फार्मा सेक्टर दवाइयों और वैक्सीन से दुनिया की सेवा कर रहा है लेकिन यह भी उतना ही बड़ा सच है कि कॉर्पोरेट सिर्फ और सिर्फ पैसा देखता है। COVID-19 दुनिया के समक्ष आज सबसे बड़ी चुनौती है लेकिन यही चुनौती फार्मा जगत के लिए सबसे बड़ा मौका भी है।
प्राइम टाइम देखना फिर भी जारी रखूँगा, क्योंकि मुझे गर्व है आप पर कि आप लोगों की भलाई सोचते हैं। बीच में किसी दिन थूकने वालों और वार्ड में अभद्र व्यवहार करने वालों पर भी प्राइम टाइम कीजिएगा। और हाँ! इस काम के लिए निधि कुलपति जी या नग़मा जी को मत भेज दीजिएगा। आप आएँगे तो आपका देशप्रेम सामने आएगा, और उसे दिखाने में झिझक क्यूँ?
देश का जनमानस लम्बी दूरी की सुलभ व सस्ती यात्रा के लिए हमेशा से रेलवे को प्राथमिकता देता रहा है। इसे ध्यान में रख मोदी सरकार रेलवे का कायाकल्प करने की दिशा में बढ़ रही है। सुरक्षा, तकनीक, सुविधा और रफ्तार पर सरकार का फोकस है।
रंगों के त्योहार होली की शुरुआत बुंदेलखंड के एरच कस्बे से हुई है, जो झाँसी जिले में पड़ता है। चौंक गए ना? दरअसल यही वो कस्बा है, जो कभी असुरराज हिरण्यकश्यप की राजधानी हुआ करता था।
वेदों में महिलाओं की स्थिति के विषय में जो मंत्र हैं, अगर आप उनको पढ़ेंगे तो महसूस करेंगे कि महिलाओं को वहाँ बहुत अधिक सम्मानजनक दर्जा प्राप्त है। वेद महिलाओं को इतना सशक्त, उदात्त और स्वीकार्य स्थान प्रदान करते हैं कि दुनिया की कोई भी तथाकथित आधुनिक और विकसित सभ्यताएँ उसके बारे में सोच भी नहीं सकती।
यह दुर्गा मंदिर काशी के पुरातन मंदिरों में से एक है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक जिन दिव्य स्थलों पर देवी माँ साक्षात प्रकट हुईं, वहाँ निर्मित मंदिरों में उनकी प्रतिमा स्थापित नहीं की गई है, ऐसे मंदिरों में चिह्न पूजा का ही विधान है। दुर्गा मंदिर में भी प्रतिमा के स्थान पर देवी माँ के मुखौटे और चरण पादुकाओं का पूजन होता है।
कुरान में हिजाब का जिक्र है, जिसमें महिला का चेहरा दिखता रहता है। बुर्का केवल कट्टरपंथी इस्लाम की सोच है जिसमें वो महिला को जबरदस्ती चेहरा ढकने के लिए बाध्य करते हैं। अरब देशों में बुर्का पहनने का चलन वहाँ पर चलने वाली आँधियों से बचने के लिए था। धीरे-धीरे उस क्षेत्र में इस्लाम धर्म के फ़ैलने के कारण बुर्का इस्लाम का अंग बन गया।
खतने के जरिए महिलाएँ पवित्र होती हैं। इससे समुदाय में उनका मान बढ़ता है और ज्यादा कामेच्छा नहीं जगती। - यही वो सोच है, जिसके कारण छोटी बच्चियों के जननांगों के साथ इतनी क्रूर प्रक्रिया अपनाई जाती है।