ब्यूटी पार्लर में नौकरी के लिए रोज ऑटो से आती-जाती। इसी दौरान ऑटो ड्राइवर 'अमन' से हुई दोस्ती। 'अमन' के साथ कई बार मंदिर भी गई। 'अमन' हाथ में कलावा बाँधता था, कड़ा पहनता था। एक दिन अचानक से पता चला कि वो हिन्दू नहीं बल्कि मुस्लिम है और उसका अमन नहीं बल्कि ख़ालिद है।
"तृणमूल कॉन्ग्रेस की गुंडा वाहिनी ने अचानक से बाजार में आकर BJP पार्टी ऑफिस तोड़ दिया। पुलिस को खबर देने पर भी कोई फायदा नहीं हुआ। तृणमूल कॉन्ग्रेस ने इलाके को अशांत कर रखा है। अगर पुलिस की तरफ से जल्द ही इन पर कार्रवाई नहीं की जाती है, तो हमें मजबूरन बड़े आंदोलन पर उतरना होगा।"
"मोहम्मद सुंदरलाल ने ताश खेलने का विरोध करने पर सबसे पहले मेरी बेटी नूर बानो को तीन तलाक दिया और बाद में फाँसी लगाकर उसे मार डाला। इस पूरी घटना को अंजाम देने में मेरी बेटी के सास-ससुर ने भी उसके पति का पूरा सहयोग किया।"
कश्मीर के मौजूदा हालात को देखते हुए भारतीय वायु सेना और आर्मी को हाई ऑपरेशनल अलर्ट पर रखा गया है। CRPF और पारा-मिलिटरी की तुरंत तैनाती के लिए वायुसेना के C-17 हेवी लिफ्ट प्लेन को भी ऑपरेशनल मोड में रखने का आदेश है।
रूजवेल्ट को लिखे गए इस पत्र के 6 साल बाद 6 और 9 अगस्त, 1945 को अमेरिका ने हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराया था। इतिहास और आइंस्टीन दोनों को यह अफ़सोस हमेशा रहा कि इस महान त्रासदी की नींव पर कुछ Best Brains के भी हस्ताक्षर थे।
सौ करोड़ की आबादी, NDA के 45% वोट शेयर में आखिर किसके वोटर कार्ड हैं? फिर सवाल कौन पूछेगा इन हुक्मरानों से? आलम यह है कि तीन चौथाई बहुमत वाले योगी जी के राज्य में, हिन्दुओं को अपने घरों पर लिखना पड़ रहा है कि यह मकान बिकाऊ है!
जबलपुर के एसपी ने बताया कि पंडित अमित शुक्ला को नोटिस भेजा जाएगा। साथ ही, उससे बॉन्ड भी साइन कराया जाएगा। इसके अलावा पुलिस अगले 6 महीने तक उसकी गतिविधियों पर नजर रखेगी। अगर वह ऐसी हरकत दोहराता है तो उसे हिरासत में भी लिया जाएगा।
2015 में फ्री वाई-फाई से लेकर गली-गली में सीसीटीवी लगाने का वादा करके दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने वाले केजरीवाल आज फिर से अपने झूठे वादों की राजनीति खेलकर 2020 फतह करना चाहते हैं लेकिन उनके पिछले वादों की जमीनी हकीकत क्या है, उस पर भी जरा ध्यान डाल लें:
कॉन्ग्रेस नेता रावेश खान उर्फ बंटी ने नगर पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में रावेश हार गए थे और उदयपाल यादव जीते थे। इसके बाद से ही दोनों पक्षों में रंजिश चल रही थी।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट को बाल दुष्कर्म के मामलों की जानकारी देते हुए बताया गया था कि इस प्रकार के मामलों के निपटाने की दर महज नौ फीसदी ही है। और यह हालात पोक्सो कानून लागू होने के सात साल बाद की है।