ओडिशा के राजस्व व आपदा प्रबंधन मंत्री सुदाम मरांडी ने शुक्रवार (जून 21, 2109) को एक बड़ा ही अटपटा बयान दिया है। अपने बयान में उन्होंने खुद को भगवान बताया है और ओडिशा मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की तुलना भगवान जगन्नाथ से की है। सुदाम के इस बयान के बाद उनकी हर जगह आलोचना हो रही है।
मरांडी ने यह बयान हरिबलदेव मंदिर में दिया। यहाँ उन्होंने खुद को बथूडी समुदाय के देवता बादम बताया और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को भगवान जगन्नाथ की उपाधि दी। गौरतलब है मरांडी ने बुधवार (जून 19, 2019) को हुई एक बैठक के दौरान उन लोगों को लेकर बयान दिया है जो राज्य सरकार से अपनी 8 माँगे मनवाने के लिए बरीपाड़ा से नवीन निवास तक पदयात्रा करने जा रहे थे जिसे बाद में स्थगित कर दिया गया।
मरांडी ने बैठक के दौरान कहा कि लोगों को पदयात्रा करने से पहेल उनसे मिलना चाहिए। बंगीरीपोसी विधायक का कहना था कि उन्हें यहाँ का नेता चुना गया है इसलिए सबसे पहले लोगों को उनसे मिलना चाहिए। अगर उनके पास लोगों की समस्या का समाधान नहीं होता तब मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के समक्ष अपनी बात रखनी चाहिए।
मरांडी के इन बयानों के बाद ओडिशा की जनता ने उनका जमकर विरोध किया है। हरिबलदेव मंदिर के पुजारी अरुण मिश्रा और कामेश्वर त्रिपाठी ने कहा है कि उन्हें इसकी सजा भगवान जगन्नाथ देंगे।
टाइम्स नॉउ की खबर के अनुसार सुदाम के इन बयानों के मद्देनजर विधायक सोरेन ने मरांडी पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, “मंत्री जी को घमंड हो गया है। ये सही नहीं है। एक व्यक्ति कभी भी भगवान नहीं हो सकता है। यहाँ के लोग काफी गरीब हैं, उन्हें मूलभूत चिकित्सकीय सुविधाएँ भी नहीं मिल रही है। ऐसे में एक मंत्री विधायक कैसे खुद को भगवान बता सकता है। उन्हें पता नहीं किस बात का घमंड है।”
इसके अलावा भाजपा जिला अध्यक्ष कृष्ण चंद्र मोहापात्रा ने भी मरांडी के बयानों को शर्मनाक बताया है और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता कलिंगा केसरी ने तो बयान को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि वे मंत्री पद पर रहने के योग्य नहीं हैं।
16 जून को भारत से मिली करारी हार के बाद पाकिस्तान क्रिकेट टीम और खासकर टीम के कैप्टन सरफराज अहमद को काफ़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। सोशल मीडिया पर तरह-तरह के मीम बनाकर यूजर्स उन्हें ट्रोल कर रहे हैं। हर जगह उनसे उनकी फिटनेस और तैयारी को लेकर सवाल पूछे जा रहे हैं और लगातार भारत से मिली हार पर शर्मसार किया जा रहा है।
सोशल मीडिया पर तेजी से एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें सरफराज को बेइज्जत करने की कड़ी में एक लड़के ने सारी हदें पार दीं। इस लड़के ने मॉल में परिवार के साथ घूमते सरफराज का वीडियो बनाया। वीडियो में लड़का सेल्फी मोड में सरफराज से कहता नजर आ रहा है, “भाई, भाई आप सुअर की तरह इतने मोटे क्यों हो? आप सुअर जैसे मोटे हो कम डाइट लिया करो।”
Now this is disgraceful! Two years back you were celebrating and dancing on the roads because of them #ct17 and today you are treating them like this. You may comment on their performance and fitness but this is not the way! #CWC19#PAKvSA#WeHaveWeWillpic.twitter.com/8Ney8VSlSU
— Faizan Najeeb Danawala (@danawalafaizan) June 21, 2019
शर्म की बात यह है कि जिस दौरान लड़के ने सरफराज से बदतमीजी की उस समय सरफराज अपने परिवार के साथ मॉल में मौजूद थे। लेकिन फिर भी उन्होंने उस लड़के को कुछ नहीं कहा और आगे बढ़ गए।
इस वीडियो के वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने लड़के की इस हरकत का विरोध किया । एक शख्स ने इस वीडियो को शेयर करते हुए कहा, “दो साल पहले चैंपियंस ट्रॉफी-2017 जीतने पर खुशी मना रहे थे और आज इनके साथ इस तरह बर्ताव कर रहे हैं। आप उनके प्रदर्शन पर सवाल उठा सकते हैं, लेकिन इस तरह नहीं।”
हालाँकि, अपनी इस हरकत पर लोगों की प्रतिक्रिया देखने के बाद लड़के ने सोशल मीडिया पर वीडियो डालकर माफी माँग ली है। लेकिन लोगों का गुस्सा उसके प्रति शांत नहीं हो रहा है। लड़के ने वीडियो में कहा है कि जो उसने सरफराज अहमद को मॉल में कहा वो जायज नहीं था और अपनी हरकत के लिए उसने माफी माँगी।
लड़के ने वीडियो में बताया कि घटना के बाद सरफराज जब गुस्से में उसके पास आए तो लड़के ने उनसे माफ़ी माँग ली थी और साथ ही वीडियो भी डिलीट किया था, लेकिन उसे नहीं मालूम ये वीडियो कैसे वायरल हो गया। उसने लोगों के गुस्से को देखते हुए माफी माँगी और बताया कि वो खुद पाकिस्तानी है, उसे नहीं मालूम था कि ये वीडियो ऐसे अपलोड होकर वायरल हो जाएगा।
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार (जून 20, 2019) को फरमान जारी करते हुए कहा कि भ्रष्ट और बेईमान अधिकारियों के लिए सरकार में कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा था कि ऐसे अधिकारी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लें, अन्यथा उन्हें सेवानिवृत्ति लेने के लिए बाध्य कर दिया जाएगा। मुख्यमंत्री के भ्रष्ट व लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कठोर कदम उठाए जाने की चेतावनी के बाद प्रशासन ने ऐसे मामलों में कार्रवाई शुरू कर दी है। प्रशासन ने शुक्रवार (जून 21, 2019) को बागपत जेल में माफिया मुन्ना बजरंगी की हत्या के मामले में दोषी पाए गए जेलर उदय प्रताप सिंह व मेरठ जेल में स्टिंग ऑपरेशन मामले में डिप्टी जेलर धीरेंद्र कुमार सिंह को बर्खास्त कर दिया है।
प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने बताया कि जाँच में दोनों अधिकारी ड्यूटी में लापरवाही के दोषी पाए गए और कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके। दोनों अधिकारियों के कृत्यों से शासन व कारागार विभाग की छवि को गहरा आघात पहुँचा था, जिसके चलते यह कठोर कदम उठाया गया। यह बर्खास्तगी इस बात का संकेत है कि अब दूसरे विभागों के भ्रष्ट और नाकारा अफसरों पर भी तलवार तन गई है। जल्द ही कई और भ्रष्ट अफसरों पर बर्खास्तगी की गाज गिर सकती है।
खबर के मुताबिक, सीएम के सख्त रवैये के बाद सचिवालय प्रशासन द्वारा अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के लिए 30 भ्रष्ट अधिकारियों के नाम छांट लिए गए हैं। इन 30 अधिकारियों में 17 समीक्षा अधिकारी, 8 अनुभाग अधिकारी, 3 अनुसचिव और 2 उप सचिव शामिल हैं। इन सबके खिलाफ पूर्व में हुई जाँचों, कार्रवाई और आपराधिक मामलों के आधार पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाएगी। जल्द ही इन अधिकारियों की सूची को सीएम योगी के पास अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा।
गौरतलब है कि, मोदी सरकार हाल ही में जनहित में सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद विभाग के 15 अधिकारियों को समय से पहले सेवानिवृत्त कर चुकी है। इससे पहले इस महीने की शुरूआत में भारतीय राजस्व सेवा (आयकर) के 12 अधिकारियों को भी सेवा से बर्खास्त किया गया था।
भारत-पाकिस्तान सीमा पर सुरक्षा बलों की कड़ी निगरानी के कारण पाकिस्तान को आतंकियों की घुसपैठ कराने में मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है इसलिए अब उसने अब भारत में अवैध रूप से ड्रग्स भेजना शुरू कर दिया है। हालाँकि इस तरह की कारस्तानी पाकिस्तान पहले भी करता रहा है लेकिन आजकल इसमें बढ़ोतरी दिखाई दे रही है।
अमर उजाला में प्रकाशित खबर के मुताबिक इंटरनेशनल बार्डर और एलओसी दोनों की ओर से ही बड़े पैमाने पर हेरोईन की सप्लाई आ रही है। जानकारी के अनुसार सिर्फ़ पिछले 2 सालों में 2500 करोड़ की हेरोईन पकड़ी जा चुकी है जिसमें नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने ही लगभग 1500 करोड़ की हेरोईन जब्त की है। जबकि बाकी हेरोईन पुलिस की कार्रवाई में पकड़ी गई है।
पाकिस्तान एलओसी हो या फिर इंटरनेशनल बार्डर। दोनों ही जगहों पर वह आतंकियों की घुसपैठ कराने में नाकाम हो रहा है।https://t.co/vIw0qKJvfT
खबर के मुताबिक पहले हेरोईन की सप्लाई सिर्फ़ एलओसी के जरिए होती थी लेकिन अब इसकी तस्करी के लिए बॉर्डर का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। सुंदरबनी और सुचेतगढ़ ऐसे बॉर्डर इलाके रहे हैं जहाँ एक ही तरह की प्लॉनिंग से हेरोईन तस्करी की कोशिश की गई हैं।
इस दौरान तस्करों ने प्लॉस्टिक कैन को फाड़ा, फिर पैकिंग करके उसे दोबारा जोड़ दिया और बाद में उसे भारतीय सीमा में फेंक दिया। बताया जा रहा है कि चौधरी अकरम पाकिस्तान में हेरोईन का सबसे बड़ा तस्कर है। अकरम भारतीयों के साथ लगातार संपर्क में रहता है और कठुआ से पुंछ तक नेटवर्क चलाता है। पाकिस्तानी रेंजर भी अकरम की इस काम में मदद करते हैं।
बता दें पिछले दो दिनों में ही जम्मू-कश्मीर में 13 किलो हेरोईन बरामद हुई। कल ही जम्मू कश्मीर के उधमपुर जिले में हेरोइन जैसा आठ किलोग्राम नशीला पदार्थ बरामद किया गया है। हालाँकि इस मामले में दो कथित ड्रग तस्करों की भी गिरफ्तारी हुई है। पुलिस ने बताया है कि इस मामले में काजीगुंड के निवासी सिराज अहमद और जावीद अहमद शाह को गिरफ्तार किया गया है।
इसके अलावा इस घटना से एक दिन पहले ही डीआरआई ने बीएसएफ के साथ एक संयुक्त अभियान में सुचेतगढ़ सीमा निगरानी चौकी के पास से पाँच किलोग्राम हेरोइन जब्त की थी।
अपने अजीबो-गरीब फतवों के कारण चर्चा में रहने वाले उत्तर प्रदेश के सहारनपुर स्थित इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद का सोशल मीडिया पर एक फतवा खूब तेजी से वायरल हो रहा है। इस फतवे में दारूल उलूम देवबंद ने बताया है कि मकान के बाहर बेवजह सीसीटीवी लगाना गैर-इस्लामी है। हालाँकि फतवे में ये भी स्पष्ट किया गया है कि अगर बहुत अधिक जरूरत है तो ऐसी स्थिति में सीसीटीवी लगवाया जा सकता है।
नवभारत टाइम्स में प्रकाशित खबर के मुताबिक इस फतवे के बारे में पूछे जाने पर देवबंदी आलीम ने फतवे का समर्थन किया और बताया कि सोशल मीडिया में जो दारुल उलूम देवबंद का फतवा वायरल हो रहा है, वह लगभग एक साल पुराना है।
दारुल उलूम देवबंद ने CCTV कैमरा लगाना बताया गैर इस्लामिक, वायरल हुआ फतवाhttps://t.co/6K0FIJPyC6
इस दौरान दारुल उलूम देवबंद की इफ्ता कमेटी से पूछा गया था कि लोग अपनी दुकान और मकान के बाहर सीसीटीवी कैमरे लगवा सकते हैं या नहीं। साथ ही यह भी पूछा गया था कि शरियत इस विषय के बारे में क्या कहती है। इसके जवाब में ही दारुल उलूम देवबंद ने बताया था कि अगर ज्यादा जरूरत है तो सीसीटीवी कैमरा लगाया जा सकता है। लेकिन बिना जरूरत सीसीटीवी कैमरा लगाने की इजाजत शरीयत के अंदर नहीं है।
जी न्यूज की खबर के मुताबिक फतवे में कहा गया है कि मकान और दूकान की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाने के अलावा कई दूसरे जायज तरीके इस्तेमाल किए जा सकते हैं, क्योंकि सीसीटीवी कैमरे लगाने से तस्वीरें कैद होती हैं और इस्लाम धर्म में बिना जरूरत तस्वीरें खिंचवाना सख्त मना है।
— Zee Uttar Pradesh Uttarakhand (@ZEEUPUK) June 21, 2019
गौरतलब है कि ये पहला मौक़ा नहीं है जब दारुल उलूम देवबंद की ओर से ऐसा अजीब फतवा जारी किया गया। इससे पहले भी कई विवादित फतवों के लिए दारुल-उलूम-देवबंद चर्चा में रहा है। पिछले साल 2018 की शुरुआत में ही दारुल ने मस्लिम महिलाओं के चमकीले और चुस्त कपड़े पहनने, नेल पेंट लगाने आदि पर फतवे जारी किए थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एनडीए की दोबारा सत्ता में वापसी के बाद मोदी सरकार भ्रष्टाचारियों पर लगाम लगाने के लिए सख्ती के मूड में है। भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए सरकार ने नई पहल की है। इसके तहत केंद्र ने भ्रष्ट और नाकारा कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाने के लिए बैंकों, सार्वजनिक उपक्रमों एवं अपने सभी विभागों से अपने कर्मियों के सेवा रिकॉर्ड की समीक्षा करने को कहा है। इसकी शुरूआत 15 जुलाई 2019 से होगी।
पिछले दिनों टैक्स डिपार्टमेंट के 25 से ज्यादा वरिष्ठ अधिकारियों को जबरन रिटायरमेंट दी गई। कार्मिक मंत्रालय ने केंद्र सरकार के सभी विभागों से प्रत्येक श्रेणी के कर्मचारियों के कामकाज की समीक्षा सख्ती और पूरे नियम कायदे से करने के साथ यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि किसी कर्मचारी के खिलाफ जबरन सेवानिवृत्ति की कार्रवाई में मनमानी न हो। ये नियम सरकार को जनहित में उस सरकारी कर्मचारी को सेवानिवृत्त करने की अनुमति देता है जिसकी ईमानदारी संदेहास्पद है और जो काम के मामले में कच्चे हैं।
इसमें कहा गया है कि सभी मंत्रालयों व विभागों से आग्रह है कि वे सार्वजिनिक उपक्रमों/बैंकों और स्वायत्त संस्थानों समेत अपने प्रशासनिक नियंत्रण में आने वाले विभागों के कर्मचारियों के कामकाज की ‘कायदे कानून और सही भावना’ के अनुसार समीक्षा करें। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए बृहस्पतिवार को कहा था कि सार्वजनिक जीवन और सरकारी सेवाओं से भ्रष्टाचार को हटाने का अभियान चलाया जाएगा।
हर महीने की 15 तारीख को देनी होगी रिपोर्ट
रिपोर्ट्स के अनुसार, कार्मिक मंत्रालय ने कहा है कि मंत्रालयों या विभागों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एक सरकारी कर्मचारी को जनहित में समय से पहले सेवानिवृत्त करने जैसी निर्धारित प्रक्रिया का कड़ाई से पालन हो और ऐसा निर्णय मनमाना न हो। निर्देश के मुताबिक, “सभी सरकारी संगठनों को प्रत्येक महीने की 15 तारीख को निर्धारित प्रारूप में रिपोर्ट देने को कहा गया है। इसकी शुरूआत जुलाई 15, 2019 से होगी।”
कार्मिक मंत्रालय ने कहा कि मंत्रालयों या विभागों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एक सरकारी कर्मचारी को जनहित में समय से पहले सेवानिवृत्त करने जैसी निर्धारित प्रक्रिया का कड़ाई से पालन हो।
हाल ही में 27 ‘सुस्त’ अधिकारियों को सरकार कर चुकी है जबरन रिटायर
केंद्र सरकार ने हाल ही में जनहित में सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद विभाग के 15 अधिकारियों को समय से पहले सेवानिवृत्त कर चुकी है। इससे पहले इस महीने की शुरूआत में भारतीय राजस्व सेवा (आयकर) के 12 अधिकारियों को भी सेवा से बर्खास्त किया गया था।
असम राइफल्स ने आज नागालैंड के अबोई-मोन रोड पर नागा आतंकवादी संगठन NSCN (K) के मेजर जनरल यांगहंग उर्फ़ मोपा को पकड़ा है। 40 असम राइफल्स पर हमले के पीछे इसी का हाथ था। इस हमले में 2 जवान शहीद हो गए थे।
Assam Rifles apprehended self-styled Maj Gen Yanghang alias Mopa of Naga terrorist outfit NSCN (K) at Aboi-Mon road in Nagaland today. He was responsible for the ambush of 40 Assam Rifles soldiers in which two troops were killed. pic.twitter.com/DEf9vY3ibb
गिरफ्तार किया गया उग्रवादी खुद को मेजर जनरल यांगहांग बताता है। इस साल मई के महीने में नागालैंड के मोन जिले के अंतर्गत असम राइफल्स 40 रेजिमेंट के जवानों पर उग्रवादियों ने घात लगाकर हमला कर दिया था। इसके बाद दोनों तरफ से ताबड़तोड़ गोलियाँ चली थी। इस हमले में असम राइफल्स के 2 जवान शहीद हो गए थे।
रिपोर्ट्स के अनुसार, घटना के वक्त 40 असम राइफल्स के सेक्टर सात के जवानों का काफिला नागालैंड के जंगलों से घिरे मोन जिले से गुजर रहा था। उसी वक्त पहले से घात लगाकर बैठे एनएससीएन और उल्फा के उग्रवादियों ने एक साथ हमला बोल दिया था।
कानपुर में एक मदरसे का मौलवी जावेद, जो कि मदरसे के अंदर ही एक नाबालिग़ लड़की से रेप का आरोपित है। अब वह निकाह की आड़ में बचने का उपाय तलाश रहा है। मौलवी का कहना है कि उसने पीड़िता के साथ निकाह कर लिया था। जबकि पीड़िता को आरोपित मौलवी फॉर्म भरवाने के नाम पर मदरसा ले गया था, जहाँ उस समय जावेद की मामी आब्दा इस्लाम और उनकी बेटी शीबा (जो उसी मदरसे में पढ़ाती हैं) के अलावा कोई अन्य छात्र मौजूद नहीं था। आरोपित ने मदरसे में ही रेप किया जबकि वहाँ उपस्थित दो महिला टीचर उसकी मदद को आगे नहीं आई।
आरोपित जो अब तक भागा-भागा फिर रहा था, जिसे पुलिस ने मोबाइल फोन को ट्रैक कर गिरफ्तार कर लिया है। स्वराज्य की पत्रकार स्वाति गोयल शर्मा की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने बताया कि आरोपित ने मदरसे में पीड़िता के साथ सेक्सुअल सम्बन्ध की बात स्वीकार कर ली है लेकिन आरोपित मौलवी का कहना है कि उसने रेप करने से पहले उसके साथ निकाह किया था।
हालाँकि, मौलवी ने कोई निकाहनामा पुलिस के सामने पेश नहीं किया है। मौलवी ने यह भी दावा किया है कि पीड़िता नाबालिग नहीं है बल्कि 19 साल की है। जबकि परिवार द्वारा पीड़िता का जो जन्म प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया गया है, उसमे उसकी जन्म तिथि 19 मार्च 2004 है, अर्थात वह अभी 15 साल की है।
पीड़िता का परिवार इस बात से चिंतित है क्योंकि मोहल्ले में आरोपित मौलवी का पीड़िता से निकाह वाली बात फैल चुकी है। पीड़िता के पिता ने कहा, “हमारे ऊपर जावेद को पैसे के लिए फँसाने के झूठे आरोप लगा, बदनाम किया जा रहा है। कोई भी हमारा साथ नहीं दे रहा है।” पीड़िता की कजिन का कहना है कि मुहल्ले वाले भी मौलवी के ही साथ हैं, कोई हमारी मदद नहीं कर रहा है, यहाँ तक पुलिस स्टेशन भी कोई हमारे साथ नहीं गया।
पीड़िता की माँ का कहना है कि मौलवी की मामी आब्दा ने हमें पुलिस में शिकायत न करने के लिए पैसे देने की बात की। निकाह की बात से भी इनकार करते हुए पीड़िता की माँ ने कहा कि उनका खुद का पति अभी 34 साल का है तो वह भला अपनी बेटी का निकाह उसके बाप के भी उम्र से ज़्यादा उम्र के व्यक्ति से कैसे कर सकती हैं। कैसे मैं अपना दामाद अपने पति से भी बूढ़ा लाऊँ?
पीड़िता के अब्बू ने कहा कि वैलिड निकाह में एक काजी और चार गवाहों की आवश्यकता होती है। दोनों तरफ से दो-दो गवाह और निकाह के बाद, निकाहनामा की एक-एक कॉपी दोनों पक्षों को दी जाती है। लेकिन इस मामले में ऐसा कुछ नहीं है।
निकाह और निकाहनामें की मुस्लिमों में क्या हालात हैं यह भी चिंता का विषय है। नूरजहाँ साफिआ निआज़, जो कि एक मुस्लिम महिला अधिकार कार्यकर्ता हैं और भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की संस्थापिका भी हैं, ने बताया कि मुस्लिम समुदाय द्वारा कोई भी निकाह का तय नियम का पालन नहीं किया जाता है। उन्होंने कहा कि किसी भी मदरसा या मस्जिद द्वारा दिए गए निकाहनामें में संस्था का नाम प्रिंट होता है और महज कुछ कॉलम भरे होते हैं जिसे समुदाय और कोर्ट द्वारा स्वीकार कर लिया जाता है।
कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी की हरकतों में लोकसभा चुनाव में उत्तर भारत से ठेठ दक्षिण भगाए जाने के बाद भी कोई ख़ास बदलाव नहीं आया है। दुनियाभर में आज योग दिवस मनाया जा रहा है। इस मौके पर राहुल गाँधी ने एक ट्वीट किया है जिस पर विवाद शुरू हो चुका है। इस ट्वीट में उन्होंने सेना के जवानों और कुत्तों के जरिए योग करते हुए तस्वीरें ट्वीट की हैं। राहुल ने बीजेपी और सरकार पर तंज कसने के चक्कर में सेना और योग दिवस का मजाक बनाया जो लोगों को पसंद नहीं आया।
राहुल के इस ट्वीट पर लोगों ने रिएक्शन देना भी शुरू कर दिया है। दरअसल, राहुल गाँधी ने शुक्रवार (जून 21, 2019) को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर सेना की ‘डॉग यूनिट’ के योग कार्यक्रम से जुड़ी तस्वीरें शेयर कर करते हुए सरकार पर तंज कसा और कहा कि यह ‘न्यू इंडिया’ है। हालाँकि, उनके इस तस्वीर के शेयर करते ही लोगों ने उन्हें ही ट्रोल करना शुरू कर दिया।
राहुल गाँधी के इस विवादित ट्वीट पर भारतीय जनता पार्टी के सांसद तेजस्वी सूर्या ने पलटवार करते हुए लिखा है-“राहुल गाँधी ने अब तक अपने कर्मों से कोई सबक नहीं लिया है। उन्होंने हमारी सेना, हमारे बहादुर जवानों, अतुल्य डॉग यूनिट, योग की परंपरा और हमारे देश का अपमान अपने इस ट्वीट के जरिए किया है। मुझे कॉन्ग्रेस के युवा कार्यकर्ताओं के लिए काफी बुरा महसूस होता है जिन्हें ऐसे आदमी को अपने नेता के रूप में झेलना पड़ता है।”
Ok. He still hasn’t learnt his lessons.
In one go, he has insulted our Army, brave Jawans, the incredible dog unit, Yoga tradition & our country.
I feel really sad for all the young Congress workers (if there are any left) that they have to deal with this man as their leader. https://t.co/c4Vjanw6Wk
अभिनेता और नेता परेश रावल ने भी इसको लेकर ट्वीट किया है। परेश रावल ने ट्वीट में लिखा है, “हाँ, ये नया इंडिया है राहुल जी, जहाँ कुत्ते भी आपसे ज्यादा होशियार हैं।”
Yes it’s a NEW INDIA Rahul ji where even dogs are smarter than you . @RahulGandhi
वहीं, जब बीजेपी सांसद परवेश वर्मा से राहुल गाँधी के इस ट्वीट के बारे में पूछा गया तो वर्मा ने राहुल गाँधी के ट्वीट पर जवाब देते हुए कहा- “राहुल गाँधी के शरीर में एक हिस्सा ऐसा है जो पूरी तरह से खाली है उसे कोई भी भर नहीं सकता है ना कोई किताब और ना ही कॉन्ग्रेस पार्टी। देश के साथ साथ विदेशों में भी योग ने भारत का नाम रोशन किया है।”
देखा जाए तो न्यू इंडिया के नाम पर जिन कुत्तों के जरिए राहुल गाँधी सेना का मजाक बना रहे हैं, देश के लिए राहुल गाँधी से ज्यादा योगदान इन कुत्तों ने ही दिया है।
‘मेट्रो मैन’ के नाम से मशहूर ई श्रीधरन ने कल (जून 20, 2019) को एक पत्र के माध्यम से कुछ दिनों पहले ही मीडिया में रिलीज़ दिल्ली फ्री मेट्रो सेवा को जायज ठहराने वाले मनीष सिसोदिया के पत्र के जवाब दिया है। जिसमें उन्होंने बहुत ही तार्किक तरीके से सिसोदिया के हर प्रश्न और अपनी आपत्तियों को रखा है।
चलिए एक निगाह में जान लेते हैं क्या है पूरा मामला- कुछ दिन पहले ही, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए दिल्ली की महिलाओं को लोकलुभावन योजना के दायरे में लाने के लिए दिल्ली की बसों व मेट्रो में महिलाओं की यात्रा मुफ्त करने का निर्णय लिया। इसके पीछे केजरीवाल का तर्क है कि सभी डीटीसी बस, क्लस्टर बस और मेट्रो ट्रेन में महिलाओं को मुफ्त में यात्रा करने की अनुमति दी जाएगी ताकि वे ख़ुद को सुरक्षित महसूस कर सकें।
दिल्ली मेट्रो के पहले प्रबंध निदेशक और ‘मेट्रो मैन’ के नाम से मशहूर ई श्रीधरन ने मेट्रो में महिलाओं को मुफ़्त यात्रा की सुविधा देने की आम आदमी पार्टी सरकार की पहल को मेट्रो के लिए नुकसानदायक बताया था। उन्होंने सुझाव दिया कि छूट की राशि सीधे महिलाओं के खाते में ट्रांसफर की जाए। इस संबंध में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी भी लिखी थी।
दिल्ली मेट्रो के सलाहकार श्रीधरन द्वारा लिखी चिट्ठी पर दिल्ली के उप मुख्यमंत्री ने कड़ी आपत्ति जताते हुए जवाब में लिखा, “मुझे आश्चर्य के साथ-साथ आपकी चिट्ठी पर दुख भी है, जिसमें आपने मेट्रो में महिलाओं को फ्री यात्रा का खर्च दिल्ली सरकार द्वारा उठाने के प्रस्ताव का विरोध किया है।” सिसोदिया के पत्र का इसी लेख में नीचे विवरण दिया गया है। बेशक, उस समय सिसोदिया और AAP सहित, उनके तमाम समर्थक मीडिया को वह सिसोदिया का मास्टर स्ट्रोक नज़र आया हो। लेकिन यह कदम व्यावहारिक तो नहीं ही है, ऐसा कई विशेषज्ञों ने दावा किया है।
सिसोदिया के पत्र का बिंदुवार जवाब श्रीधरन ने दिया है। हालाँकि, उन्होंने कहा कि उन्हें आम आदमी पार्टी या सिसोदिया का भेजा कोई पत्र नहीं मिला है, पर मीडिया के माध्यम से उन्हें सिसोदिया का पत्र हाथ लगा। जिसका जवाब श्रीधरन ने भी 20 जून को अपने एक पत्र के माध्यम से दिया है। हालाँकि, उनके इस पत्र का मीडिया ने शायद उतना संज्ञान नहीं लिया है।
मनीष सिसोदिया के पत्र का इ श्रीधरन द्वारा दिया गया जवाब
आदरणीय महोदय, विषय- दिल्ली मेट्रो में महिलाओं की मुफ़्त यात्रा
आपका 14 जून 2019 को जारी पत्र मुझे अभी तक नहीं मिला, लेकिन मुझे मीडिया के माध्यम से उसकी एक कॉपी मिली है।
सर, मेरा विरोध इस विचार से ही है कि समाज के किसी भी सेक्शन को ऐसे समय में मुफ्त मेट्रो सेवा नहीं दी जानी चाहिए। अभी भी DMRC पर बचे हुए लोन का बोझ लगभग 35 हज़ार करोड़ रुपए का है। हो सकता है, आपकी सरकार DMRC को हुए नुकसान की भरपाई कर दे, लेकिन आने वाली सरकार शायद ऐसा न करे तो ऐसे समय में DMRC योजना को वापस लेने और फिर से महिलाओं पर टिकट चार्ज लगाने में सक्षम नहीं होगी। आगे यह योजना दूसरे शहरों के मेट्रो सेवाओं के लिए भी मुसीबत बनेगी जो अभी भारी कर्ज के बोझ तले दबे है। अभी के जो हालात हैं, उसमें मेट्रो निर्माण की गति अपने तय लक्ष्य (चीन के 300 किलोमीटर प्रति वर्ष की जगह भारत में मात्र 25 किलोमीटर प्रति वर्ष) से बेहद धीमी गति से चल रही है। इसका मुख्य कारण फंड की कमी है। मेट्रो अभी उधार के जाल में फँसता हुआ नज़र आ रहा है, ऐसे में आने वाले समय में नए मेट्रो के निर्माण के लिए लोन की कोई व्यवस्था नज़र नहीं आ रही।
मैं, दिल्ली सरकार के महिलाओं के मुफ्त यात्रा के ट्रेवल चार्ज वहन करने के प्रस्ताव का विरोध नहीं कर रहा हूँ, बल्कि मेरा विरोध मेट्रो में मुफ्त यात्रा के विचार का विरोध है। यदि हम महिलाओं को मुफ्त यात्रा की सुविधा देने जा रहे हैं तो उन अन्य महत्वपूर्ण वर्गों जैसे छात्रों, दिव्यांग व्यक्तियों और सीनियर सिटीजन आदि का क्या करेंगे? वैसे, पूरे विश्व में कहीं भी कोई मेट्रो सेवा नहीं है जो सिर्फ महिलाओं के लिए मुफ्त हो।
गयदि GNCTD महिलाओं की मुफ्त यात्रा के प्रति इतनी ही चिंतित है तो उन्हें मुफ्त मेट्रो सेवा देने से बेहतर है कि सीधे उनके खाते में उनकी यात्रा का खर्च डाल दे। कृपया याद रखें, किसी भी तरह से यदि दिल्ली सरकार DMRC को पेमेंट करती है तो वह पैसा टैक्स पेयर का है और वे दूसरों को मुफ्त यात्रा सुविधा देने के लिए सवाल कर सकते हैं। लगभग सभी को पता है कि यह आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में महिलाओं का वोट हासिल करने लिए महज एक चुनावी हथकंडा है।
सर, आपका यह कहना कि दिल्ली मेट्रो अभी अपनी सम्पूर्ण क्षमता का केवल 65% उपयोग कर पा रही है, यह सत्य नहीं है।(शायद आप DPR की भविष्यवाणी पर आँख मूँदकर भरोसा कर रहे हैं।) भीड़ वाले समय में पूरा मेट्रो सिस्टम अत्यधिक ओवरलोडेड होता है, जबकि हर 2 मिनट में मेट्रो संचालित हो रहा होता है। तब भी यात्रियों को बमुश्किल खड़े होने की जगह मिलती है। महिलाओं की मुफ्त यात्रा को मंजूरी देने के बाद भीड़ और बुरी तरह से बढ़ेगी जो कि किसी बड़ी दुर्घटना का कारण हो सकती है।
यदि दिल्ली सरकार के पास बहुत ज़्यादा पैसा हो गया है तो नए मेट्रो ट्रेन्स और तेजी से लाइन्स के निर्माण में क्यों न DMRC का सहयोग करे, ताकि अभी की बेतहाशा भीड़ से यात्रियों को आराम मिले। दूसरी तरफ, जहाँ तक मुझे जानकारी है कि दिल्ली सरकार ने चौथे फेज को स्वीकृति देने में भी 2 वर्ष की देरी की। यहाँ तक कि बसों के लिंक कनेक्टिविटी में भी देरी हुई। यह ज़्यादा महत्वपूर्ण काम है जो सरकार कर सकती है जिससे सड़क पर भीड़ कम हो और दिल्ली को काफी हद तक प्रदूषण से मुक्ति भी मिले।
महिलाओं को मुफ्त यात्रा की सुविधा देने से महिलाओं की सुरक्षा में शायद ही कोई सुधार आए, उनकी सुरक्षा का तब क्या होगा जब वह मेट्रो से बाहर आएँगी, जहाँ उनके लिए लिंक बस सुविधाओं की ज़्यादा आवश्यकता है। यह कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ आपकी सरकार ध्यान दे सकती है, न कि मुफ्त मेट्रो सेवा में पैसा लगाकर उन्हें बर्बाद करे।
इसलिए, मेरी आपकी सरकार से निवेदन है कि सिर्फ चुनावी लाभ के लिए दिल्ली की सबसे प्रभावशाली यात्रा सुविधा को बर्बाद मत कीजिए। आपका डॉ. ई श्रीधरन
बता दें कि इससे पहले डीएमआरसी ने बताया था कि इस पूरी योजना पर सालाना ₹1566 करोड़ का खर्च आएगा। साथ ही मेट्रो ने योजना के लागू होने के बाद मुसाफिरों की संख्या में 15 से 20% बढ़ोतरी की उम्मीद जताई गई है। डीएमआरसी ने इस योजना को लागू करने के लिए किराया निर्धारण समिति (एफएफसी) से मंजूरी लेना अनिवार्य बताया है। हालाँकि, केजरीवाल का मानना है कि वैसे तो इसकी कोई जरूरत नहीं है, लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो वो इसकी मंज़ूरी लेकर आएँगे।
DMRC ने दिल्ली सरकार को सौंपे अपने प्रस्ताव में कहा कि महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा को लागू करने से लगभग ₹1566 करोड़ का वार्षिक ख़र्च होगा, इसमें से ₹11 करोड़ का ख़र्च फीडर बसों पर आएगा।
जिसके बाद, बुधवार (12 जून) को, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि दिल्ली सरकार द्वारा DMRC को इस रकम का भुगतान किया जाएगा। DMRC ने अपनी 8 पेज की रिपोर्ट में, इस बात का भी ज़िक्र किया था कि महिलाओं को मुफ़्त सफर कराने वाली इस योजना का भविष्य में दुरुपयोग भी हो सकता है। DMRC ने क़ानूनी सलाहकार से भी चर्चा की और यह जानने का प्रयास किया था कि क्या इस तरह की वित्तीय सब्सिडी या अनुदान राज्य सरकार द्वारा दिल्ली मेट्रो रेलवे (संचालन और रखरखाव) अधिनियम, 2002 के तहत यात्रियों के एक विशेष वर्ग को दी जा सकती है?
जानकारी के लिए बता दें कि केजरीवाल की इस मुफ्त मेट्रो योजना का जहाँ मीडिया गिरोह और कुछ नेताओं द्वारा क्रांतिकारी बताया गया, वहीं विशेषज्ञों ने इस योजना की कई खामियाँ गिनाते हुए ऐसे अधोगामी प्रस्ताव का विरोध भी किया था। यहाँ तक कि जनता ने भी इस योजना को लेकर विरोध और समर्थन दोनों व्यक्त किया। सोशल मीडिया पर विरोध बढ़ता देख, मनीष सिसोदिया सहित आप की पूरी मशीनरी इस योजना के समर्थन में उतर गई। इसी कड़ी में 14 जून को मनीष सिसोदिया ने एक सार्वजनिक पत्र के माध्यम से विशेषज्ञों और खासतौर से डॉ. ई श्रीधरन के विरोध का जवाब सोशल मीडिया पर जारी एक पत्र के माध्यम से दिया था।
अपनी चिट्ठी में सिसोदिया ने यह तर्क दिया कि मेट्रो की कुल क्षमता प्रतिदिन 40 लाख यात्रियों की है, लेकिन DMRC के अनुसार, फ़िलहाल औसतन राइडरशिप 25 लाख है। सिसोदिया ने इस बात पर भी ज़ोर दिया था कि दिल्ली मेट्रो अपनी कुल क्षमता का 65% पर ही काम कर रही है, जो कि एक कंपनी की गुणवत्ता और परफॉर्मेंस के लिए बहुत ख़राब है।
श्रीधरन जी मेट्रो की कुल क्षमता 40 लाख लोगों को प्रतिदिन यात्रा कराने की जबकि 25 लाख लोग प्रतिदिन यात्रा करते हैं महिलाओं की फ़्री यात्रा से लगभग 3 लाख यात्री बढ़ेंगे मेट्रो की आमदनी बढ़ेगी, महिलाओं को सुरक्षा मिलेगी, ट्राफिक कम होगा प्रदूषण कम होगा फिर ऐसी योजना का विरोध क्यों? pic.twitter.com/U1mwClgJiH
खैर, महिलाओं को मुफ्त मेट्रो सुविधा देने पर लगातार बहस जारी है। जहाँ एक तरफ आप और केजरीवाल इस चुनावी स्टंट को सही ठहराने में जुटे हैं तो वहीं विशेषज्ञों द्वारा इसे एक अधोगामी कदम मानते हुए, इसे पूरे मेट्रो तंत्र को बर्बाद करने के रूप में देखा जा रहा है।
चलते-चलते सिर्फ इतना ही कहना है कि केजरीवाल इससे पहले भी कई हवाई योजनाओं की चर्चा कर चुके हैं। जिन पर अभी तक ग्राउंड वर्क की प्रोग्रेस शून्य है। बाद में किसी न किसी वजह से वह योजना फाइलों में फँस जाती है। ऐसे समय में कई विशेषज्ञों का कहना है कि केजरीवाल सरकार जानबूझकर ऐसे काम करती है कि फाइल नियम विरुद्ध हो या इसके लिए आवश्यक तैयारी के अभाव के कारण फाइल उप राज्यपाल के यहाँ फँस जाए, जिससे AAP की पूरी मशीनरी को एक बार फिर से ‘कि हम तो दिल्ली की महिलाओं को मुफ्त योजना देना चाहते थे लेकिन मोदी फाइल ही आगे नहीं बढ़ने दे रहें‘ पर आकर रुक जाती है।
ऐसे में केजरीवाल सरकार दो-तरफा फायदे में होती है। खैर, यह योजना भी है तो चुनावी लॉलीपॉप ही, अब देखना यह है कि क्या इस बार कामयाब होती है या फाइल फिर से अटक जाती है और केजरीवाल अगली बार सरकार आने के बाद कानून में बड़ा बदलाव कर इसे पूरा करने का वादा करते हैं। अंजाम जो भी हो, खेल तो शुरू हो ही चुका है।