Friday, October 18, 2024
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जयन्ती मिश्रा

मजहब के नाम पर जायरा ने सिर्फ़ खुद के सपनों को नहीं मारा, बल्कि दूसरी लड़कियों को भी गड्ढे में ढकेला है

रील वाली जायरा ने रियल में न जाने कितनी 'जायरा' को प्रभावित किया होगा, पर अफसोस! जायरा अपने फैसले से कितना आगे गईं, कितना पीछे, पता नहीं, लेकिन जिन्होंने जायरा के संघर्ष में खुद का भविष्य सोचा होगा, वो लड़कियाँ मानसिक तौर पर बहुत पीछे चली गई होंगी, यह पक्का है।

बच्चों का नृत्य विचारोत्तेजक नहीं बल्कि उनकी क्षमता-शक्ति का परिचायक है, इसे सीमाओं में न बाँधें…

सुपर डांसर रियलिटी शो की दिपाली इसका उदाहरण है, जिसके डांस और एक्सप्रेशन के तालमेल ने उसे टीवी पर्दे पर लीड रोल दिलाया। मुमकिन है अगर इस जगह उसे दायरे में रहकर परफॉर्म करने की सलाह दी जाती, या फिर उसकी परवरिश विचारोत्तेजक नृत्य और उसकी उम्र के नृत्य में फर्क़ बताने में हुई होती तो ऐसा संभव नहीं हो पाता।

‘दि प्रिंट’ के लिए अलीगढ़ कांड का जिम्मेदार वो हिन्दू है जिसकी बच्ची की हत्या जाहिद ने की

असली खबर से इतनी बड़ी छेड़-छाड़ के बाद प्रकाशित हुआ 'दि प्रिंट' पर ये लेख इस बात का सबूत है कि आज सरकार के प्रति मीडिया गिरोह में इतनी घृणा भर चुकी है कि यदि कोई व्यक्ति सरकार पर झूठा इल्जाम भी लगा दे तो वो उसे पब्लिक डोमेन में पहुँचाने में गुरेज नहीं करेंगे।

ईद पर नग्न डांस को मजबूर लड़कियाँ लेकिन तस्वीर बिहु की! INDIA TODAY की नई पत्रकारिता

ईद के जश्न में नृत्य करने को बुलाई गई लड़कियों को 500 लोगों की भीड़ ने जबरन नग्न अवस्था में नृत्य करने को मजबूर किया। इस खबर को लगभग हर मीडिया संस्थान ने कवर किया - कुछ ने सच्चाई को जैसे का तैसा रख कर रिपोर्ट किया, कुछ ने खबर को छिपाते हुए। इंडिया टुडे एक कदम आगे बढ़ गया और...

मंत्रियों के जाति-धर्म पर चल रहे मीडिया शोध से आखिर कौन-सी अच्छी बात हो जाएगी?

30 मई को जिन मंत्रियों ने शपथ ली, उनकी जाति-धर्म पर शोध हुए और खबरें बना दी गईं। जाति और धर्म का एंगल देकर निष्कर्ष ये निकाला गया कि मोदी सरकार ने भले ही ‘सबका साथ-सबका विकास’ करने की कितनी ही कोशिश क्यों न की हो, लेकिन उनकी मंत्रिपरिषद में ऊँची जाति वालों का ही आधिपत्य है।

भारत में PAK जैसे हालात: गिरोह विशेष के लोग कैमरे के सामने तोड़ रहे TV-LED

जनता के बीच 'हेट पॉलिटिक्स' का बाजा बजाकर BJP को सत्ता से उखाड़ फेंकने की गुहार लगाने वाले अब अपने घर के केबल, डीटीएच की तारों को बेदर्दी से उखाड़ रहे हैं। उन्हें यकीन नहीं हो पा रहा है कि 'सेकुलर' नागरिक के घर में लगी LED इतने कट्टर रुझान कैसे दिखा सकती है।

मोदी, शाह और भाजपा के 300+: कहाँ रहे सही और कहाँ हुई चूक

शहर के एलीट से लेकर गाँव का वंचित वर्ग भी मौक़ा मिलने पर मोदी सरकार के गुणगान करने से नहीं चूक रहा है। लेकिन, विपक्ष इन कोशिशों में जुटा हुआ है कि जनता के बीच भाजपा की कमियों और चूक को गिनवा कर उन्हें सत्ता से हटाया जाए ताकि देश में दोबारा से भ्रष्टाचार, घोटालों की राजनीति कायम हो सके।

बलात्कारों को नॉर्मल मान चुका समाज और पत्थरों से मारने की बातें

ये लड़ाई हवसी मानसिकता को सुधारने की है, लड़कियों को समाज में भोग की वस्तु के बजाय सशक्त बनाने की है... शरिया के लागू होने का सुझाव सिर्फ़ आक्रोश में उचित लग सकता है, लेकिन एक सभ्य समाज में हर अपराध पर ऐसे कानून की बात करना अनुचित है।