उन्होंने जबरन नमाज पढ़ाने की बात, गोमांस खिलाने की बात, नाम बदलने की बात सब पॉडकॉस्ट में स्वीकारी थी मगर बाद में एक पोस्ट किया कि वो लव जिहाद जैसी चीजों में मानती ही नहीं।
रतन टाटा का जीवन इस बात की याद दिलाता है कि लीडरशिप का आँकलन केवल उपलब्धियों से ही नहीं होता, बल्कि सबसे कमजोर लोगों की देखभाल करने की उसकी क्षमता से भी होता है।
महाराष्ट्र में बढ़ती मुस्लिमों की आबादी का परिणाम क्या होता है ये मई-जून में हुए लोकसभा चुनावों में हमने देखा था। तब भी मुस्लिमों को इसी तरह एकजुट करके वोट कराया गया था।