुख्यमंत्री M भक्तवत्सलम ने अड़ंगा लगाया। नेहरू के मंत्री हुमायूँ कबीर इसके पक्ष में नहीं थे। इन सबके बावजूद RSS के एकनाथ रानडे ने इसे कर दिखाया।

उस सिस्टम का इलाज कौन करेगा जो एक हादसे के बाद दूसरे की प्रतीक्षा करता है, राजकोट से दिल्ली तक सोया रहा सिस्टम और...

राजकोट के गेमिंग सेंटर में DM-SP से लेकर DCP और नगर निगम के कमिश्नर तक आ चुके हैं। दिल्ली के बेबी केयर सेंटर में डॉक्टर तक योग्य नहीं थे।

राजीव गाँधी की हत्या के बाद चुनाव आगे बढ़ाने से कॉन्ग्रेस को ऐसे हुआ था फायदा, चुनाव आयुक्त रहे TN शेषन को आडवाणी के...

राजीव गाँधी की हत्या के बाद चुनाव स्थगित हुए। कॉन्ग्रेस फायदे में आ गई। TN शेषन मुख्य चुनाव आयुक्त थे, बाद में LK अडवाणी के खिलाफ कॉन्ग्रेस ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया।

मी लॉर्ड! भीड़ का चेहरा भी होता है, मजहब भी होता है… यदि यह सच नहीं तो ‘अल्लाह-हू-अकबर’ के नारों के साथ ‘काफिरों’ पर...

राजस्थान हाईकोर्ट के जज फरजंद अली 18 मुस्लिमों को जमानत दे देते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि चारभुजा नाथ की यात्रा पर इस्लामी मजहबी स्थल के सामने हमला करने वालों का कोई मजहब नहीं था।

दुर्घटना का शिकार होते शिक्षक, क्लास में बेहोश होती छात्राएँ, बेंच-बोरिंग-बैग घोटाला, न गर्मी छुट्टी-न होली की… क्या शिक्षा व्यवस्था का और दम घोंट...

उन्हें बिहार की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए लाया गया था, लेकिन क्या अब वो व्यवस्था के लिए बोझ बन गए हैं? सुबह 5 बजे निकलना और दोपहर के 2 बजे घर पहुँचना - इस चक्कर में शिक्षक न तो सुबह कुछ खा पा रहे हैं और न ही दोपहर को ठीक से लंच कर पा रहे हैं। एक मिनट की देरी पर भी वेतन काट लिया जा रहा है। शिक्षक दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं, बच्चे क्लास में बेहोश हो रहे हैं। इस साल गर्मी छुट्टी तक नहीं मिली।

जहाँ से लड़ रही लालू की बेटी, वहाँ यूँ ही नहीं हुई हिंसा: रामचरितमानस को गाली और ‘ठाकुर का कुआँ’ से ही शुरू हो...

रामचरितमानस विवाद और 'ठाकुर का कुआँ' विवाद से उपजी जातीय घृणा ने लालू यादव की बेटी के क्षेत्र में जंगलराज की यादों को ताज़ा कर दिया है।

₹200 की चोरी पर 1 साल की जेल, 2 इंजीनियरों को कुचलने पर रईसजादे को बेल, कहा- हादसे पर लिखो लेख: यह न्याय है...

ऑपइंडिया से बात करते हुए अधिवक्ता शशांक शेखर झा ने पूछा कि पुलिस ने FIR में 304 की जगह कमजोर धारा 304A क्यों लगाई? उन्होंने कहा कि इस मामले में गलत संदेश गया है, अगर भीड़ ने न्याय व्यवस्था पर भरोसा करने की बजाए खुद हिंसा करना शुरू कर दिया तो ये ठीक नहीं होगा।

केदारनाथ धाम में ढोल-ताशा परंपरा या फिर रीलबाजी?

आप दक्षिण भारत को देख लीजिए, जहाँ हर मंदिर के कुछ नियम-कानून हैं और आपको उसका अनुसरण करना पड़ता है। तमाम मंदिरों के अपने ड्रेस कोड भी हैं, प्रधानमंत्री या उनके सुरक्षाकर्मी भी जाते हैं तो उन्हें इसका पालन करना पड़ता है।