Tuesday, November 19, 2024
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‘कॉन्ग्रेस प्रत्याशी ने की थी आतंकी याकूब मेमन के लिए दया की माँग’: सैयद मुज़फ्फर हुसैन के हस्ताक्षर वाला पत्र वायरल, नेता ने ‘फर्जी’ बताकर सोशल मीडिया हैंडलों पर कराई FIR

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में MVA (महाविकास अघाड़ी) के उम्मीदवार का एक कथित एक पत्र मंगलवार (5 नवंबर 2024) से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसमें कहा गया है कि मुंबई की मीरा भयंदर सीट से कॉन्ग्रेस प्रत्याशी सैयद मुज़फ्फर हुसैन ने आतंकी याकूब मेमन की फाँसी रुकवाने के लिए दया याचिका दाखिल की थी। पत्र में 28 जुलाई 2015 की तारीख़ है।

क्या है वायरल पत्र में

राष्ट्रपति को लिखे इस पत्र में कहा गया है, “हम महामहिम से याकूब मेमन की सजा के लिए क्षमादान की अपील करते हैं।” याकूब मेमन की फाँसी टालने के प्रयास में फिल्म निर्माता महेश भट्ट, अभिनेता नसीरुद्दीन शाह, कार्यकर्ता तुषार गाँधी, CPI नेता सीताराम येचुरी, सांसद शत्रुघ्न सिन्हा, वकील वृंदा ग्रोवर और 290 अन्य लोगों ने दया याचिका पर दस्तखत किए थे।

इस पत्र में मुजफ्फर हुसैन के अलावा पूर्व मंत्री आरिफ नसीम खान, अमीन पटेल, असलम शेख, शेख आसिफ, शेख राशिद, हुस्नबानो खलिफ, यूसुफ अब्राहनी और जावेद जुनेजा के भी दस्तखत हैं। वायरल हो रहे इस पत्र में संविधान का हवाला देते हुए आतंकी याकूब मेमन को मिले मृत्युदंड की सजा को उम्रकैद में बदलने की अपील की गई थी।

बताते चलें कि साल 1993 के मुंबई बम धमाकों में याकूब मेमन का हाथ था। इस मामले में उसे फाँसी की सजा हुई थी। यह पत्र कॉन्ग्रेस प्रत्याशी मुज़फ्फर हुसैन की तस्वीरों के साथ शेयर हो रहा है। चिट्ठी के साथ ‘कॉन्ग्रेस को वोट देना मतलब लव जिहाद को वोट देना’ और ‘कॉन्ग्रेस को वोट देना मतलब मुस्लिम समर्थक मुख्यमंत्री बनाना’ जैसे स्लोगन भी लिखे हुए हैं।

मुज़फ्फर हुसैन ने अपनी दस्तखत वाले इस पत्र को फर्जी करार दिया है। उन्होंने इसे वोटों के ध्रुवीकरण और साम्प्रदायिक तनाव फैलाने की साजिश बताया है। हालाँकि, साल 2015 में कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि आतंकी याकूब की दया याचिका पर कॉन्ग्रेस पार्टी के 6 विधायकों, 1 पूर्व MLA और 1 पार्षद ने हस्ताक्षर किए थे।

इंडियन एक्सप्रेस 29 जुलाई 2015 की एक रिपोर्ट में साफ लिखा गया है कि तत्कालीन MLC मुज़फ्फर हुसैन के दस्तखत उस पत्र पर थे। इसके अलावा, महाराष्ट्रनामा और लोकसत्ता जैसी स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में भी इसी तरह का दावा किया गया है। हालाँकि, तमाम कोशिशों के बावजूद साल 2015 में याकूब मेमन को फाँसी पर लटका दिया गया था।

पत्र को फर्जी बता कर मुज़फ्फर ने दर्ज करवाई FIR

मुज़फ्फर हुसैन के वकील राहुल दिनेश रॉय द्वारा इस वायरल पत्र के खिलाफ 6 नवंबर (बुधवार) को मुंबई के मीरा रोड थाने में FIR दर्ज करवाई गई है। शिकायतकर्ता ने इस पत्र को फर्जी करार देते हुए इसे सोची-समझी साजिश बताया है। यह FIR भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 299, 302 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 125 के तहत दर्ज हुई है।

FIR Copy

हालाँकि, तमाम सोशल मीडिया हैंडलों से इस वायरल पत्र के असली होने का दावा अभी भी किया जा रहा है। कॉन्ग्रेस नेता मुज़फ्फर हुसैन की आलोचना करते हुए तमाम सोशल मीडिया यूजर्स ने कहा है कि FIR के बाद अब सच अदालत में सामने आ जाएगा।

यूजर्स को डराने की कोशिश नाकाम

कई यूजर्स ने तो कॉन्ग्रेस नेता को सलाह दी कि बेहतर होगा वो अपनी शिकायत वापस ले ले। एक यूजर ने लिखा, “एक बार अदालतों में साबित होने के बाद यह पूरे समाचार जगत में ब्रेकिंग न्यूज़ बन जाएगा।” अपने खिलाफ दर्ज FIR पर टिप्पणी करते हुए बेफिटिंग फैक्ट्स ने लिखा, “हुसैन अचानक धर्मनिरपेक्ष हो गए हैं। वो वोट के लिए मंदिरों में जा रहे हैं।”

इस सोशल मीडिया हैंडल ने आगे कहा, “वह (मुजफ्फर हुसैन) अपने इतिहास को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं और सोशल मीडिया यूजर्स को भी डरा रहे हैं, लेकिन वह भूल गए कि शिकायत दर्ज करके वह जाल में फँस रहे हैं। अब अदालत कहेगी कि हाँ, मुजफ्फर ने याकूब मेमन की दया याचिका पर हस्ताक्षर किए थे।”

मुज़फ्फर हुसैन की FIR में आमची मुंबई का इंस्टाग्राम चैनल, कुणाल शुक्ला, जेरोम डिसूजा और गणेश मुरुगन को नामजद किया गया है। इन सभी पर आरोप है कि उन्होंने पत्र को अलग-अलग प्लेटफॉर्म से वायरल किया है। ऑपइंडिया से बात करते हुए जेरोम डिसूजा ने कहा कि मुजफ्फर हुसैन के वकील एडवोकेट रॉय की FIR में लगाए गए आरोप झूठे हैं। यह पत्र पहले ही पब्लिक डोमेन में है। जेरोम ने चुनाव बाद नोटिस पर जवाब देने की बात कही है।

प्रयागराज महाकुंभ में ‘थूकलीगी गैंग’ की एंट्री पर बैन, हलाल प्रोडक्ट की बिक्री पर रोक: संत समिति ने उठाई माँग, कहा- पर्व की पवित्रता और हिंदुओं की सुरक्षा महत्वपूर्ण

प्रयागराज महाकुंभ-2025 की तैयारियाँ जोरों पर हैं। इसमें देश-विदेश के 40 करोड़ श्रद्धालुओं के पहुँचने की संभावना है। इस बीच अखिल भारतीय संत समिति ने कहा कि कुंभ क्षेत्र में हलाल प्रोडक्ट भी नहीं बेचे जाने चाहिए। कट्टरपंथी मुस्लिमों को ‘थूकलीगी गैंग’ बताते हुए मेले में उनकी एंट्री रोकने की भी बात कही। उन्होंने कुंभ के 50 किलोमीटर की परिधि में नए दुकानदारों को अनुमति नहीं देने की बात कही।

संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने शनिवार (8 नवंबर 2024) को एक बयान जारी किया। लगभग 2 मिनट 15 सेकेंड के इस बयान में उन्होंने कुंभ को दुनिया का सबसे बड़ा और प्राचीनतम व्यवस्था बताया है। कुंभ में मुस्लिम दुकानदारों को व्यापार करने की अनुमति देने जैसी बातों को जितेंद्रानंद सरस्वती ने कुछ नेताओं और तथाकथित सेक्युलरों की कोरी बयानबाजी बताया है।

उन्होंने कहा कि इस पर्व में पवित्रता इतनी अधिक होती है कि यहाँ आने वाले कल्पवासी भयानक ठंड में भी 2 समय स्नान करते हैं। उन्होंने आगे कहा, “ऐसी परिस्थिति में हम इस थूकलीगी गैंग पर भरोसा कैसे कर सकते हैं?” उन्होंने कहा 12 वर्षों के बाद आने वाले इस महापर्व में हिन्दू समाज की सुरक्षा के साथ कोई खिलवाड़ कतई नहीं किया जा सकता है।

संत समिति का पक्ष रखते हुए जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि कुंभ परिक्षेत्र से 50 किलोमीटर की परिधि में किसी भी नए व्यक्ति को दुकान लगाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा, “हलाल सर्टिफाइड को हम कतई स्वीकार नहीं करने वाले, चाहे उसे हिन्दू व्यापारी बनाते हों या मुस्लिम।” उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार से कुंभ मेले की पवित्रता और शुचिता हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुरूप बनाए रखने की माँग की।

स्वामी जितेंद्रानंद ने कहा कि थूकलीगी गैंग का कोई सामान कुंभ क्षेत्र में नहीं बिकना चाहिए और ना ही उन्हें मेले में किसी भी प्रकार की अनुमति मिलनी चाहिए। अपनी माँग को उन्होंने राष्ट्र और हिन्दुओं की सुरक्षा के लिए जरूरी बताया। वीडियो के अंत में उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर कोई समझौता नहीं होगा। बता दें कि धीरेन्द्र शास्त्री ने भी महाकुंभ मेले में गैर-हिंदू दुकानदारों की एंट्री पर बैन लगाने की माँग की है।

रेप के बाद महिला के गुप्तांग में घुसाया बैंगन: मौलवी इरशाद पर मुजफ्फरनगर में केस दर्ज, पीड़िता से बोला था- जिन्न करेंगे तुम्हारे साथ गलत काम

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में मौलवी इरशाद ने मंगलवार (5 नवंबर 2024) को एक महिला को जिन्न का डर दिखाकर उसके साथ रेप किया। दिल्ली की रहने वाली पीड़िता बीमारी का इलाज कराने के लिए मौलवी के पास गई थी। मौलवी ने जिन्न का डर दिखाकर कहा कि वह अंधा हो जाएगी। उसके बाद उसके साथ रेप और अप्राकृतिक रूप से कुकर्म किया। मौलवी इरशाद फरार है।

यह मामला मुज़फ्फरनगर के थाना क्षेत्र सिविल लाइंस का है। यहाँ बुधवार (6 नवंबर) को एक महिला ने पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवाई। शिकायत में महिला ने बताया कि वह बीमार रहती थी। बीमारी का इलाज के लिए वह अपनी बहन के साथ 5 नवंबर को मुज़फ्फरनगर आई थी। यहाँ के सिविल लाइंस इलाके में रहने वाला मौलवी इरशाद झाड़-फूँक और रूहानी ताकतों से इलाज का दावा करता था।

महिला ने कहा कि वह इरशाद के झाँसे में आ गई और इलाज के लिए उसके घर पहुँच गई। वहाँ मौलवी इरशाद ने महिला से कहा कि उसे जो समस्या है उसे वह अकेले में बताना चाहता है। उसे वह उसकी बहन के सामने नहीं बता सकता। इसके बाद मौलवी ने उसे अकेले आने के लिए कहा। उसी शाम 4 बजे पीड़िता मौलवी के पास अकेले पहुँची। तब इरशाद ने उसे जिन्न आने की बाते कहकर डराया।

पीड़िता को मौलवी ने बताया कि उस पर जिन्नात आते हैं, वे सभी उसके साथ गलत करेंगे। इतना सुनकर महिला डर गई। झाड़-फूँक के दौरान मौलवी इरशाद ने महिला को पीने के लिए पानी दिया। इस पानी में कुछ डाला गया था। कुछ देर बाद मौलवी इरशाद ने पीड़िता के कपड़े उतारने शुरू किए तो पीड़ता ने इसका विरोध किया। इस पर मौलवी ने कहा कि उसके आँखों की रौशनी चली जाएगी।

अंत में पीड़िता को निर्वस्त्र करके मौलवी इरशाद ने रेप किया। पीड़िता ने बताया कि मौलवी ने उसके गुप्तांग में बैगन भी डाला। आखिर में मौलवी ने पीड़िता को कहा कि यह बात वह किसी को ना बताए। मौलवी पीड़िता को लेकर बस अड्डा गया और वहाँ उसे जबरन बस में बैठाने लगा। पीड़िता ने वहीं से 112 नंबर डायल करके पुलिस बुलाई। इसके बाद थाने जाकर शादीशुदा पीड़िता ने तहरीर दी।

तहरीर के आधार पर पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 64 और 351 (2) के तहत FIR दर्ज कर ली। FIR में मौलवी इरशाद को नामजद किया गया है। शिकायत की कॉपी ऑपइंडिया के पास मौजूद है। अपने ऊपर केस दर्ज होने की सूचना मिलते ही इरशाद फरार हो गया है। पुलिस टीमें मौलवी की गिरफ्तारी के लिए दबिश दे रहीं हैं।

हिंदू महिला के टुकड़े-टुकड़े करने वाला गुलामुद्दीन मुंबई से गिरफ्तार: ‘गफ्फार’ नाम की फर्जी ID लेकर नेपाल हो रहा था फरार, पुलिस ने रेलवे स्टेशन पर दबोचा

राजस्थान के जोधपुर में 51 वर्षीय ब्यूटीशियन अनीता चौधरी उर्फ अनीता जाट की हत्या का मुख्य आरोपित गुलामुद्दीन को पुलिस ने मुंबई से दबोच लिया है। उसे शुक्रवार (8 नवंबर) की रात को जोधपुर लाकर पूछताछ की जा रही है। हत्या के बाद गुलामुद्दीन मुंबई से बिहार के रास्ते नेपाल भागने की कोशिश कर रहा था। उसके पास से गफ्फार नाम की एक फर्जी ID भी मिली है

जोधपुर डीसीपी (वेस्ट) राजर्षि राज वर्मा ने बताया कि गुलामुद्दीन वारदात के बाद अहमदाबाद होते हुए मुंबई भाग गया था। वह बिहार की ट्रेन पकड़ कर नेपाल भागने की योजना बना रहा था। मुंबई में बिहार जाने के लिए उसने ट्रेन का टिकट बुक करने के लिए अपना मोबाइल फोन ऑन किया था। इसके बाद पुलिस को उसकी लोकेशन का मुंबई का पता चल गया।

आनन-फानन में राजस्थान पुलिस मुंबई पहुँची। इसके बाद उसने अपना फोन फिर स्विच ऑफ कर दिया। मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर जैसे ही उसने अपना फोन ऑन किया तो पुलिस उसे दबोचने के लिए दौड़ी। स्टेशन पर पुलिस को देखकर वह भागा तो पुलिस ने बाइक से उसका पीछा करके उसे दबोच लिया। इसके बाद जरूरी कानूनी प्रक्रिया पूरी करके उसे जोधपुर लाया गया।

डीसीपी राजर्षि राज वर्मा ने बताया कि गुलामुद्दीन ने अपना नाम बदलकर गफ्फार रख लिया था। उसकी तलाशी में उसके पास से गफ्फार नाम की एक फर्जी पहचान पत्र और बिहार जाने के लिए ट्रेन का टिकट मिला है। उन्होंने बताया कि हत्या की जाँच के दौरान उसके पास पुलिस का कॉल आया तो वह जोधपुर से बस पकड़कर गुजरात के अहमदाबाद शहर भाग गया। वहाँ से ट्रेन पकड़कर वह मुंबई चला गया।

मुंबई में वह हाजी अली, काठियावाड़़ और चौपाटी वाले क्षेत्र में अलग-अलग लॉज में ठहरा। इन सभी जगहों पर उसने गफ्फार नाम की आईडी का इस्तेमाल किया था। वह 7 नवंबर को ट्रेन से बिहार जाने वाला था। इसलिए 6 और 7 नवंबर की रात को वह मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर ही सोया था। उसने अपना मोबाइल जोधपुर के एमडी हॉस्पिटल की पार्किंग में खड़ी अपनी स्कूटी में ही छोड़ दिया था।

वह दूसरे मोबाइल का इस्तेमाल कर रहा था। उसका यह नंबर पुलिस के हाथ लग गया था। वह अपने मोबाइल को कुछ मिनट के लिए ही ऑन करता था। डीसीपी वर्मा ने बताया कि एक बार उसने फोन ऑन किया तो पुलिस को उसके अहमदाबाद में होने की जानकारी मिली। दूसरी बार में लोकेशन मुंबई में मिली। इसके बाद उसने फोन ऑन नहीं किया। पुलिस को उसकी अगली लोकेशन का पता नहीं चला।

इसके बाद पुलिस ने उसके अंतिम लोकेशन वाले इलाके की सीसीटीवी फुटेज को खंगालना शुरू किया। अपनी पहचान छुपाने के लिए वह कैप लगाता था। इससे सीसीटीवी फुटेज में उसका चेहरा नहीं दिखता था। पुलिस के इस बीच 7 नवंबर को टिकट लेने के बाद उसने मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर अपना मोबाइल ऑन किया। इससे उसका लोकेशन ट्रैस हो गया।

पुलिस ने संदेह के आधार पर उससे उसका पहचान पत्र माँगा तो उसने गफ्फार नाम का पहचान पत्र दिखाया। इसके बाद पुलिस उसे पहचान नहीं पाई और उसे छोड़ दिया। फरार होने के बाद उसने अपना हुलिया पूरी तरह बदल लिया था। पुलिस के पास उसकी जो तस्वीर थी, वह भी काफी पुरानी थी। हालाँकि, जब अन्य साथी पुलिसकर्मियों ने उसे देखा तो उसे पहचान लिया और बाइक से पीछा करके दबोच लिया।

आपराधिक इतिहास है गुलामुद्दीन का

पुलिस ने बताया कि गुलामुद्दीन की हिस्ट्री खंगालने पर वह बदमाश प्रवृत्ति का आदमी निकला। उसने लूट के इरादे से जहरखुरानी की कई वारदातों को अंजाम दिया है। उसके खिलाफ अलग-अलग थानों में मामले दर्ज हैं। वह बेहद शातिर है। उसे अच्छी तरह पता है कि पुलिस से कैसे बचा जाए। इसलिए मोबाइल का उपयोग नहीं करता था। सिर पर कैप लगाकर चलता था।

गुलामुद्दीन ने अनीता चौधरी की हत्या करने से कुछ महीने पहले पड़ोस में रहने वाली एक महिला का जेवर लूटने की भी साजिश रची थी। गंगाणा में ग्रीन सिटी क्षेत्र में रहने वाली वह महिला सोने का तिमणिया पहनती थी। इस जेवर पर गुलामुद्दीन की नजर पड़ गई थी। उसने धार्मिक कार्यक्रम की आड़ में यह जेवर लूटने की साजिश रची थी।

गुलामुद्दीन ने अपनी बीवी और तीनों बेटियों को और पड़ोसी महिला के परिवार को नशीला शर्बत पिला दिया था। शर्बत पीने के बाद सभी लोग बेहोश हो गए थे। हालाँकि, पड़ोसी महिला को इस बात की आशंका हो गई थी कि कुछ गड़बड़ है। इसलिए उसने शर्बत नहीं पीया था। इसके चलते उसका जेवर बच गया था और संभवत: उसकी जिंदगी भी बच गई थी।

इसको लेकर आस-पड़ोस के लोगों ने गुलामुद्दीन पर संदेह के इरादों पर संदेह जताया था। हालाँकि, उसने अपनी बीवी और बेटियों के भी बेहोश होने की बात कहकर अपनी साजिश को छिपा लिया था। जोधपुर पुलिस ने बताया कि गुलामुद्दीन ने लोगों को तर्क दिया था कि बाजार से लाए गए शर्बत में ही कुछ गड़बड़ी थी। इसी कारण से पीने के बाद लोग बेहोश हो गए थे।

लूटने के इरादे से अनीता चौधरी को बुलाया था घर

जानकारी के मुताबिक, गुलामुद्दीन मृतक अनीता चौधरी को अक्सर गहने में देखता था। इसलिए उसने गहने लूटने की साजिश रची। वह अनीता चौधरी को बहन कहकर बुलाता था और दोनों के बीच लगभग 25 साल पुरानी जान-पहचान थी। उसने अनीता चौधरी को 27 अक्टूबर को गंगाना स्थित अपने घर पर बुलाया था। अनीता रात में उसी के घर रुकने वाली थी। इसलिए कपड़े भी अपने साथ लेकर गई थी।

इससे पहले गुलामुद्दीन ने अपनी बीवी आबिदा परवीन और तीनों बेटियों को अपने साढ़ू (साली के पति) के घर भेज दिया था। अनीता जब ऑटो रिक्शा से गंगाना पहुँची तो एक रिसॉर्ट के पास गुलामुद्दीन उसे लेने के लिए गया। गुलामुद्दीन मृतक अनीता चौधरी का अश्लील वीडियो और फोटो बनाकर उसे ब्लैकमेल करके और वसूली करना चाहता था।

हालाँकि, जब अनीता उसके घर पहुँची तो उसने बेहोश करने की दवा मिलाकर अनीता को पीने के लिए दिया। शर्बत पीने के कारण अनीता बेहोश हो गई तो उसने अनीता का सोने का मंगलसूत्र और तीन अंगूठियाँ निकाल ली। देर रात तक अनीता को होश नहीं आया। इसके बाद गुलामुद्दीन ने धारदार चाकू से उसके ललाट पर वार करके हत्या दी। फिर 6 टुकड़ों में काटने के बाद बोरे में बंद करके दफन कर दिया। 

हालाँकि, पुलिस ने विस्तृत जानकारी नहीं दी है। माना जा रहा है कि पहले से ही गिरफ्तार उसकी बीवी आबिदा परवीन को आमने-सामने बैठाकर उससे पूछताछ करेगी। इसमें अन्य लोगों और प्रॉपर्टी डीलर तैयब अंसारी की भूमिका के बारे में भी पूछताछ की जाएगी। पुलिस ने गुलामुद्दीन की बीवी आबिदा परवीन से पूछताछ के लिए 6 दिन का रिमांड और माँगा कोर्ट से माँगा है।

शव का अभी तक नहीं हुआ है पोस्टमार्टम

उधर अनीता के शव का 10 दिन बीत जाने के बाद भी पोस्टमार्टम नहीं हुआ है। उसके परिजन 1 करोड़ रुपए मुआवजा और एक व्यक्ति की सरकारी नौकरी की माँग करते हुए धरना दे रहे हैं। प्रशासन के साथ मृतक के परिजनों का कई दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला है। वहीं, शव के अंतिम संस्कार को लेकर पुलिस परिजनों को सफीना नोटिस भी जारी कर चुकी है।

इतना ही नहीं, इतना दिन बीत जाने के बावजूद शव का अभी तक पोस्टमार्टम नहीं हुआ है। परिजन इसका लगातार विरोध कर रहे हैं। इस मामले में राजनीति भी शुरू हो गई है। हनुमान बेनीवाल सहित कई नेता तेजा मंदिर के पास धरने पर बैठे मृतक के परिजनों से मुलाकात की। इसको लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी लग रहे हैं।

वहीं, इस हत्याकांड में कई परतें हैं, जिनका खुलासा होना बाकी है। इसमें प्रॉपर्टी डीलर तैयब अंसारी की भूमिका, अनीता चौधरी के साथ उसके रिश्ते, गुलामुद्दीन के साथ उसके रिश्ते, लेन-देन सहित कई एंगल शामिल हैं। तैयब अंसारी के घर पुलिस ने रेड भी किया था और उससे पूछताछ भी की थी। मृतक के पति ने अपनी शिकायत में तैयब अंसारी का भी नाम लिया है।

हत्याकांड में कई गिरफ्तार

इस मामले में सरदारपुरा पुलिस ने कृष्णलीला नगर निवासी सुमन उर्फ सुनीता सेन, बागर चौक निवासी मोहम्मद यासीन अली, राबडिया निवासी जैफू खान, निवार घरों का मोहल्ला निवासी मोहम्मद शरीफ उर्फ मुन्ना, कलीमुद्दीन उर्फ कालिम, मोहम्मद हमीमुद्दीन, मकबुल अहमद, मोईनुददीन, मोहम्मद अज्जरम, युनुस को गिरफ्तारी किया है। इससे पहले मंगलवार को पुलिस ने 5 लोगों को गिरफ्तार किया था।

बता दें कि इस हत्याकांड का मुख्य आरोपित गुलामुद्दीन अब तक फरार है। उसे पुलिस खोज नहीं पाई है। हालाँकि, पुलिस ने वारदात की साथी उसकी बीवी आबिदा को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने इस मामले में 20 से अधिक लोगों से पूछताछ भी की है। पुलिस ने प्रॉपर्टी डीलर तैयब अंसारी के बंगले पर भी दो दिन छापेमारी की थी। हालाँकि, हत्या की वजह की तह तक अभी भी वह नहीं पहुँच पाई है।

मृतक के पति और उसकी सहेली का ऑडियो हुआ था वायरल

अनीता के पति मनमोहन चौधरी और अनीता की ब्यूटी पार्लर में काम करने वाली सुनीता उर्फ सुमन सेन के बीच बातचीत का एक ऑडियो कुछ दिन पहले वायरल हुआ था। इसमें सुनीता अंसारी का नाम ले रही थी। अंसारी को केस में नामजद तैयब अंसारी माना जा रहा है। इसमें सुनीता अपनी जान को खतरा बताती है और कई लोगों के नाम भी लेती है।

शव मिलने से पहले की इस बातचीत में सुनीता ने मनमोहन से कहा था कि तैयब अंसारी सुनीता चौधरी को मार सकता है। सुनीता ने मनमोहन से कहा था, “तैयब दीदी (अनीता) को निपटा दिया होगा। अब मैं अंसारी को फोन करूँगी तो चार दिन के अंदर वह मुझे भी मरवा देगा।” मृतक अनीता के पति ने ऑडियो की पुष्टि की है। अब इस मामले में कई मोड़ आ गए हैं।

अनीता के पति मनमोहन और उसकी सहेली सुनीता की कॉल रिकार्डिंग बाहर आने के बाद पुलिस की रडार पर कई लोग आ चुके हैं। इनमें लोगों में कई डॉक्टर, ब्यूटी पार्लर संचालक, पाली के प्रॉपर्टी डीलर, बदमाश एवं अपराधी, व्यवसायी, अधिकारी और नेता भी शामिल हैं। तैयब अंसारी के घर छापेमारी के दौरान पुलिस ने यहाँ से मोबाइल, लैपटॉप, कम्प्यूटर सहित कई दस्तावेज बरामद किए हैं।

तैयब अंसारी 30 साल पहले तक पाली में ऑटो चलाता था। अब वह प्रॉपर्टी का कारोबार करता है। पाली में कुछ विवादित जमीनें भी ले रखी हैं। मारवाड़ के इलाकों में विवादित प्रॉपर्टी को लेकर तैयब अंसारी का नाम कई बार सामने आ चुका है। जोधपुर में सोजती गेट इलाके में एक होटल और जैसलमेर बाइपास पर उसका एक फार्म हाउस सह मैरिज गार्डन है। पाली और जोधपुर रोड पर भी एक फार्म हाउस है।

तैयब अंसारी से भी अनीता की थी बातचीत

पुलिस को मिली जानकारी के मुताबिक, 50 वर्षीय मृतक अनीता और 42 के मुख्य आरोपित गुलामुद्दीन फारूकी तथा 55 वर्षीय प्रॉपर्टी डीलर तैयब अंसारी के बीच बातचीत होती थी। फोन की सीडीआर से पुलिस के हाथ कई सुराग लगे हैं। आशंका कि अनीता की मौत के पीछे प्रॉपर्टी का विवाद भी हो सकता है। इसे सत्यापित करने के लिए पुलिस अनीता के नाम की प्रॉपर्टी की जानकारी जुटा रही है।

सूत्रों के अनुसार, अनीता औऱ तैयब अंसारी के बीच प्रॉपर्टी को लेकर रिश्ते थे। आशंका है कि अंसारी ने अनीता के नाम पर काफी प्रॉपर्टी खरीद रखी है। इसमें से कुछ प्रॉपर्टी तैयब अंसारी ने बेच दी। इसके बाद अनीता उससे नाराज थी। अनीता की हत्या से 15 दिन पहले से ही अंसारी और अनीता के बीच अनबन हुई थी। इसके बाद अनीता और अंसारी ने सोशल मीडिया पर एक-दूसरे को ब्लॉक कर दिया था।

पुलिस ने गुलामुद्दीन के घर की गहन तलाशी ली थी, लेकिन वहाँ खून का एक भी धब्बा नहीं मिला। पुलिस को शक है कि अनीता की हत्या किसी दूसरे जगह पर की गई है। हत्या से पहले उसे प्रताड़ित भी किया होगा। अनीता के शव को 6 टुकड़ों में काटा गया था। ऐसे में हत्याकांड वाली जगह पर खून के धब्बे नहीं मिलना पुलिस को आशंका पैदा करता है। गुलामुद्दीन की गिरफ्तार बीवी आबिदा भी कह चुकी है कि हत्या करने में कई लोग शामिल हैं।

मुस्लिम औरतों को शौहर के साथ मिलेगी दारुल उलूम देवबंद में एंट्री, 2 घंटे में बाहर आना होगा: कड़े नियम हुए लागू, फोटो-वीडियो सब पर बैन

उत्तर प्रदेश के देवबंद में बने दारुल उलूम में अब फिर से महिलाओं की भी एंट्री हो सकेगी। एंट्री के लिए कड़े नियम-कानून लागू किए गए हैं। यह फैसला शुक्रवार (8 नवंबर 2024) को लिया गया है। दारुल उलूम की सर्वोच्च संस्था मजलिस-ए-शूरा ने भी नए नियमों को मंजूरी दे दी है। इसी साल 17 मई को संस्थान के अंदर महिलाओं के प्रवेश पर बैन लगा दिया गया था।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दारुल उलूम के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने शुक्रवार को इस बदलाव की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि तमाम नए नियमों और कानूनों के साथ फिर से महिलाओं को दारुल उलूम में इंट्री देने का निर्णय लिया गया है। इन नियम कानूनों में महिलाओं का अपने शौहर अथवा किसी ऐसे अभिभावक के साथ आना अनिवार्य होगा जिनसे वो पर्दा न करती हों। इस्लाम में इन संबंधियों को महरम कहा जाता है। हालाँकि इन बदलावों की शुरुआत अक्टूबर माह में ही हो चुकी थी।

इसके अलावा महिलाओं को संस्थान में घूमने की महज 2 घंटों के लिए इजाजत मिलेगी। इसके लिए बाकायदा विजिटर पास बनाया जाएगा। विजिटर पास के कॉलम में विजिटर का नाम, पता, मोबाइल नंबर आदि का पूरा ब्यौरा लिखा होगा। दिन छिपने से पहले ही महिलाओं को संस्थान छोड़ देना होगा। घूमने-फिरने के दौरान किसी भी प्रकार की फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी आदि प्रतिबंधित होगी। संस्थान के अंदर खाना खाने पर पूरी तरह से रोक होगी। यहाँ की सर्वोच्च संस्था मजलिस-ए-शूरा ने भी इन बदलावों पर अपनी मुहर लगा दी है।

बताते चलें कि विगत 17 मई 2024 को दारुल उलूम में शिक्षण कार्य के दौरान महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी। तब यहाँ के मैनेजमेंट का कहना था कि पढ़ाई के दौरान कई बाहरी औरतें बेपर्दा हो कर घूमते हुए बिना हिजाब के यहाँ की तस्वीरें खींच रहीं थीं। संस्थान ने यह भी कहा कि कई महिलाएँ यहाँ रील बना कर उस पर अपने हिसाब से गाने एडिट कर के सोशल मीडिया पर भी वायरल कर रहीं थीं। दारुल उलूम ने इसे संस्थान की छवि गिराने वाली हरकतें माना था।

ईरान ने रची थी डोनाल्ड ट्रंप की हत्या की साजिश, पत्रकार मसीह अलीनेजाद भी निशाने पर: फरहाद शकेरी सहित 3 पर आरोप तय, सुरक्षा में लगे रोबोट डॉग

अमेरिकी न्याय विभाग ने शुक्रवार (8 नवंबर 2024) को कहा कि ईरान नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हत्या की साजिश रच रहा है। राष्ट्रपति चुनाव से पहले ट्रम्प की हत्या की नाकाम कोशिश हुई थी। इस मामले में 3 लोगों पर आरोप तय किया गया है। ईरानी अधिकारियों ने सितंबर में 51 वर्षीय फरहाद शकेरी को ट्रंप की हत्या की जिम्मेदारी दी थी। शकेरी फिलहाल फरार है और ईरान में है।

अब खबर है कि अमेरिका के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए 78 वर्षीय डोनाल्ड ट्रंप ने फ्लोरिडा के पाम बीच में स्थित अपने घर ‘मार-ए-लागो’ में सुरक्षा के लिए रोबोट कुत्तों को शामिल किया है। स्थानीय मीडिया आउटलेट ‘न्यूयॉर्क पोस्ट’ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘रोबोट कुत्ते’ को शुक्रवार (8 नवंबर) को डोनाल्ड ट्रंप के बगीचों में घूमते देखा गया। इन रोबोट को बोस्टन की एक कंपनी ने बनाया है।

डोनाल्ड ट्रंप की हत्या में ईरानी साजिश का खुलासा करते हुए अभियोजकों ने कहा कि शकेरी को ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) द्वारा अमेरिका में अमेरिकी और इजरायली नागरिकों की हत्या का काम सौंपा गया था। बाद में ईरान ने शकेरी को केवल ट्रम्प पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा था। ट्रंप की हत्या की योजना बनाने के लिए उसे सात दिन का समय दिया गया था।

ईरान की राजधानी तेहरान में रह रहा अफगान मूल का शकेरी उस समय सीमा में कोई योजना बनाने में असमर्थ था। इसके बाद उसने IRGC के अधिकारियों से समय सीमा को राष्ट्रपति चुनाव के बाद आगे बढ़ने का इंतजार करने का आग्रह किया था। फरहाद शकेरी का मानना था कि डोनाल्ड ट्रम्प राष्ट्रपति चुनाव में हार जाएँगे।

न्याय विभाग के अनुसार, शकेरी संयुक्त राज्य अमेरिका में बस गया था, लेकिन डकैती के लिए जेल की सजा काटने के बाद साल 2008 में उसे निर्वासित कर दिया गया था। जेल में रहते हुए उसने साजिश में शामिल कार्लिसल रिवेरा और जोनाथन लोडहोल्ट से मिला था। शकेरी ने इन दोनों को ब्रुकलिन में रहने वाले एक ईरानी अमेरिकी कार्यकर्ता को निशाना बनाने के लिए उन्हें काम पर रखा।

शकेरी ईरानी तेल और ईंधन व्यवसाय से जुड़े अपने काम के माध्यम से IRGC के एक सीनियर कमांडर से मिला था। जब अधिकारी को पता चला कि शकेरी पहले न्यूयॉर्क में रहता था तो उसने अमेरिका में व्यक्तियों की जाँच के नाम पर उसकी मदद माँगी। शकेरी ने न्यूयॉर्क जेल में रहने के दौरान मिले अपराधियों के नेटवर्क के सहारे ईरानी अधिकारियों के लिए गुप्तचरी का काम शुरू कर दिया।

अदालती दस्तावेजों के अनुसार, शकेरी अपने दो सह-षड्यंत्रकारियों जैसे अपराधिक सहयोगियों को निगरानी करने के लिए पैसे देता था। जिनकी निगरानी के लिए ईरानी अधिकारी कहते थे, दरअसल वे उनकी हत्या कराना चाहते थे। इनमें से एक ईरानी-अमेरिकी पत्रकार एवं राजनीतिक कार्यकर्ता मसीह अलीनेजाद भी थीं। अलीनेजाद ईरान के निशाने पर थीं। शकेरी ने इनकी भी निगरानी कराई थी।

शकेरी के अलावा, शुक्रवार को जिन दो अन्य लोगों पर आरोप तय किए गए हैं उनके नाम हैं कार्लिसल रिवेरा और जोनाथन लोडहोल्ट। ये दोनों अमेरिकी नागरिक हैं। दोनों को न्यूयॉर्क में गिरफ्तार किया गया था। इन दोनों ने अलीनेजाद की निगरानी की थी। IRGC का ब्रिगेडियर जनरल रूहोल्लाह बाज़घन पत्रकार अलीनेजाद की हत्या करवाना चाहता था। इसके लिए ईरान शकेरी को भरपूर धन मुहैया कराता था।

दरअसल, अमेरिकी सरकार ने बार-बार चिंता जताई है कि ईरान साल 2020 के अमेरिकी ड्रोन हमले का बदला लेने की कोशिश कर सकता है। इस हमले में रिवॉल्यूशनरी गार्ड के शीर्ष कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी को मार गिराया गया था। इस हमले का आदेश डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति रहते हुए दिया था। इसके कारण ईरान द्वारा ट्रम्प या उनके पूर्व सलाहकारों को मारने की कोशिश का अंदेशा था।

बता दें कि साल 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों से पहले प्रचार के दौरान 13 जुलाई को पेंसिलवेनिया के बटलर में डोनाल्ड ट्रंप एक रैली को संबोधित कर रहे थे। इसी दौरान उन पर हमला किया था। हालाँकि, गोली उनके कान को छूकर निकल गई थी और इस हमले में वे बाल-बाल बच गए थे। इसके बाद ट्रंप को तुरंत यूएस सीक्रेट सर्विस एजेंटों द्वारा मंच से उतार दिया था।

इसके बाद सितंबर 2024 में उन पर दूसरी बार हमला हुआ था। ट्रंप 16 सितंबर की दोपहर गोल्फ खेल रहे थे, तभी गोलियों की आवाजें आने लगीं। आवाज सुनते ही सुरक्षाकर्मियों ने ट्रंप को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया और उसके बाद इलाका पूरा सील किया गया। गोलीबारी के बाद स्थानीय पुलिस ने एक संदिग्ध को हिरासत में लिया थी, जिसकी पहचान 58 वर्षीय रियान वेल्से राउथ के तौर पर हुई थी।

‘भारत ने अपने एक महान सपूत को खोया’ : रतन टाटा को याद कर भावुक हुए प्रधानमंत्री मोदी, ब्लॉग में लिखा- ये पीड़ा भुला पाना आसान नहीं

आज श्री रतन टाटा जी के निधन को एक महीना हो रहा है। पिछले महीने आज के ही दिन जब मुझे उनके गुजरने की खबर मिली, तो मैं उस समय आसियान समिट के लिए निकलने की तैयारी में था। रतन टाटा जी के हमसे दूर चले जाने की वेदना अब भी मन में है। इस पीड़ा को भुला पाना आसान नहीं है। रतन टाटा जी के तौर पर भारत ने अपने एक महान सपूत को खो दिया है…एक अमूल्य रत्न को खो दिया है।

आज भी शहरों, कस्बों से लेकर गाँवों तक, लोग उनकी कमी को गहराई से महसूस कर रहे हैं। हम सबका ये दुख साझा है। चाहे कोई उद्योगपति हो, उभरता हुआ उद्यमी हो या कोई प्रोफेशनल हो, हर किसी को उनके निधन से दुख हुआ है। पर्यावरण रक्षा से जुड़े लोग…समाज सेवा से जुड़े लोग भी उनके निधन से उतने ही दुखी हैं। और ये दुख हम सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में महसूस कर रहे हैं।

युवाओं के लिए, श्री रतन टाटा एक प्रेरणास्रोत थे। उनका जीवन, उनका व्यक्तित्व हमें याद दिलाता है कि कोई सपना ऐसा नहीं जिसे पूरा ना किया जा सके, कोई लक्ष्य ऐसा नहीं जिसे प्राप्त नहीं किया जा सके। रतन टाटा जी ने सबको सिखाया है कि विनम्र स्वभाव के साथ, दूसरों की मदद करते हुए भी सफलता पाई जा सकती है।

रतन टाटा जी, भारतीय उद्यमशीलता की बेहतरीन परंपराओं के प्रतीक थे। वो विश्वसनीयता, उत्कृष्टता औऱ बेहतरीन सेवा जैसे मूल्यों के अडिग प्रतिनिधि थे। उनके नेतृत्व में, टाटा समूह दुनिया भर में सम्मान, ईमानदारी और विश्वसनीयता का प्रतीक बनकर नई ऊंचाइयों पर पहुँचा। इसके बावजूद, उन्होंने अपनी उपलब्धियों को पूरी विनम्रता और सहजता के साथ स्वीकार किया।

दूसरों के सपनों का खुलकर समर्थन करना, दूसरों के सपने पूरा करने में सहयोग करना, ये श्री रतन टाटा के सबसे शानदार गुणों में से एक था। हाल के वर्षों में, वो भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम का मार्गदर्शन करने और भविष्य की संभावनाओं से भरे उद्यमों में निवेश करने के लिए जाने गए। उन्होंने युवा आंत्रप्रेन्योर की आशाओं और आकांक्षाओं को समझा, साथ ही भारत के भविष्य को आकार देने की उनकी क्षमता को पहचाना।

भारत के युवाओं के प्रयासों का समर्थन करके, उन्होंने नए सपने देखने वाली नई पीढ़ी को जोखिम लेने और सीमाओं से परे जाने का हौसला दिया। उनके इस कदम ने भारत में इनोवेशन और आंत्रप्रेन्योरशिप की संस्कृति विकसित करने में बड़ी मदद की है। आने वाले दशकों में हम भारत पर इसका सकारात्मक प्रभाव जरूर देखेंगे।

रतन टाटा जी ने हमेशा बेहतरीन क्वालिटी के प्रॉडक्ट…बेहतरीन क्वालिटी की सर्विस पर जोर दिया और भारतीय उद्यमों को ग्लोबल बेंचमार्क स्थापित करने का रास्ता दिखाया। आज जब भारत 2047 तक विकसित होने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है, तो हम ग्लोबल बेंचमार्क स्थापित करते हुए ही दुनिया में अपना परचम लहरा सकते हैं। मुझे आशा है कि उनका ये विजन हमारे देश की भावी पीढ़ियों को प्रेरित करेगा और भारत वर्ल्ड क्लास क्वालिटी के लिए अपनी पहचान मजबूत करेगा।

रतन टाटा जी की महानता बोर्डरूम या सहयोगियों की मदद करने तक ही सीमित नहीं थी। सभी जीव-जंतुओं के प्रति उनके मन में करुणा थी। जानवरों के प्रति उनका गहरा प्रेम जगजाहिर था और वे पशुओं के कल्याण पर केन्द्रित हर प्रयास को बढ़ावा देते थे। वो अक्सर अपने डॉग्स की तस्वीरें साझा करते थे, जो उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा थे। मुझे याद है, जब रतन टाटा जी को लोग आखिरी विदाई देने के लिए उमड़ रहे थे…तो उनका डॉग ‘गोवा’ भी वहाँ नम आँखों के साथ पहुँचा था।

रतन टाटा जी का जीवन इस बात की याद दिलाता है कि लीडरशिप का आँकलन केवल उपलब्धियों से ही नहीं किया जाता है, बल्कि सबसे कमजोर लोगों की देखभाल करने की उसकी क्षमता से भी किया जाता है।

रतन टाटा जी ने हमेशा, नेशन फर्स्ट की भावना को सर्वोपरि रखा। 26/11 के आतंकवादी हमलों के बाद उनके द्वारा मुंबई के प्रतिष्ठित ताज होटल को पूरी तत्परता के साथ फिर से खोलना, इस राष्ट्र के एकजुट होकर उठ खड़े होने का प्रतीक था। उनके इस कदम ने बड़ा संदेश दिया कि – भारत रुकेगा नहीं…भारत निडर है और आतंकवाद के सामने झुकने से इनकार करता है।

व्यक्तिगत तौर पर, मुझे पिछले कुछ दशकों में उन्हें बेहद करीब से जानने का सौभाग्य मिला। हमने गुजरात में साथ मिलकर काम किया। वहाँ उनकी कंपनियों द्वारा बड़े पैमाने पर निवेश किया गया। इनमें कई ऐसी परियोजनाएं भी शामिल थीं, जिसे लेकर वे बेहद भावुक थे।

जब मैं केन्द्र सरकार में आया, तो हमारी घनिष्ठ बातचीत जारी रही और वो हमारे राष्ट्र-निर्माण के प्रयासों में एक प्रतिबद्ध भागीदार बने रहे। स्वच्छ भारत मिशन के प्रति श्री रतन टाटा का उत्साह विशेष रूप से मेरे दिल को छू गया था। वह इस जन आंदोलन के मुखर समर्थक थे। वह इस बात को समझते थे कि स्वच्छता और स्वस्थ आदतें भारत की प्रगति की दृष्टि से कितनी महत्वपूर्ण हैं। अक्टूबर की शुरुआत में स्वच्छ भारत मिशन की दसवीं वर्षगाँठ के लिए उनका वीडियो संदेश मुझे अभी भी याद है। यह वीडियो संदेश एक तरह से उनकी अंतिम सार्वजनिक उपस्थितियों में से एक रहा है।

कैंसर के खिलाफ लड़ाई एक और ऐसा लक्ष्य था, जो उनके दिल के करीब था। मुझे दो साल पहले असम का वो कार्यक्रम याद आता है, जहाँ हमने संयुक्त रूप से राज्य में विभिन्न कैंसर अस्पतालों का उद्घाटन किया था। उस अवसर पर अपने संबोधन में, उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि वो अपने जीवन के आखिरी वर्षों को हेल्थ सेक्टर को समर्पित करना चाहते हैं। स्वास्थ्य सेवा एवं कैंसर संबंधी देखभाल को सुलभ और किफायती बनाने के उनके प्रयास इस बात के प्रमाण हैं कि वो बीमारियों से जूझ रहे लोगों के प्रति कितनी गहरी संवेदना रखते थे।

मैं रतन टाटा जी को एक विद्वान व्यक्ति के रूप में भी याद करता हूँ- वह अक्सर मुझे विभिन्न मुद्दों पर लिखा करते थे, चाहे वह शासन से जुड़े मामले हों, किसी काम की सराहना करना हो या फिर चुनाव में जीत के बाद बधाई सन्देश भेजना हो।

अभी कुछ सप्ताह पहले, मैं स्पेन सरकार के राष्ट्रपति श्री पेड्रो सान्चेज के साथ वडोदरा में था और हमने संयुक्त रूप से एक विमान फैक्ट्री का उद्घाटन किया। इस फैक्ट्री में सी-295 विमान भारत में बनाए जाएँगे। श्री रतन टाटा ने ही इस पर काम शुरू किया था। उस समय मुझे श्री रतन टाटा की बहुत कमी महसूस हुई।

आज जब हम उन्हें याद कर रहे हैं, तो हमें उस समाज को भी याद रखना है जिसकी उन्होंने कल्पना की थी। जहाँ व्यापार, अच्छे कार्यों के लिए एक शक्ति के रूप में काम करे, जहाँ प्रत्येक व्यक्ति की क्षमता को महत्व दिया जाए और जहाँ प्रगति का आँकलन सभी के कल्याण और खुशी के आधार पर किया जाए। रतन टाटा जी आज भी उन जिंदगियों और सपनों में जीवित हैं, जिन्हें उन्होंने सहारा दिया और जिनके सपनों को साकार किया। भारत को एक बेहतर, सहृदय और उम्मीदों से भरी भूमि बनाने के लिए आने वाली पीढ़ियां उनकी सदैव आभारी रहेंगी।

‘तेरी बहन को मुसलमान बनाऊँगा’: चाकू दिखाकर फैज़ान ने शौच करने गई शादीशुदा दलित महिला का किया अपहरण, UP पुलिस ने दबोचा

उत्तर प्रदेश के एटा जिले में एक शादीशुदा दलित महिला पर धर्मान्तरण के दबाव का मामला सामने आया है। रविवार (3 नवंबर 2024) को पीड़िता का चाकू की नोक पर अपहरण किया गया था। मामले में मुख्य आरोपित फैज़ान है जिसे शुक्रवार (8 नवंबर) को गिरफ्तार कर लिया गया है। पीड़िता के परिजनों ने फैज़ान के भाई और अम्मी-अब्बा को इस साजिश में शामिल बताया है। पुलिस ने पीड़िता को सकुशल बरामद कर लिया है। मामले में अन्य आरोपितों की संलिप्तता की जाँच चल रही है।

यह घटना एटा जिले के थानाक्षेत्र जलेसर की है। यहाँ सोमवार (4 नवंबर) को एक दलित महिला के पिता ने पुलिस में तहरीर दी है। तहरीर में उन्होंने बताया कि एक दिन पहले रविवार की सुबह 6 बजे उनकी बेटी अपनी छोटी बहन के साथ शौच के लिए खेतों में गई थी। तभी किरी कस्बा जलेसर का ही रहने वाला फैज़ान वहाँ पहुँच गया। फैज़ान पीड़ित की बड़ी बेटी का अपहरण करने की कोशिश करने लगा। इस बात का पीड़िता की छोटी बहन ने विरोध किया।

शिकायतकर्ता के मुताबिक तब फैज़ान ने पीड़िता की छोटी बहन का गला दबाया। उसने लड़की को चाकू दिखा कर कहा, “तेरी बहन को इस्लाम अपनाने के लिए मजबूर करूँगा और तेरी बहन को मुसलमान बनाऊँगा।” इसके बाद फैज़ान ने तमंचा निकाला और पीड़िता को अपने साथ बाइक पर जबरन बिठाकर ले गया। दलित परिवार का आरोप है कि फैज़ान की इस करतूत में न सिर्फ उसके भाई बल्कि अम्मी-अब्बा का भी पूरा सहयोग है।

तब शिकायतकर्ता ने आशंका जताया कि फैज़ान उनकी बेटी के साथ कोई अनहोनी कर सकता था। इसी के साथ आरोपितों पर कड़ी कार्रवाई की माँग की गई। पुलिस ने यह केस भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 87, 131, 351 (2) और 61 (2) के साथ SC/ST एक्ट व उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम के तहत दर्ज किया। ऑपइंडिया के पास शिकायत कॉपी मौजूद है। फ़ौरन ही पुलिस टीमों का गठन कर के फैज़ान की तलाश शुरू कर दी गई।

पीड़िता को सही सलामत बरामद करने और फैज़ान की गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीमों का गठन कर दिया गया। मामले में ताबड़तोड़ दबिश दी गई। पुलिस के प्रयास अंत में सार्थक रहे और शुक्रवार (8 नवंबर) को फैज़ान दबोच लिया गया। फैज़ान एटा में ही एक पुलिया के नीचे छिपा था और कहीं भागने की फिराक में था। पुलिस ने महिला को भी सही सलामत बरामद कर लिया है। मामले में अन्य आरोपितों की संलिप्तता की जाँच व अन्य कानूनी कार्रवाई जारी है।

‘कनाडा में रहते हैं खालिस्तानी समर्थक’ : PM जस्टिन ट्रुडो ने आखिरकार खुद खोली अपनी पोल, PM मोदी के प्रति नफरत दिखाने से नहीं चूँके

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने हाल ही में यह स्वीकार किया है कि कनाडा में खालिस्तान समर्थक मौजूद हैं। उनका यह बयान ऐसे समय में सामने आया है जब भारत पहले ही कनाडाई सरकार पर आरोप लगा चुकी है कि वह खालिस्तान समर्थकों को पनाह देते हैं।

ट्रूडो ने खालिस्तानियों की मौजूदगी की बात स्वीकारते हुए थोड़ी लीपापोती भी की। उन्होंने आगे कहा कि कनाडा में खालिस्तान समर्थक है लेकिन ये खालिस्तानी सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं ठीक वैसे ही जैसे कनाडा में मोदी समर्थक हैं लेकिन वो हिंदुओं का प्रतिनिधित्व नहीं करते।

बता दें कि जस्टिन ट्रुडो की यह टिप्पणी भारत और कनाडा के संबंधों पर असर डालने वाली है। वैसे ही 2023 में दोनों के पबीच संबंधों में उस वक्त से खटास है जब से ट्रुडो सरकार ने निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की भूमिका होने की बात कही थी और भारत ने ऐसे आरोपों को खारिज कर दिया था।

इसके बाद भारतीय उच्चायुक्तों को निशाना बनाया गया तो भारत ने ओटावा में अपने उच्चायुक्तों को वापस बुला लिया। साथ ही कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित भी कर दिया। मगर ट्रुडो सरकार द्वारा भारत पर आरोप लगाने का सिलसिला थमा नहीं। वो खुलकर खालिस्तानियों को समर्थन देते रहे।

हाल में हिंदुओं पर जब ब्रैम्पटन में हमला हुआ तो ये एकदम साफ था कि हमला खालिस्तानियों ने किया है लेकिन ट्रुडो ने इस हमले के मामले में खालिस्तानियों की आलोचना नहीं की। ट्रूडो ने कहा कि हिंसा करने वाले लोग किसी भी समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते। उन्होंने कहा, “यहाँ हिंसा, असहिष्णुता या धमकी के लिए कोई जगह नहीं है।”

जिस जगह पर भगवान राम ने की महादेव की पूजा, वहाँ मंदिर के पास खड़ी कर दी मस्जिद-मजार: हिंदू संगठन बोले- कोरोना के दौरान छिपकर हुआ निर्माण, इलाके में ‘टोपी वालों’ की गतिविधि बढ़ी

उत्तर प्रदेश के बाँदा में जिस जगह पर भगवान राम ने भगवान शंकर को जलाभिषेक की थी, वहाँ अवैध रूप से एक मस्जिद बना दी गई है। इसको लेकर विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने विरोध प्रदर्शन किया है और उस अवैध मस्जिद को गिराने की माँग करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है। बाम्बेश्वर पर्वत पर स्थित उस शिवलिंग को बमदेव भोलेनाथ की मंदिर के नाम से जाना जाता है।

विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल का आरोप है कि कोरोना काल के जब हर तरफ लॉकडाउन था, उस दौरान इस पर्वत पर मुस्लिमों ने चुपके से एवं अवैध रूप से मस्जिद का निर्माण कर लिया था। VHP के मंडल अध्यक्ष अशोक ने कहा कि वहाँ पर आधा दर्जन मजारें भी बना ली गई हैं। पहाड़ पर रोज फतिहा और हर शुक्रवार को जुमे की नमाज पढ़ी जाती है।

हिंदू संगठनों का आरोप है कि इस जगह पर कोई मुस्लिम बस्ती नहीं थी, लेकिन अब काफी तादाद में यहाँ मुस्लिम हने लगे हैं। इससे सुरक्षा को लेकर खतरा पैदा हो गया है। ऐसे में मस्जिद और अवैध ढाँचों को गिराने के लिए विश्व हिंदू परिषद के अधिकारियों ने जिला कलेक्टर और पुलिस कप्तान के साथ-साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है।

पत्र में कहा गया है कि इस्लाम धर्म के लोग भारत का इस्लामीकरण करा रहे हैं। हिंदू संगठनों का कहना है कि वे इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। अगर सरकार ने इसे नहीं हटाया तो वे इस मस्जिद को गिरा देंगे। हिंदू संगठनों की माँग है कि अवैध मस्जिद एवं मकबरे का बनाने वालों को तत्काल जेल में डाला जाना चाहिए और अवैध ढाँचों एवं उसे बनाने वालों के मकानों पर बुलडोज़र चलना चाहिए।

विश्व हिंदू परिषद के चंद्रमोहन बेदी ने कहा कि यह पर्वत बहुत पुराना है। यहाँ पर पीछे की तरफ कुछ लोगों ने अवैध रूप से मजार बनाई और फिर उसे धीरे-धीरे मस्जिद में बदल दिया। उन्होंने कहा कि लोगों को अंधविश्वास में डाल दिया और जगह हथिया ली। उन्होंने पूछा कि जब सतह पर पत्थर ही पत्थर हैं तो मजार कैसे बन सकती है। मजार बनाने के लिए खुदाई होती है, लेकिन पत्थर पर खुदाई कैसे होगी।

VHP के महामंत्री दीपू दीक्षित ने बताया कि शुरू में मुस्लिमों ने पर्वत के एक पत्थर को हरे रंग से पोता फिर धीरे-धीरे इस पर मजार बनाई। फिर इस पर एक बड़ी मस्जिद बना दी। इसके बाद काफी लोग यहाँ टोपी लगाकर आना शुरू हो गए। दीपू ने कहा कि यह एक कैंसर का रूप है। इसे तत्काल जड़ से काटकर फेंक देना चाहिए, वरना यह पूरे शरीर को खराब कर देगा।

बाम्बेश्वर पर्वत पर बने प्राचीन मन्दिर के पुजारी पुत्तन महाराज ने और मंदिर कमिटी के अध्यक्ष ने भी मस्जिद का विरोध किया है। उनका कहना है यह यह स्थिति अयोध्या और काशी मथुरा जैसी बन सकती है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि भगवान राम ने अपने वनवास के दौरान यहाँ के शिवलिंग पर जलाभिषेक किया था। इस दौरान भगवान शंकर ने उन्हें दर्शन दिया था।