विनय की गणित के मुताबिक भले ही इतनी जीतों के बावजूद भी हिमा योग्य नहीं हैं, लेकिन हमें फिर भी उम्मीद है कि टोक्यो ओलंपिक में मेडल आएगा। इसका ये मतलब नहीं है कि हम उनके 5 मेडल की चमक में अंधे होकर उनसे आस लगा रहे हैं।
सागरिका युद्धों के बारे में अपनी जानकारी को थल सेना के एक अधिकारी से ज्यादा सिद्ध करने की मूर्खतापूर्ण कोशिश में लगी रही। ये अलग बात है कि युद्धों का उनका कुल अनुभव शून्य ही होगा। हाँ, उनके पति महोदय का न्यूयॉर्क में कुछ नागरिकों से हाथापाई का अनुभव जरूर है।
UAPA नया कानून नहीं है। 1967 में इंदिरा गाँधी की सरकार ही इस बिल को पहली बार लेकर आई थी। कॉन्ग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के कार्यकाल में तीन मौकों पर 2004, 2008 और 2011 में भी इस कानून में संशोधन किया गया था।
सुरक्षाबलों ने आतंकियों को कुत्ते की मौत दे दी। अब, जबकि वो मार गिराए गए हैं और भारत सरकार की नई जीरो टॉलरेंस नीति के हिसाब से साल के दो सौ आतंकी निपटाए जा रहे हैं, तो इससे कई सकारात्मक बातें सामने आती हैं........
समस्या केवल नेताओं के बहके बोल ही नहीं है। बचाव में गढ़े जाने वाले तर्क बताते हैं कि इस पार्टी के लिए कामुक टिप्पणियॉं कितनी आम बात है। पार्टी आलाकमान के घर की पढ़ी-लिखी सांसद रह चुकी बहू महिला के अंडरवियर का रंग बताए जाने को ‘छोटी सी बात’ बताती हैं।
जवाबी पत्र में 61 हस्तियों ने कुछ घटनाओं का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री को खत लिखने वाले 49 लोगों से पूछा है कि वे तब क्यों चुप रहते हैं जब जय श्रीराम कहने पर लोगों को जेल में डाल दिया जाता है? जब कैराना से हिंदू पलायन करते हैं?
ब्रिज मोहन सिंह ने गंभीर रूप से घायल होकर वीरगति को प्राप्त होने के पहले पाँच पाकिस्तानियों को मौत की नींद सुला दिया, जिसमें से दो को तो उन्होंने केवल अपने खंजर (कमाण्डो नाइफ़) से मारा। अपनी जान और सुरक्षा की परवाह किए बिना दिलेरी और शौर्य की मिसाल खड़ी करने वाले ब्रिज मोहन सिंह को वीर चक्र से नवाज़ा गया।
सौरभ कालिया और अन्य भारतीय सैनिकों पर किए गए बर्बर अत्याचार को पाकिस्तान के सैनिकों ने कई बार स्वीकार किया है। हालाँकि, धूर्त पाकिस्तान ने आधिकारिक रूप से कभी यह स्वीकार नहीं किया कि कारगिल युद्ध में उसके सैनिक शामिल थे।
20 जून 1999 की सुबह 3:30 बजे विक्रम बत्रा और उनके साथियों ने प्वाइंट 5410 पर फिर से तिरंगा लहरा दिया। इस जीत के बाद विक्रम बत्रा ने कहा था, “यह दिल माँगे मोर।” विक्रम के जज़्बे को देखते हुए यूनिट ने उनको नया नाम दिया ‘शेरशाह’ यानी ‘शेरशाह ऑफ़ कारगिल’।