ऐसे राजनेताओं के लिए महिलाएँ आज भी ‘माल’ हैं। ऐसी गिरी मानसिकता पर जनता ने तो अपना आक्रोश व्यक्त किया ही। अब देखना है आगे चुनाव आयोग इस मुद्दे पर क्या निर्णय लेता है। वैसे लोगों ने चुनाव आयोग से इस बात का संज्ञान लेने की अपील की है।
अमीषा यही चीज़ 5 साल पहले भी कर चुकीं हैं। 5 साल पहले भी वह कॉन्ग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में रोड शो करते हुए गुजरात में विकास की तारीफ़ करने लगीं थीं।
मतदान स्थल पर पहुँचे जाकिर पाशा को जिसने भी पैर से मतदान करते देखा, उनकी प्रशंसा किए बिना नहीं रह सकता। इस फोटो के वायरल होते ही सोशल मीडिया पर जाकिर लोगों के हीरो बन गए।
कैप्टन की इस घोषणा में उनके हार का डर साफ-साफ झलक रहा है। उन्हें लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी के जीत पर संदेह है और शायद वो चुनाव के परिणाम को लेकर भी थोड़े से डरे हुए लग रहे हैं।
अब जनता इनके हर प्रोपेगेंडा का उतनी ही तत्परता से जवाब देती है। इनका हर झूठ इनकी मक्कारी का गवाही देता है। पकड़े जाने पर अक्सर अपना पोस्ट या ट्वीट डिलीट कर ये बचने की कोशिश करते हैं। लेकिन अपने गलतियों की माफ़ी ये पूरा गिरोह कभी नहीं माँगता।
जमीन पर मतदाताओं तक महागठबंधन की खबर पहुँचा पाने में बसपा कार्यकर्ता विफल रहे हैं। एक बड़ा मतदाता वर्ग हाथी न ढूँढ़ पाने के भ्रम में कमल का बटन दबा आ रहे हैं।
सुमित अपनी बेरोजगारी से काफी मानसिक तनाव में था। उसे नौकरी नहीं मिल रही थी, आर्थिक तंगी ने घेर लिया था। ऐसे में उसने चोरी करने की योजना बनाई। चोरी के बारे में उसने अपनी पत्नी से बात की। लेकिन पत्नी अंशुबाला ने ऐसी किसी हरकत में उसका साथ देने से इनकार कर दिया तो...